लोगों द्वारा पूछे जाने पर कि परम पावन दलाई लामा स्वयं को कैसे देखते हैं, उनका उत्तर होता है कि वह एक साधारण बौद्ध भिक्षु हैंं।
परम पावन भारत में और विदेश दोनों की यात्रा करते हुए प्रायः धर्मशाला से बाहर रहते हैंं। इन यात्राओं के दौरान परम पावन की दिनचर्या में उनके कार्यक्रमों के अनुसार परिवर्तन होता है। परन्तु परम पावन प्रातः बहुत शीघ्र उठ जाते हैं और यथासंभव प्रयास करते हैं कि शाम को शीघ्र सो जाएँ।
जब परम पावन धर्मशाला में िनवास पर होते हैं तो वह प्रातः ३ बजे उठ जाते हैं। अपने प्रातः स्नान के बाद, परम पावन अपना दिन ५ बजे तक प्रार्थना, ध्यान और साष्टंग प्रणाम से प्रारंभ करते हैं। ५ बजे परम पावन अपने आवासीय परिसर के चारों ओर प्रातः भ्रमण करते हैं। यदि बाहर बारिश हो रही हो, तो परम पावन अपने ट्रेडमिल पर थोड़ी देर चलते हैं। ५:३० पर प्रातः का अल्पाहार परोसा जाता है। नाश्ते में परम पावन आम तौर पर गर्म दलिया, सत्तू (जौ पाउडर), डबल रोटी और चाय लेते हैं। नाश्ते के दौरान परम पावन नियमित रूप से रेड़ियो पर, अंग्रेजी में बीबीसी विश्व समाचार सुनते हैं। ६ बजे से ९ बजे तक परम पावन अपने प्रातः का ध्यान और प्रार्थना जारी रखते हैं। लगभग ९ बजे से साधारणतया वह अपना समय विभिन्न बौद्ध ग्रंथों और महान बौद्ध आचार्यों द्वारा लिखित भाष्यों का अध्ययन कर बिताते हैं। मध्याह्न का भोजन ११:३० से परोसा जाता है। धर्मशाला में परम पावन की रसोई शाकाहारी है। यद्यपि धर्मशाला के बाहर यात्राओं के दौरान, परम पावन आवश्यक रूप से शाकाहारी नहीं है। कड़े विनय नियमों का पालन करते हुए परम पावन रात का भोजन नहीं करते। यदि अपने अधिकारियों के साथ किसी काम की चर्चा करनी हो अथवा कुछ दर्शन और साक्षात्कार आयोजित किए गए हों तो परम पावन १२:३० से ३:३० तक अपने कार्यालय में रहते हैं। आमतौर पर, कार्यालय में दोपहर में एक साक्षात्कार तथा तिब्बती और गैर तिब्बती दोनों के लिए कई दर्शन निर्धारित किए जाते हैं। अपने निवास पर लौटने के पश्चात परम पावन लगभग ५ बजे शाम की चाय लेते हैं। इसके पश्चात उनकी संध्या की प्रार्थना और ध्यान होता है। संध्या ७ बजे तक परम पावन सोने के लिए चले जाते हैं।