उनके लिए जो चित्त शोधन के आठ पदों के आदर्शों के प्रशंसक हैं, प्रबुद्धता के लिए चित्तोत्पाद हेतु निम्नलिखित पदों का पाठ करना सहायक है। बौद्धाभ्यासियों को इन पदों का पाठ कर, शब्दों के अर्थ पर मनन करना चाहिए, साथ ही अपनी परोपकारिता तथा करुणा के विकास का प्रयास करना चाहिए। आप में से जो अन्य धार्मिक परंपराओं के अभ्यासी हैं, आप अपनी आध्यात्मिक शिक्षाओं से प्रेरणा लें तथा परोपकारी आदर्श के मार्ग पर परोपकारी विचारों के प्रति अपने को प्रतिबद्ध करने का प्रयास करें।
सभी सत्वों को मुक्त करने की कामना से
मैं सदा जाऊँ शरण में
बुद्ध, धर्म और संघ की
जब तक न पूर्ण प्रबुद्धता प्राप्त करूँ मैं
प्रज्ञा और करुणा से उत्साहित
आज बुद्ध की उपस्थिति में
मैं करूँ बोधिचित्तोत्पाद
सभी सत्वों के लाभ में
जब तक आकाश है स्थित
जब तक हैं स्थित सत्व यहाँ
तक तक बना रहूँ मैं भी
और संसार के दुख कर सकूँ दूर
समापन में, वे जो मेरे समान अपने आप को बुद्ध का अनुयायी मानते हैं, हमें यथासंभव अभ्यास करना चाहिए। अन्य धार्मिक परम्पराओं के अनुयायियों को मैं यह कहना चाहूँगा, “कृपया अपने स्वयं के धर्म का अभ्यास गंभीरता तथा सच्चाई से करें।” और जो धर्म में विश्वास नहीं करते, उनसे मैं अनुरोध करता हूँ कि सौहार्दपूर्ण बनने का प्रयास करें। मैं आपसे ऐसा करने के लिए कह रहा हूँ, क्योंकि ये मानसिक व्यवहार वास्तव में सुख देते हैं। जैसा मैं पहले कह चुका हूँ, दूसरों की देख रेख करना वास्तव में आपके िलए हितकारी है।