भारत में परम पावन दलाई लामा के सार्वजनिक प्रवचनों के दौरान आपको निम्नलिखित वस्तुओं को लाने की सलाह दी जाती है: एक आसन, एक कप और धूप से बचने के लिए टोपी। प्रवचन स्थलों पर होने वाली सुरक्षा जांच को देखते हुए वहाँ, यथासंभव पर कम से कम वस्तुएं लाई जानी चाहिए।
पंजीकरण
सामान्यतया, भारत में सभी प्रवचन निःशुल्क व जनता के लिए खुले हैं। धर्मशाला में प्रवचनों के लिए, आपको व्यक्तिगत रूप से मैक्लोडगंज में सुरक्षा कार्यालय के तिब्बती शाखा (होटल तिब्बत के पास) में पंजीकरण कराने की आवश्यकता है। इसके लिए कोई अग्रिम पंजीकरण सेवा नहीं है। पंजीकरण, प्रवचन प्रारंभ होने के लगभग तीन दिन पहले प्रारंभ होता है और प्रवचन के पहले दिन समाप्त होता है। पंजीकरण के लिए, सभी विदेशियों को अपने पासपोर्ट लाने की आवश्यकता होगी। तिब्बतियों और भारतीयों को एक तस्वीर लाने की आवश्यकता होगी। प्रत्येक प्रवचन पास के लिए १०/- रुपये का सेवा शुल्क लिया जाता है। चूँकि कई हजार लोग प्रवचनों में भाग ले सकते हैं, हमारा सुझाव है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपकी आवास व्यवस्था ठीक तरह से हुई है, आप प्रवचन प्रारंभ होने के दो या तीन दिन पहले पहुँच जाएं। धर्मशाला में कई होटल और गेस्टहाउस हैं। प्रवचन समय भी प्रवचनों के प्रारंभ होने के एक या दो दिन पूर्व तय किया जाता है और उसके पश्चात सार्वजनिक किया जाता है।
बैठने की व्यवस्था
बैठने की व्यवस्था आम तौर पर जो पहले आए उसके आधार पर की जाती है। पश्चिम में, अधिकांश अवसरों पर सार्वजनिक आयोजनों के लिए बैठने की व्यवस्था आपके टिकट और सीट नंबर द्वारा निर्दिष्ट की जाती है। भारत में, प्रवचनों के लिए बैठने का स्थान आम तौर पर जमीन में होता है। तिब्बतियों के बीच पारम्परिक अभ्यास यह है कि आप अपने आसन को प्रवचन श्रृंखला के पहले दिन ले जाएँ, अपना कुशन अथवा कोई कपड़ा रख इसे चिह्नित करें और तत्पश्चात प्रवचनों की अवधि के लिए उसी सीट पर बने रहें। इस प्रकार तिब्बतियों ने परम्परागत रूप से इस बात से कि प्रतिदिन कहाँ बैठा जाए उसकी परेशानी एक दूसरे को बचा रखा है। अतः पुरानी कहावत के अनुसार कि जब आप रोम में हों तो वैसा करें जो रोम निवासी करते हैं, उचित यह है कि तिब्बतियों के बीच वही करें जो तिब्बती करते हैं। आम तौर पर लोग अपने बैठने की जगह को आरक्षित करने के लिए प्रवचन प्रारंभ होने से १ अथवा २ दिन पहले प्रवचन स्थल पर आते हैं। अनुवाद सेवाओं की आवश्यकता वाले लोगों के लिए, प्रवचन स्थल पर व्यवस्थित नामित क्षेत्र हैं।
अनुवाद
परम पावन मुख्य रूप से भोट भाषा में प्रवचन देते हैं। अतः अधिकांश अवसरों पर जब परम पावन भारत में प्रवचन देते हैं तो प्रयास किए जाते हैं कि आधिकारिक अनुमोदित अनुवादकों की उपलब्धि पर चीनी, अंग्रेजी, हिन्दी, जापानी, कोरियाई और वियतनामी में आधिकारिक अनुवाद उपलब्ध कराएँ जाएँ। अनुवाद को सुनने में रुचि रखने वालों को अपने साथ एफएम चैनल रेडियो लाने की आवश्यकता है। कृपया ध्यान दें कि अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की अनुमति नहीं दी जाएगी।
भिक्षु समुदाय के लिए चाय और भेंट
यह परंपरागत है कि प्रवचनों में सम्मिलित होने वाले सभी लोगों के लिए चाय प्रदान की जाती है, इसलिए आपके लिए अपने कप का लाना उपयुक्त होगा। आपने प्रायः देखा होगा कि और भिक्षुणिओं को धनराशि को भेंट की जाती है। यह संघ के सदस्यों के लिए समर्पण है। चाय और प्रसाद दोनों का भुगतान संरक्षक और आम जनता के योगदान द्वारा किया जाता है। यदि आप योगदान के इच्छुक हैं तो प्रवचन क्षेत्र के निकट आमतौर पर एक कार्यालय निश्चित किया जाता है, जहाँ ऐसे दान दिए जा सकें। आप जितना योगदान कर पाते हैं वह पूरी तरह से आपकी इच्छा पर निर्भर करता है।
सूरज तथा और मौसम से बचाव
परम पावन सदैव इस बात को लेकर प्रोत्साहित करते हैं कि जो लोग गर्मी में धूप में बैठे हों वे स्वयं को बचाने के लिए अपने सिरों को ढांक लें। इसी तरह जब वर्षा हो तो वह लोगों को छतरियों का इस्तेमाल करने या शरण लेने की सलाह देते हैं। अतः प्रवचन के समय स्थानीय मौसम की स्थिति के आधार पर एक टोपी या टोपी का छज्जा और/या छोटी छतरियां लेना उपयोगी होता है।
जूते
तिब्बती आदतन जमीन पर बैठते समय अपने जूते पहने रहते हैं, या कम से कम उन्हें उस समय तक पहने रखते है जब तक वे बैठ नहीं जाते। अपने जूते उतार देना और बैठे जनमानस के बीच उनके चेहरों के सामने से उन्हें अपने हाथ में ले जाने का मतलब है कि आप अपने जूते ठीक लोगों के चेहरे के सामने से ले जाते हैं, जिससे अधिकतर लोग बचना चाहते हैं।