परम पावन दलाई लामा पूरे साल विभिन्न समयों तथा स्थानों पर धर्म प्रवचन करते हैं। परम पावन सार्वजनिक वक्तव्य भी देते हैं। भारत में धर्म प्रवचन तथा सार्वजनिक वक्तव्य आम तौर पर निःशुल्क होता है और आम जनता के लिए खुला होता है। परन्तु भारत के बाहर धर्म प्रवचन तथा सार्वजनिक व्याख्यानों के लिए टिकट खरीदने की आवश्यकता पड़ती है। टिकट से मिली राशि व्याख्यान स्थान तथा परम पावन की यात्रा से संम्बधित अन्य खर्चों के लिए काम में लाई जाती है।
तिब्बती कैलेंडर के पहले महीने के सोलहवें दिन (जो कि साधारणतया फरवरी अथवा मार्च के महीने में पड़ता है) परम पावन अपना वार्षिक वसन्त धर्म प्रवचन (जो मोनलम के नाम से भी जाना जाता है) धर्मशाला के मुख्य मंदिर में देते हैं।
यह धर्म प्रवचन साधारणतया 15 दिन की अवधि के होते हैं तथा कार्यालय की ओर से एफ एम चैनल पर अनूदित भी किए जाते हैं। हज़ारों की संख्या में लोग, जिनमें तिब्बती तथा गैर तिब्बती, इन लोकप्रिय धर्म प्रवचनों में शामिल होते हैं। परम पावन पूरे वर्ष में अलग अलग समय पर और अन्य संक्षिप्त प्रवचन भी देते हैं। गत कुछ वर्षोँ में परम पावन भारत में भी ताइवान तथा कोरिया के कुछ बौद्ध अनुयायियों के अनुरोध पर धर्म प्रवचन दे रहे हैं। आम तौर पर इन प्रवचनों का चीनी तथा कोरियन में अनुवाद सार्वजनिक संबोधन प्रसारण के माध्यम से तथा अंग्रेज़ी में एफ एम चैनल से किया जा रहा है। भारत के सर्दी के मौसम में परम पावन अकसर बोधगया अथवा दक्षिण भारत स्थित कुछ तिब्बती आवास की यात्रा करते हैं जहाँ वे नियमित रूप से प्रवचन देते हैं।
परम पावन पूरे वर्ष कई अभिषेक भी देते हैं, जो कि उनके प्रवचन के साथ ही होता है। कालचक्र अभिषेक एक बहुत ही जटिल तथा व्यापक अभिषेक है जो कि परम पावन 2005 तक 29 बार दे चुके हैं। परन्तु परम पावन ने हमेशा अभ्यासियों से अभिषेक अथवा वचनों को लेने के बदले इन प्रवचनों में उपस्थित होने पर बल दिया है ताकि वे बौद्ध धर्म के दर्शन को बेहतर ढंग से समझ सकें।
परम पावन अपने बहुत ही प्रिय विषय, जो उनके हृदय के बहुत ही करीब हैं, पर भी कई सार्वजनिक व्याख्यान देते हैं। लगभग एक घंटे का सार्वजनिक व्याख्यान, जिसके बाद प्रश्नोत्तर हो, उनके विदेश यात्रा में अत्यंत लोकप्रिय है और घोषणा होते ही सभी टिकट बिक जाते हैं।