थेगछेन छोइलिंग, धर्मशाला, हिप्र, भारत-आज प्रातः पत्र के माध्यम से परम पावन दलाई लामा ने श्री सिद्धारमैया को पुनः कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी।
उन्होंने लिखा कि “गत अप्रैल हमारे निर्वासन के जीवन की 64वीं वर्षगांठ थी। उस समय निर्वासन में भारत आए कई तिब्बतियों के पुनर्वास के लिए एक उपयुक्त स्थान खोजने के लिए प्रधान मंत्री पंडित नेहरू ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भूमि प्रदान करने की अपील की थी। सबसे उदार प्रतिक्रिया आपके राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री एस.निजलिंगप्पा की ओर से आई। जब मैं 1956 में भारत आया था उस समय मैं उनसे मिला था तथा उनके साथ बैठक की स्मृति अभी भी स्पष्ट है”।
बाद में, जैसा कि आप जानते हैं कि 1960 के दशक में 30000 से अधिक तिब्बती कर्नाटक में बस गए थे, जो कि निर्वासन में तिब्बतियों का सबसे बड़ा समूह था। अगस्त 2018 में कर्नाटक राज्य तथा यहाँ के लोगों को उनकी मित्रता एवं उदारता पूर्ण समर्थन के लिए धन्यवाद देने हेतु मैंने बेंगलुरु में एक विशेष समारोह में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ था इसके लिए मैं कर्नाटक राज्य का आभारी हूँ।
कर्नाटक में पाँच आवासीय बस्तियाँ स्थापित करने के अलावा, तिब्बती समुदायों को पुनर्वासित करने की अनुमति प्रदान की। मुझे गर्व है कि यह वही राज्य है जहाँ हमारे कई प्रमुख शिक्षा संस्थान फिर से स्थापित हुए। अध्ययन की गंभीर व्यवस्था के माध्यम से ये संस्थान प्राचीन भारतीय ज्ञान की परंपराओं को जीवित रख रहे हैं, जिसमें मन की शांति को प्राप्त करने हेतु मूल्यवान शिक्षाएँ सम्मिलित हैं, जो हम तिब्बतियों को नालंदा परंपरा के अंग के रूप में प्राप्त हुई हैं।
परम पावन ने आगे कहा कि “एक बार पुनः हम कर्नाटक सरकार तथा लोगों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहते हैं कि उन्होंने इस कठिन समय के दौरान तिब्बतियों का गर्मजोशी एवं मैत्रीपूर्ण समर्थन प्रदान किया है”।
अंत में उन्होंने कहा कि “मैं इस अवसर पर कर्नाटक के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को परिपूर्ण करने में आने वाली चुनौतियों का सामना करने हेतु आपकी सफलता की कामना करता हूँ”।