पृथ्वी दिवस 2021 के अवसर पर, मैं दुनिया भर में सभी बंधु और भगिनियों से अपील करता हूँ कि इस नीले ग्रह पर हमारे समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं अवसरों दोनों पर विचार करें।
प्रायः मैं मज़ाक करते हुये कहता हूँ कि चाँद और तारे सुंदर तो दिखाई देते हैं, लेकिन अगर हममें से किसी ने भी वहां पर रहने का प्रयास किया होता, तो हम दुःखी होते। हमारा यह ग्रह एक रमणीय निवास स्थान है। इसका जीवन ही हमारा जीवन है तथा इसका भविष्य ही हमारा भविष्य है। वास्तव में, पृथ्वी हम सभी के लिए एक माँ की तरह कार्य करती है। बच्चों की तरह हम भी इसी पर निर्भर हैं। वैश्विक तापन के दुष्प्रभाव तथा ओज़ोन परत में क्षरण जैसी वैश्विक समस्याओं के सामने व्यक्तिगत संगठन और एकल राष्ट्र असहाय हैं। जब तक हम सब मिलकर कार्य नहीं करेंगे, इसका कोई हल नहीं निकल सकता है। हमारी धरती माँ हमें सार्वभौमिक कर्तव्य का पाठ पढ़ा रही है।
उदाहरण के लिए जल के मुद्दे को ही लें। आज दुनिया के अनेक भागों में पर्याप्त मात्रा में जल, सफ़ाई और स्वच्छ वातावरण के अभाव से विशेषकर, माताओं और बच्चों का जीवन पहले से कहीं अधिक संकट में है। दुनिया भर में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी लगभग दो अरब लोगों को प्रभावित कर रहा है जो कि एक गम्भीर चिंतनीय विषय है। तथापि यह समाधानीय है। मैं आभारी हूँ कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाने के लिए वैश्विक आह्वान किया है।
अन्योन्याश्रय प्रकृति का एक मौलिक नियम है। इसकी अज्ञानता ने न केवल हमारे प्राकृतिक पर्यावरण को, बल्कि हमारे मानव समाज को भी क्षत-विक्षत कर दिया है। इसलिए, हम सबको मानवता की एकता के विषय में गहन समझ विकसित करनी होगी। हममें से प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं अपने लिए, परिवार या राष्ट्र मात्र के लिए नहीं, बल्कि समस्त मानवजाति के हित के लिए कार्य करना सीखना होगा। इस संबंध में, मुझे खुशी है कि इस साल पृथ्वी दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति जो बाइडेन राष्ट्राध्यक्षों का जलवायु शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं, जिसमें विश्व के नेताओं को ऐसे मुद्दे पर चर्चा के लिए एक साथ ला रहे हैं, जो हम सबको समान रूप से प्रभावित करता है।
यदि हमारे ग्रह की निरंतरता को बनाये रखना है तो पर्यावरणीय शिक्षा को बढ़ावा तथा व्यक्तिगत स्तर पर कर्तव्यबोध की भावना को जागृत करना होगा। पर्यावरण का देखभाल करना हमारे दैनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए। मेरा स्वयं का पर्यावरण के प्रति जागरूकता यहां निर्वासन में आने के पश्चात् हुआ जब मैंने एक ऐसी दुनिया का सामना किया जो मेरे तिब्बत में रहते समय की दुनिया से बिलकुल भिन्न था। तभी मुझे अनुभव हुआ कि तिब्बत का पर्यावरण कितना शुद्ध रहता था लेकिन आधुनिक भौतिक विकास ने पूरे पृथ्वी पर जीवन को पतन की ओर ले जाने में कुयोगदान दिया है।
आइये इस पृथ्वी दिवस के अवसर पर हम सब इस पृथ्वी, जो कि हमारा एकमात्र खूबसूरत घर है, के वातावरण में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने हिस्से का कार्य करने हेतु संकल्प लेते हैं।
मेरी प्रार्थनाओं सहित,
दलाई लामा