थेगछेन छोएलिङ, धर्मशाला, हि. प्र. – प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 69वें जन्मदिन के अवसर पर परमपावन ने उन्हें पत्र लिखकर बधाई दी । उनकी लम्बी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना करते हुये परमपावन ने अपने पत्र में लिखा-
“एक दीर्घकालिक भारत का अतिथि तथा इस देश के प्रति गहन श्रद्धा और रूचि रखने वाले के नाते, आपके साहसपूर्ण नेतृत्व के लिए मैं बधाई देता हूँ । भारत की प्रगति न केवल भारतवासियों के लिए अपितु सम्पूर्ण विश्व के विकास में इसका योगदान होगा ।”
“जैसा कि मैंने पहले आपको एक संवाद के दौरान कहा था कि विश्व के पूर्व दिशा में सूर्य की भांति प्रकाशित प्राचीन भारतीय ज्ञान के प्रति भारतीय युवाओं द्वारा रूचि दिखाने से मैं अत्यन्त उत्साहित हूँ । मैं आश्वस्त हूँ कि आज विश्व में भारत की पुरातन परम्परा - ‘करुणा’ पर आधारित ‘अहिंसा’ न केवल प्रासंगिक है बल्कि इसकी अत्यन्त आवश्यकता है ।”
“ये सकारात्मक गुण, मन और भावनाओं की क्रियाशैली के ज्ञान में वृद्धि करते हुये मन को शांत करने के भारत की पारम्परिक विधि ‘शमथ’ और ‘विपश्यना’ ध्यान से उत्पन्न होते हैं । इन गुणों को नालन्दा परम्परा में जिस प्रकार से तर्क और हेतुओं से संयुक्त कर प्रतिपादित किया गया है, मुझे विश्वास है कि मानवता के सर्वांगीण विकास के लिए इसे आधुनिक शिक्षा में सहज रूप से संयोजित किया जा सकता है ।”
“मैं स्वयं को भारत का एक सन्देशवाहक समझता हूँ और इसलिए जब भी मैं दूसरे देशों के लोगों से मिलता हूँ, तो एक सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश एवं इसके अनूठे धार्मिक बहुलवाद के लिए मैं हमेशा भारत की प्रशंसा करता हूँ । आज भारत शांति और स्थिरता का उत्तम मिसाल है । जिस प्रकार यहां शांतिपूर्ण ढ़ंग से राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय चुनाव होते हैं वे भारत की पुरातन परम्परा की उपयोगिता के साक्षी हैं ।”
परमपावन ने पत्र को विराम देते हुये लिखा- “हम तिब्बत-वासियों के लिए भारत न केवल आध्यात्मिक शरण-स्थान है अपितु पिछले साठ वर्षों में हमारे लिए यह एक घर स्वरूप है । मैं इस अवसर पर, हमें आत्मीय और उदारतापूर्ण आतिथ्य प्रदान करने के लिए भारत सरकार और भारत की जनता के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ।”