जैसी उनकी आदत है, परम पावन दलाई लामा आज प्रातः अपने निवास से पैदल चुगलगखंग गए, मार्ग पर लोगों से बात करने के लिए रुके। मंदिर में सवर्प्रथम उन्होंने बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष अपना सम्मान व्यक्त किया तत्पश्चात माइंड एंड लाइफ सम्मेलन हेतु एकत्रित लोगों का अभिनन्दन करने हेतु मुड़े और पूछा कि वे किस तरह सोए और घोषणा की कि वे स्वयं नौ घंटे सोए थे। जिन लोगों का उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अभिनन्दन किया उनमें मेयो क्लिनिक के उनके मुख्य चिकित्सक थे।
आज के संचालक टोनी फिलिप्स ने परम पावन का स्वागत किया और उनके समय के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने समझाया कि आज प्रातः की तीन प्रस्तुतियाँ यह स्पष्ट करेंगी कि किस तरह हृदय की शिक्षा वास्तविक अभ्यास में शिक्षा को रूपांतरित कर रही है, जो कि परम पावन की सलाह के आधार पर है।
प्रथम वक्ता किम्बर्ली शॉनर्ट-रेशल, जिन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपनी आजीविका प्रारंभ की थी, पर अब एक वैज्ञानिक बन गईं है और जिन्हें सोशियल इमोशनल लर्निंग और कोलावोरेटिव फॉर एकाडेमिक सोशियल इमोशनल लर्निंग (सीएएसईएल) में काम करते हुए ३० वर्षों का अनुभव है। जिन बच्चों को इन कार्यक्रमों से लाभ हुआ है, उनके व्यवहार में अधिक दया भावना और शैक्षणिक उपलब्धियां, साथ ही कम आक्रामकता और भावनात्मक व्यथा पाई गई है। और तो और, चूँकि एसईएल विश्व भर में अधिक लोकप्रिय होता जाता है, २०१७ तक यह संयुक्त राज्य अमेरिका के ५०% राज्यों में स्वीकृत शिक्षा प्रणाली का भाग बन गया था, जिसमें १.५ लाख शिक्षक और २५ लाख छात्र शामिल थे। परिणामस्वरूप छात्र अब आम तौर पर न केवल यह शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं कि गणित कैसे पढ़ना और करना है, पर साथ ही अपनी भावनाओं से भी किस तरह निपटा जाए।
एसईएल, मूल दक्षताओं को प्रारंभ करते हुए ब्रिटिश कोलंबिया के कनाडाई प्रांत में शिक्षा का एक अभिन्न अंग बन गया है। शॉनर्ट-रेशल ने बालवाड़ी से कक्षा ८ तक माइंड अप, एक एसईएल कार्यक्रम के बारे में बताया, जिसमें वे मस्तिष्क के बारे में भी सीखते हैं और कृतज्ञता का अभ्यास भी सीखते हैं। छात्रों की प्रगति की निगरानी बताती है कि उनमें अधिक एकाग्रता और कम तनाव है। अवसाद की ओर उनकी प्रवृत्ति कम हो जाती है, जबकि उनकी दया बढ़ जाती है। वे स्वेच्छा से साझा करते हैं और स्वयं को सहायक और विश्वसनीय प्रमाणित करते हैं। उन्हें कार्यक्रम के विज्ञान में सम्मिलित किया जाता है और उन्हें यह स्पष्टीकरण प्राप्त होता है कि क्या और क्यों हो रहा है।
ब्रिटिश कोलंबिया में परिवर्तन के बल तथा अच्छाई की शक्ति के रूप में एक परम पावन को संदर्भित करते हुए, शॉनर्ट-रेशल ने उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
तत्पश्चात सोफी लैंग्री और तारा विल्की ने समझाया कि किस तरह पांच मूल दक्षताएँ आत्म-जागरूकता, आत्म-प्रबंधन, सामाजिक जागरूकता, संबंध कौशल और उत्तरदायी निर्णय लेने को तीन क्षेत्र के अंतर्गत - मैं, 'आप' और 'हम' क्रियान्वित किए जाते हैं। 'मैं' क्षेत्र के भीतर यह समझाया गया है कि भावनाओं की अलग ऊर्जा होती है। उदाहरणार्थ क्रोध और उत्तेजना की ऊर्जा उच्च होती है और ५ साल के बच्चों को अनुभूतियों से जुड़े १५ भावनाओं को पहचानने और नाम देने के लिए सिखाया जा सकता है। वे उनके अनुरूप मानवीय मूल्यों के संदर्भ में उनकी आवश्यकताओं के बारे में भी सीखते हैं जिनके साथ वे अपनी भावनाओं को विनियमित कर सकते हैं। इसी तरह बहुत छोटे बच्चों तक को भी भावनात्मक साक्षरता के बारे में सिखाया जा सकता है।
'आप' क्षेत्र में बच्चे दोनों अंतर और साथ ही संघर्ष के समाधान के बारे में सीखते हैं, जो मानव मूल्यों के आधार पर होता है, भावनाओं पर नहीं। 'हम' क्षेत्र में एक छठा घटक जोड़ा गया है - अन्योन्याश्रितता की सराहना करना। इस संदर्भ में बच्चे स्वयं तथा दूसरों के संदर्भ में दया का महत्व सीखते हैं। वे परियोजनाओं पर मिलकर काम करने का अभ्यास करते हैं।
विल्की ने एक छोटी सी लड़की की उदाहरणदर्शक कहानी सुनाई जो जल्दबाजी में एक कार्य पूरा करने का प्रयास कर रही थी, जिसे क्रोध आ गया और उसने अपशब्द कहा। उसे प्रधानाचार्य के कार्यालय में ले जाया गया, पर उसकी परेशानी बनी रही। जब उसे भावनाओं का एक चार्ट दिखाया गया तो वह अपनी भावनाओं को क्रोध और दुख के रूप में और उसकी दया की आवश्यकता की पहचान कर पाई।
'मैं' क्षेत्र में काम करने वाले छोटे बच्चों की एक लघु फिल्म क्लिप में देखा गया कि वे न केवल सीख रहे हैं, पर स्पष्टतया उसका आनंद भी ले रहे हैं।
संचालक ने टिप्पणी की कि अब तक जो दिखाया गया है वह यह था कि एसईएल पूरी तरह से विद्यालयीन व्यवस्था में एकीकृत हो रहा है, जिसमें छात्र, शिक्षक तथा माता-पिता शामिल हैं। उन्होंने टिप्पणी की कि न केवल हृदय को शिक्षित करने की बल्कि व्यवस्था को शिक्षित करने की भी आवश्यकता है।
"मैं वास्तव में प्रशंसा करता हूँ कि आप किस तरह इन परिवर्तनों को कार्यान्वित कर रहे हैं तथा उनके साथ आने वाले बच्चों में परिवर्तनों को देख पा रहे हैं," परम पावन ने उत्तर दिया। मुझे लगता है कि हमारे पूरे ७ अरब मानवों को 'हम' की एक बड़ी समझ विकसित करने की आवश्यकता है। और मैं चाहता हूं कि यूनेस्को जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकाय इन उपायों को लागू करेंगे। अमेरिका और यूरोप के साथ ही, हमें उन्हें मध्य पूर्व, अफ्रीका और अन्य स्थानों में लागू करने की आवश्यकता है। हमें गंभीर समस्याओं का सामना करने वाले देशों के साथ इस अनुभव को साझा करना होगा।
"शान्तिदेव इसे सारगर्भित रूप में कहते हैं - 'यदि आप दूसरों के कल्याण के बारे में चिन्ता नहीं करते तो बुद्धत्व के विषय में भूल जाओ; यहाँ तक कि इस जीवन में तुम्हें कोई आनन्द न प्राप्त होगा।' हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में सौहार्दता सुख का प्रमुख कारक है।"
किम्बर्ली शॉनर्ट-रेशल ने टिप्पणी की कि ओईसीडी के पास एक शिक्षा २०३० कार्यक्रम है जिसका लक्ष्य देशों को उत्तर ढंढने में सहायता देना है कि आज के छात्रों के लिए विश्व का विकास करने और आकार देने हेतु किस तरह के ज्ञान, कौशल, व्यवहार और मूल्यों की आवश्यकता है। रिचर्ड डेविडसन, जो स्वयं यूनेस्को के साथ जुड़े है, ने दिल्ली से बाहर काम करने वाले सहयोगियों का परिचय दिया।
"इज़राइल और फिलिस्तीनियों के बीच का संघर्ष पूरे मध्य पूर्व को प्रभावित करता है," परम पावन आगे जोड़ा। "अधिकतर इजरायली सुशिक्षित हैं। एक बार इज़राइल की यात्रा पर मैं एक यहूदी समूह का अतिथि था, अतः प्रारंभ में मैंने सब कुछ उनके दृष्टिकोण से सुना, पर जब कुछ दिनों के उपरांत मैंने फिलीस्तीनियों से भेंट की तो मैंने उनका पक्ष सुना और उन दोनों के बीच एक बड़ा अंतर था। बाद में, मैंने इजरायली और फिलिस्तीनियों के एक समूह से भी भेंट की जो सुलह के लिए काम कर रहे थे, जो महत्वपूर्ण है यदि इस क्षेत्र में शांति बनाए रखना है। चाहे इजरायल कितना शक्तिशाली हो, इन लोगों को एक दूसरे के निकट रहना होगा, साथ साथ रहना होगा, अतः सद्भाव से रहना बेहतर होगा।
"जब मैं यरूशलेम गया तो मैंने देखा कि इजरायली क्षेत्र हरे भरे थे, जबकि फिलिस्तीनी भूमि सूखी थी। ऐसा लगता है कि इजरायली अपने जल के उपयोग में बहुत ही कुशल हैं। वस्तु स्थिति कितनी बेहतर होती अगर उनकी विशेषज्ञता साझा की जाती।
"संभवतः माइंड एंड लाइफ वहाँ कुछ कर सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो समूचे पूरे मध्य पूर्व के लिए हितकारी हो सकता है।"
तारा विल्की ने टिप्पणी की कि वहां एसईएल को प्रभाव पूर्ण रूप में कार्य में लाया जा रहा ह। आरोन स्टर्न ने टिप्पणी की कि परम पावन ने जो कहा था वह सुनने में बहुत सुन्दर था, पर वे जानना चाहते थे कि मध्य अमेरिका में शिक्षा के बारे में क्या किया जा सकता है। परम पावन ने उत्तर दिया:
"मैं प्रायः देखता हूं कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली बहुत भौतिक है और ऐन्द्रिक चेतना से प्राप्त आनंद पर केंद्रित है, जबकि करुणा में मानसिक चेतना शामिल है। यही कारण है कि हमें चित्त किस तरह कार्य करता है उस विषय में एक बेहतर समझ की आवश्यकता है।"
सत्रों के मध्य चाय का अंतराल हुआ। जब प्रतिभागी पुनः एकत्रित हुए तो एमरी विश्वविद्यालय की जेनिफर नो ने एसईएल के साथ अपने कार्य की चर्चा की, जिसमें बड़े बच्चों के साथ एक अतिरिक्त नैतिक घटक भी शामिल है। उन्होंने तीन क्षेत्रों जागरूकता, करुणा और कार्यरत होना और तीन आयामों के विषय पर एक शिक्षक, कलाकार और मां के रूप में बात की। उन्होंने उल्लेख किया कि सामान्य दक्षता के साथ एक अन्य अन्योन्यश्रितता की सराहना भी जोड़ दी गई है। उन्होंने भावनाओं से निपटने के बारे में बात कर रहे छात्रों की एक वीडियो क्लिप भी दिखाई। उन्होंने उनकी समझ के महत्व पर बल दिया कि उनके पास एक विकल्प है। उन्होंने एक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी बल दिया जो करुणा की संस्कृति में होता है।
परम पावन ने यह टिप्पणी करते हुए इसे उठाया कि जब हम करुणा के बारे में बात करते हैं तो अपने लिए करुणा होना शामिल होना चाहिए। यह आत्म-बलिदान की बात नहीं है। उन्होंने टिप्पणी की कि उन्होंने एक मूर्ख स्वार्थ व एक बुद्धिमान स्वार्थ देखा है। चूंकि हम सामाजिक प्राणी हैं, जो अन्योन्याश्रित हैं, दूसरों के प्रति प्रेम व करुणा दिखाना बुद्धिमानी है। परम पावन ने अपने पुराने मित्र रिचर्ड मूर का उल्लेख किया, जो उत्तरी आयरलैंड में एक रबर गोली के कारण दृष्टिहीन हो गए थे। जब उन्हें होश आया और उन्होंने पाया कि वे दृष्टि खो चुके हैं, पर वे क्रोधित न हुए, उन्होंने अफसोस व्यक्त किया कि वे अब अपनी मां का मुख कभी न देख पाएँगे। मूर ने उस सैनिक से भेंट की जिसने उन पर गोली दागी थी। वे मित्र बन गए और अब संघर्ष क्षेत्रों में बाल कल्याण हेतु कार्य करते हैं। परम पावन मूर को अपने नायक के रूप में मानते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी कठिनाई का उत्तर दूसरों के प्रति करुणा जताकार किया।
जैसे ही प्रातः की प्रस्तुतियाँ समाप्त होने को आईं थुबतेन जिनपा ने परम पावन को यह सलाह देने के लिए आमंत्रित किया कि और क्या किया जाना चाहिए। परम पावन ने उत्तर देते हुए कहा कि जिन कार्यक्रमों के विषय में उन्होंने सुना है, उनके प्रति गहन सराहना के अतिरिक्त उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ नहीं था और उन्होंने कामना व्यक्त की कि उनका विकास और विस्तार करना संभव होगा।
जब सत्र समाप्त हुआ तो परम पावन धीरे-धीरे मंदिर के प्रांगण की ओर बढ़े जहाँ गाड़ी उन्हें उनके निवास स्थल ले जाने के लिए प्रतीक्षा कर रही थी। वह कल एक और प्रातःकालीन बैठक में सम्मिलित होंगे।