लेह, लद्दाख, जम्मू और कश्मीर - १५ जुलाई २०१७ आज प्रातः जब परम पावन दलाई लामा समतनलिंग विहार से रवाना हुए तो उगता सूर्य सुदूर पहाड़ों की ऊंचाई और मेघों के नीचे दिखाई पड़ रहा था। विहार के भिक्षु, कुछ अत्यंत वयोवृद्ध और कुछ बहुत ही युवा, उन्हें विदा देने के लिए एकत्रित हुए थे। विगत शाम स्थानीय लोगों ने विहार से लेकर मुख्य सड़क तक की गली को बुहारा और पानी छिड़का था। आज, उनमें से कई मार्ग पर पंक्तिबद्ध थे - धूप, स्कार्फ, फूलों के गुच्छे, जिनमें से अधिकांश ताजे पर कुछ चटकदार और कृत्रिम, हाथों में लिए। अधिकांश पारम्परिक लद्दाखी वेशभूषा में सुसज्जित थे। बीच बीच में एकाध महिला को दूध का छलकता कटोरा लिए थी जिस की सतह पर मक्खन तैर रहा था।
परम पावन के दल ने खरदुंगला दर्रे की ओर जाती खाली सड़क पर गति बढ़ा दी। चोटी पर पहुँचने से पहले, एक ऐसे स्थान पर जहाँ एक श्वेत बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई है, एक अंतराल के लिए दल सड़क के एक ओर हो गया। ठिकसे रिनपोछे द्वारा परम पावन और उनके दल के लिए चाय और नाश्ते का आयोजन किया गया था। परम पावन ने स्थानीय लोगों से संक्षेप में बात की, जो उन्हें देखने के लिए एकत्रित हुए थे और उन्हें यह बताया कि सौहार्दता का विकास करना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने उन्हें अवलोकितेश्वर और तारा के मंत्र दिए। वहाँ से रवाना होने से पूर्व परम पावन ने शयोक नदी के स्रोत को आशीर्वचित करने के अनुरोध को स्वीकार किया जो कि पास में निकलती है।
दर्रे की चोटी पर दल पुनः रुका और परम पावन ने १८३८० फीट/५,३५९ मीटर पर विश्व के सबसे ऊंचे दर्रे, जहाँ गाड़ियाँ चलती हैं, पर पर्यटकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित चिकित्सा सुविधा देखने और आशीर्वचित करने के अनुरोध को स्वीकार किया। फिर से लोग उनकी एक झलक पाने के लिए उमड़े। दर्रे के दोनों ओर की सड़क को लगातार रखरखाव की आवश्यकता होती है क्योंकि पिघलते बर्फ, चट्टानों और कीचड़ का मिश्रण छोटे भूस्खलन का कारण बनता है। जब परम पावन वहाँ से गुज़रे तो सड़क कर्मियों के दलों ने उनका अभिनन्दन किया। चाय के लिए एक और पड़ाव था जब पहाड़ी की ढलान के मार्ग पर लोगों ने परम पावन के स्वागत की तैयारी की थी।
दर्रे से लेह दूर से दिखाई पड़ता है और जब सड़क नीचे जाती है तो शांति स्तूप और भी निकट से दृष्टिगोचर होता है। जब परम पावन का दल शहर होता हुआ गुज़रा तो लगा कि जैसे पूरी आबादी, युवा और वयोवृद्ध, हर समुदाय, स्थानीय लोग और विदेशों से पर्यटक उनके स्वागतार्थ निकल आए हैं। उनके गुज़रते समय बार-बार शुभचिंतक परम पावन की दृष्टि में पड़ते प्रतीत होते और आनंदातिरेक से अपने साथियों को गले लगाने के लिए मुड़ते।
परम पावन मध्याह्न भोजन के लिए समय पर शिवाछेल फोडंग के शांत अभयारण्य पहुँच गए। कल, तड़के ही वे चार दिन की ज़ांस्कर यात्रा के लिए रवाना होंगे।