लेह, लद्दाख, जम्मू एवं कश्मीर, भारत, २५ जुलाई २०१६ - परम पावन आज प्रातः सूर्योदय से पहले ही धर्मशाला से जम्मू के लिए रवाना हुए। वे पठानकोट के पास थोड़ी देर के लिए रुके जहाँ निकट के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहे स्कूली बच्चों के एक समूह ने परम पावन का अभिनन्दन पुष्पों तथा मुस्कान के साथ किया। जैसे ही लेह-गंतव्य विमान ने जम्मू से उड़ान भरी और बादलों से ऊपर उठा, बर्फ से ढकी पहाडियाँ दृष्टि से ओझल हुईं जिसके पश्चात शीघ्र ही लेह घाटी की बंजर भूरे रंग की पहाड़ियाँ दृष्टिगोचर हुईं।
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जैसे ही परम पावन दलाई लामा, कुशोक बकुला रिनपोछे हवाई अड्डे (मुख्य समुद्री स्तर से ३,२५६ मीटर की ऊँचाई पर) विमान से उतरे, गदेन ठि रिनपोछे, डिगुङ छेछंग रिनपोछे और अन्य लामाओं ने उनका स्वागत किया। लद्दाख मामलों और सहकारी समितियों के लिए जम्मू एवं कश्मीर के मंत्री छेरिंग दोर्जे, लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के डॉ सोनम दावा, लेह विधायक नवांग रिगजिन जोरा, बौद्ध समुदाय और मुस्लिम समुदाय के नेता और कई अन्य लोगों ने भी परम पावन का स्वागत परंपरागत स्कार्फ से किया।
हजारों की संख्या में लोग, कई अपनी बेहतरीन वेश भूषा में पारम्परिक स्कार्फ, फूल और धूप लिए हवाई अड्डे से शिवाछेल फोडंग मार्ग पर पंक्तिबद्ध हो खड़े थे। अपने नवजात शिशुओं को लेकर माएँ परम पावन से आशीर्वाद लेने हेतु मार्ग पर खड़ी थीं। १२ किलोमीटर के मार्ग को तय करने में एक घंटे से अधिक का समय लग गया।
शिवाछेल फोडंग लद्दाख में परम पावन के सरकारी आवास पर पहुँचने पर परम पावन ने अपने आवास के नीचे एक छोटे सभागार में अपना आसन ग्रहण किया जहाँ लामा, स्थानीय नेता, नागरिक और पुलिस दोनों, साथ ही धार्मिक और सामुदायिक नेता एकत्रित थे। लद्दाख बौद्ध संघ के अध्यक्ष, गदेन ठि रिनपोछे और स्थानीय तिब्बती बंदोबस्त अधिकारी ने परम पावन के लिए त्रि आश्रय मण्डल प्रस्तुत किया।
परम पावन ने एकत्रित हुए सभी लोगों का अभिनन्दन किया और उन्हें एक सौहार्दतापूर्ण और सच्चे स्वागत के लिए धन्यवाद दिया। परम पावन ने श्रोताओं के लिए अपनी तीन प्रतिबद्धताओं को रेखांकित किया - मानवीय मूल्यों, धार्मिक सद्भाव और तिब्बती बौद्ध संस्कृति को बढ़ावा देना। उन्होंने उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी हाल की यात्रा के बारे में जानकारी दी जहाँ विश्व में धर्मनिरपेक्ष नैतिकता की आवश्यकता के विषय में उन्हें महापौरों के अमेरीकी सम्मेलन को संबोधित करने का अवसर प्राप्त हुआ था। इन महापौरों में से कइयों ने जो बढ़ती रुचि दिखाई वह अत्यंत उत्साहवर्धक थी।
परम पावन ने उन्हें धर्मनिरपेक्ष नैतिकता पर आधारित एक पाठ्यक्रम के प्रारंभ करने के प्रयासों के बारे में जानकारी दी जिसको लेकर वे आशावान थे कि वह इस वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने स्थानीय नेताओं से अनुरोध किया कि वे लद्दाख के स्थानीय विद्यालयों में इस पाठ्यक्रम को प्रारंभ करने पर विचार करें।
अंत में, दिनांत में विश्राम हेतु जाने से पूर्व, परम पावन ने उन्हें सूचित किया कि वे आगामी तीन से चार सप्ताह तक लेह में बिताएँगे जिसमें दो सप्ताह विश्राम का समय होगा जिस अवधि में कोई नियोजित कार्यक्रम न होंगे।