वाशिंगटन डीसी, संयुक्त राज्य अमेरिका, १४ जून २०१६ - भारत से कल वाशिंगटन में आकर और जैसा कि उन्होंने आज प्रातः घोषित किया कि विगत रात्रि दस घंटे की नींद के बाद, परम पावन दलाई लामा का पहला कार्यक्रम युनाटेड इंस्टिट्यूट ऑफ पीस (यूएसआइपी)में था। इंस्टिट्यूट की अध्यक्षा नैन्सी लिंडबोर्ग और हाउस डेमोक्रेटिक नेता नैन्सी पलोसी ने द्वार पर उनसे भेंट की और उन्हें प्रातःकालीन नाश्ते की बैठक में ले गए । उनका परिचय कराती हुईं श्रीमती पेलोसी ने कहा:
"परम पावन की यात्रा सदैव एक समारोह जैसी होती है और आज ऑरलैंडो त्रासदी के संदर्भ में हमें आपकी आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।" उन्होंने उत्तर दियाः
"सच्ची शांति आंतरिक शांति से आनी चाहिए। यदि हम कुंठा, शंका और अविश्वास से भरे हुए हों तो शांति को पाना लगभग असंभव है। यूएसआइपी को हृदय परिवर्तन आशीर्वाद पर निर्भर न होकर जागरूकता के आधार पर प्रोत्साहित करना चाहिए। हम सुखी होते हैं अथवा दुखी, सीधे तौर पर हमारे कर्मों पर निर्भर करता है। मैं जानता हूँ कि यूएसआइपी शांति के निर्माण को लेकर प्रतिबद्ध है। मेरा विश्वास है कि इसे प्राप्त करने के लिए हमें शिक्षा की आवश्यकता है। भौतिकवादी लक्ष्यों पर केंद्रित आज की शिक्षा को आंतरिक मूल्यों की ओर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि यह किया जा सके, तो हम इस सदी के मध्य तक एक और अधिक शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण कर सकते हैं।"
जब नैन्सी लिंडबोर्ग ने हाल ही के यूएसआइपी के नेतृत्व में संघर्षशील देशों के युवा नेताओं के धर्मशाला में परम पावन से मिलने की यात्रा का उल्लेख किया, तो परम पावन ने टिप्पणी की कि इन युवाओं में सच्चा दृढ़ संकल्प और साहस था जिसको उन्होंने परिवर्तन के लिए आशा के वास्तविक संकेत के रूप में लिया था। प्रश्नों के अपने उत्तर में उन्होंने एक मसौदे पाठ्यक्रम की बात की, जो आधुनिक शिक्षा में मानवीय मूल्यों को शामिल करने के लिए विकसित किया जा रहा है, जिसके लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण की आवश्यकता भी होगी। ये पूछे जाने पर कि शरणार्थियों की वर्तमान रूप में किस प्रकार सहायता की जाए, उन्होंने कहाः
"मैं उन सभी देशों की प्रशंसा करता हूँ जो उनकी सहायता कर रहे हैं, परन्तु मात्र आश्रय प्रदान करना पर्याप्त नहीं है। दीर्घकालिक समाधान उन स्थानों में शांति बहाल करना है जहाँ से ये पलायन कर रहे हैं। इस बीच उनके युवा लोगों को समय रहते अपने देशों के पुनर्निर्माण के लिए सक्षम करने हेतु उन्हें शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
"जीवन श्रमसाध्य है, पर उसके साथ तालमेल बिठाना और अधिक सरल होता है यदि आपमें चित्त शांति है। इसे प्राप्त करने का एक उपाय शिक्षा के संबंध में एक और अधिक समग्र दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना है, जो वैज्ञानिक निष्कर्षों, आम अनुभव और सामान्य ज्ञान पर आधारित अधिक सौहार्दता पोषित करती है।"
नैन्सी लिंडबोर्ग ने बैठक का समापन कलदेन टी लोडो, तिब्बती प्रतिनिधि केदोर औकाछंग तथा यूएसआइपी उपाध्यक्ष जॉर्ज मूस को धर्मशाला की यात्रा को साकार करने के लिए धन्यवाद देते हुए किया।
फ्रैंक कारलुची सभागार में एक विशाल श्रोता दल के समक्ष चर्चा के लिए जाते हुए परम पावन ने बैठक का प्रारंभ ऑरलैंडो में त्रासदी के स्मरण में क्षण भर की मौन प्रार्थना के लिए अनुरोध करते हुए किया। स्वयं का परिचय यूएसआइपी के अध्यक्ष के रूप में देते हुए नैन्सी लिंडबोर्ग ने कहा, "विश्व की सुरक्षा के लिए शांति संभव, व्यावहारिक और आवश्यक है।" धर्मशाला में २८ युवा नेताओं को ले जाने की पुनः चर्चा करते हुए उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को एक लघु वीडियो, जिसमें जो घटा था उसका संक्षेप रूप था, देखने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, "हम आपके २१वीं शताब्दी को शांति के युग के रूप में देखने के दृष्टिकोण से साझा रखते हैं।"
"हम सबमें भय और क्रोध से संबंधित समस्याएँ हैं," परम पावन ने अपने संबोधन में कहा, "परन्तु कठिनाइयों को सहन करना बहुत सरल हो जाता है यदि आपमें मानसिक शक्ति हो। अपने ही संबंध में, १६ वर्ष की आयु में मैंने अपनी स्वतंत्रता खो दी और जब मैं २४ वर्ष का था तो अपना देश खो दिया। उसके बाद मुझे कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, पर मेरा चित्त शांतिपूर्ण रहा है।
"आज जीवित सभी ७ अरब मनुष्य मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से एक जैसे हैं। हम सब में चित्त की शांति पाने की समान क्षमता है। कुछ लोग भ्रांति से निष्कर्ष निकालते हैं कि करुणा का विकास दूसरों के लाभ के बारे में है, जबकि वास्तव में पहला लाभ तो हमारा अपना होता है। करुणा हममें चित्त शांति लाती है। यह मित्रों को आकर्षित करती है। मित्र विश्वास पर आधारित होते हैं और विश्वास उस समय विकसित होता है जब हम दूसरों के प्रति चिंता जताते हैं। मैं वास्तव में इन युवा लोगों की प्रशंसा करता हूँ, जो मुझसे मिलने आए, न केवल अपनी रुचि के लिए, पर जिस कार्य को करने का बीड़ा उन्होंने अपने देशों के लिए उठाया है।"
स्तंभकार माइकल गेरसन ने धर्मशाला युवा कार्यशाला को रॉबर्ट कैनेडी ने ५० वर्ष पूर्व जो केप टाउन में कहा उसके संदर्भ में वर्णित किया कि, "प्रत्येक बार एक व्यक्ति किसी आदर्श के लिए खड़ा होता है, या फिर दूसरों की दशा सुधारने के लिए कार्य करता है, या अन्याय के खिलाफ संघर्ष छेड़ता तो वह आशा की एक छोटी तरंग भेजता है ... "
सिदी मौमेन सांस्कृतिक केंद्र, जो कैसाब्लांका, मोरक्को में एक बड़ी झुग्गी बस्ती है, की एक युवा नेता, सौकैइना हमिया ने कहा कि उसने और अधिक ईमानदार होना सीखा था, कि उसे उन्मुक्त होने के लिए किसी भी रूप से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं थी। "हम सब एक मानव परिवार के सदस्य हैं," उन्होंने कहा। "हम शांति और प्रेम हैं। ज्ञान उसी समय वास्तविक होता है जब वह साझा किया जाता है। हमें एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना चाहिए, जो स्वयं को शांति के लिए हर दिन बार बार समर्पित करती है।"
नाइजीरिया से विक्टोरिया इबिवोइ, एक ऐसे समूह के साथ काम करती हैं जो कमजोर बच्चों और युवाओं की सहायता करता है, ने कहा, "हमारे पास शांति के लिए काम करने का विकल्प है। हमारे पास समुदाय के हृदय में शांति का निर्माण करने का अवसर है। हम कहानी को बदलना चाहते हैं।"
श्रोताओं की ओर से किए गए प्रश्नों में, परम पावन से हिंसक परिस्थितियों में लड़कियों और महिलाओं के लिए सलाह मांगी गई। उन्होंने समझाया कि किस तरह प्रारंभिक मानव समूहों में संभवतः कोई नेता न था, पर एक बार कृषि और संपत्ति की भावना उभरी तो उसकी आवश्यकता आन पड़ी। उस समय कसौटी शारीरिक शक्ति थी और इसी कारण पुरुष प्रमुख बन गए। परन्तु शिक्षा ने पुरुषों व स्त्रियों के बीच अधिक समानता लेकर आई है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय जब हमें सौहार्दता की एक बड़ी भावना को प्रोत्साहित करना है, चूँकि महिलाएँ दूसरों की पीड़ा के प्रति अधिक संवेदनशील होती है, उनके द्वारा अधिक सक्रिय भूमिका लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वे सोचते हैं कि यदि विश्व के करीब २०० देशों का नेतृत्व महिलाओं द्वारा किया जाए तो विश्व एक और अधिक शांतिपूर्ण स्थान हो सकता है। दो प्रतिनिधियों की ओर देख मुस्कुराते हुए उन्होंने टिप्पणी की:
"हमारी बैठक में आने के लिए धन्यवाद। मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है।"
उनकी युवा नेताओं को सलाह निराशा को दूर करने की, अन्य लोगों के साथ मिलने, उन्हें सह मानव के रूप में पहचानने, और उनके साथ मित्रता करने की थी।
जब परम पावन भवन से निकल रहे थे तो यूएसए के ओरेन डोरेल ने उनकी बैठक के विषय में पूछा जिसमें वे अभी सम्मिलित हुए थे। परम पावन ने चित्त की शांति के विकास के महत्व को दोहराया। उन्होंने उसे मुख्य कारण के रूप में उद्धृत किया कि उनके मित्र कहते हैं कि यद्यपि वह अब लगभग ८१ वर्ष के हो चुके हैं पर उनका चेहरा कम उम्र का लगता है। उन्होंने मध्याह्न भोजनोपरान्त रायटर के डेविड ब्रोन्नस्ट्रोम के साथ एक साक्षात्कार में इस विषय को जारी रखा, उसे यह बताते हुए कि शांति वहीं बढ़ सकती है जहाँ लोगों मे आंतरिक शांति है। उन्होंने अपने मुसलमान भाइयों और बहनों को अलग-थलग न करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने एक बार पुनः वर्तमान शरणार्थी संकट के संदर्भ में दोहराया कि महत्वपूर्ण कारक संघर्ष विराम को प्राप्त करना और उन स्थानों पर शांति बहाल करना है जहाँ से लोग पलायन कर रहे हैं।
ब्रोन्नस्ट्रोम ने पूछा कि परम पावन ने, जो पहले महिला नेतृत्व के बारे में कहा है उसके संदर्भ में क्या अमेरिका के लिए एक महिला राष्ट्रपति का होना अच्छा होगा। परम पावन ने कहा कि वे मात्र इतना कहेंगे कि उन्हें विश्वास है अमेरिका के लोग सही चयन करेंगे। उन्होंने यह कहते हुए समाप्त कियाः
"मैं राष्ट्रपति ओबामा की परमाणु शस्त्रों को कम करने और अंततः समाप्त करने की हाल की पहल का समर्थन करता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि यह सफल होगा।"
मध्याह्न में अमेरिकी विश्वविद्यालय में, इंटरनेशनल केम्पेन फॉर टिब्बेट के अध्यक्ष रिचर्ड गियर, हाउस डेमोक्रेट नेता, नैंसी पेलोसी और केपिटेल एरिया टिब्बटेन एसोसिएशन के अध्यक्ष जिगमे गोरप ने परम पावन का स्वागत किया। अपने परिचय में श्रीमती पेलोसी ने हाल ही में तिब्बत गए प्रतिनिधिमंडल की बात की, जहां स्थानीय अधिकारियों ने धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति उनके सम्मान के साक्षी के रूप में मंदिर की छत को सोने से मढ़वाने का दावा किया, जबकि जो महाविहारों में अध्ययन किया जाता है वह प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा कि तिब्बती लोगों का मित्र बनने से बेहतर परम पावन का सम्मान करने का और कोई रास्ता नहीं है। रिचर्ड गियर ने अपनी ओर से परम पावन का वर्णन तिब्बती लोगों के सबसे बड़े प्रवक्ता और अहिंसा के एक अनुकरणीय प्रस्तावक के रूप में किया।
"प्रिय भाइयों और बहनों, मैं आप सबको यहाँ देख बहुत खुश हूँ," परम पावन ने प्रारंभ किया। "मनुष्य के रूप में हमारे पास एक अद्भुत मस्तिष्क है और हमें जीवन में खुशी पाने के लिए और दुःख से बचने के लिए इसका उपयोग करना है। वैज्ञानिकों को संकेत मिल रहे हैं कि आधारभूत मानव स्वभाव करुणाशील है और हमें सच्ची आशा देता है। यह हमें समुदाय की भावना को बढ़ावा देने और अनंत परोपकारिता को विकसित करने में सक्षम करता है।
"हम काफी समस्याओं सामना करते हैं जिनमें से कई हमारे अपने बनाए हैं जो क्रोध और आत्मकेन्द्रितता से उत्पन्न होते हैं। पर हम बदल सकते हैं। हम दूसरों के प्रति अपनी चिंता का विस्तार सीखने के लिए अपने मस्तिष्क का उपयोग कर सकते हैं, यह पहचानते हुए कि मनुष्य रूप में हम शारीरिक मानसिक और भावनात्मक रूप से एक समान हैं। हम सबकी आधारभूत प्रकृति में करुणा का एक बीज है। जब किसी ने कल मुझ से हीथ्रो हवाई अड्डे पर मेरे सुख का रहस्य पूछा, तो मैंने उत्तर दिया कि यह एक रहस्य है, पर फिर उससे कहा कि यह चित्त की शांति का होना है।
"शिक्षा हमारी सोच के तरीके को परिवर्तित करने में सहायता कर सकती है। २०वीं सदी की पीढ़ी, जिसका कि मैं एक अंग हूँ, ने बहुत समस्याएँ खड़ी की हैं जिनका समाधान आप जो २१वीं सदी के हैं, उन्हें निकालना है। यदि हम एक शांत और करुणाशील दृष्टिकोण अपनाएँ तो मेरा मानना है कि हम एक बेहतर, अधिक शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण कर सकते हैं, पर यदि अगर दूसरों के साथ झगड़ा, धोखा और शोषण करना जारी रखें तो हम केवल और अधिक दुख देखेंगे।"
भोट भाषा में बोलते हुए उन्होंने तिब्बतियों को प्रोत्साहित किया कि वह केवल अपनी आजीविका के विषय में न सोचें, पर स्मरण रखें कि वे तिब्बत के संदेशवाहक हैं। उन्होंने उन्हें सलाह दी कि वे अपनी संस्कृति के मूल्य की सराहना करें, यह स्मरण रखें कि तिब्बती बौद्ध धर्म सीधे नालंदा परम्परा से आई है। उन्होंने सुझाया कि इस परम्परा में उनके अपने प्रशिक्षण ने, बिना किसी आधुनिक शिक्षा के उन्हें तीस वर्षों से भी अधिक वैज्ञानिकों के साथ सार्थक विचार विमर्श करने में लैस किया था।
उन्होंने सुझाया कि चित्त और भावनाओं के नियमन के कामकाज की समझ कुछ ऐसा है जिससे तिब्बती विश्व को योगदान दे सकते हैं। यह विश्लेषण करना कि क्या क्रोध का कोई मूल्य है या फिर सौहार्दता अधिक सहायक है एक उदाहरण है। उन्होंने कहा जहाँ ऐसा प्रतीत हो सकता है कि क्रोध ऊर्जा लाता है, पर यह अंधा होता है। उन्होंने पुनः शिक्षा के महत्व पर बल दिया।
उन्होंने एक निर्वाचित नेतृत्व के लिए अपने राजनीतिक अधिकार को त्यागने और आधुनिक विश्व के अनुकूल करने की आवश्यकता के संदर्भ में भविष्य की राजनीतिक गतिविधि से दलाई लामाओं की संस्था को अवकाश दिलाने के उनके प्रयास का संदर्भ दिया।
मंच से नीचे आते हुए, परम पावन अपना रास्ता बनाते हुए गए सीधे श्रोताओं की सामने वाली पंक्ति की ओर गए, जो उनसे संपर्क बनाने के लिए उत्सुक थे, हाथ मिलाते, पुराने मित्रों के साथ कुछ शब्दों के आदान प्रदान, और कुछ नन्हें बच्चों का नामकरण। अंत में उन्होंने हाथ हिलाते हुए विदा ली और श्रोताओं के "दलाई लामा दीर्घायु हों" की गूंज के बीच कार में अपने होटल लौटने के लिए चढ़ गए।