साल्ट लेक सिटी, यूटा, संयुक्त राज्य अमेरिका, २२ जून २०१६ - आज प्रातः परम पावन दलाई लामा ने हंट्समेन कैंसर इंस्टिट्यूट, जो यूटा विश्वविद्यालय का हिस्सा है, का दौरा किया। विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डेविड पर्शिंग और हंट्समेन कैंसर इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉ मैरी बेकरली ने आगमन पर उनका स्वागत किया। उन्होंने उनका चिकित्सकों, परिचारकों और स्वास्थ्य लाभ पाए रोगियों से मिलवाने हेतु हंट्समेन कैंसर लर्निंग सेंटर में अनुरक्षण किया। डॉ मैरी बेकरली ने उन्हें बताया कि चूँकि लोग अधिक समय तक जीवित रहते हैं, कैंसर की अधिक घटनाएँ हैं, पर साथ ही उनके ठीक होने और बचने की संख्या भी अधिक है। उन्होंने अपने कर्मचारियों, जिनमें से दो तिब्बती हैं, देखभाल करने वालों और पूर्व रोगियों का परिचय कराया।
सलाह देने के लिए आमंत्रित किए जाने पर, परम पावन ने कहाः
"रोग हमारे जीवन का एक अंग है। लोग उपचार के लिए अस्पताल आते हैं। चिकित्सा शास्त्रीय बौद्ध अध्ययन के पांच विज्ञानों में एक है। दूसरों की देख भाल करना एक बोधिसत्व का काम है और जो लोग यह कर रहे हैं, मैं उनकी अत्यंत सराहना करता हूँ। कैंसर एक गंभीर रोग है और यह बहुत अच्छी बात है कि आप लोगों को इस पर काबू पाने में सहायता कर रहे हैं। स्वास्थ्य लाभ का एक महत्वपूर्ण पक्ष आशावादी और दृढ़ बना रहना है, पर डॉक्टर का व्यवहार भी एक अंतर ला सकता है। हम तिब्बतियों में एक कहावत है कि एक चिकित्सक कुशल हो सकता है, पर उसमें करुणा का अभाव है। उसका साथी जो कम कुशल है, पर सौहार्दता से पूर्ण है, वह अधिक प्रभावी प्रतीत हो सकता है। वास्तव में रोगियों के प्रति प्रेम और स्नेह दिखाना सहायक हो सकता है। मेरे अपने अनुभव में यदि डॉक्टर या देखभाल करने वाले बिना मुस्कुराए या स्नेह जताए अपना कार्य करते हैं, तो यह आपको आशंकित करता है, जबकि रोगियों के मन में आराम की भावना डालना महत्वपूर्ण है।"
सुविधाओं और रोगियों को उनके आशीर्वाद देने के अनुरोध किए जाने पर, परम पावन ने कुछ विस्तार से अपनी शंका व्यक्त की। उन्होंने सुझाया कि चिकित्सकों और परिचारकों को एक सार्थक जीवन जीना और अपने कार्य को ईमानदारी से करना आशीर्वाद का वास्तविक स्रोत है। और यह व्यक्तिगत संतुष्टि की एक वास्तविक भावना भी लाता है। चूंकि डॉ बेकरली ने उल्लेख किया था कि उपचार में जागरूकता का उपयोग अधिक किया जा रहा है, परम पावन ने सुझाव दिया कि समूह मौन होकर एक साथ ध्यान करें। संस्थान के बाहर जाते हुए परम पावन ने कई रोगियों से भेंट की और उन्हें धीरज बंधाया जिनका उपचार चल रहा था।
वापस होटल पहुँचकर उन्होंने यूटा के गवर्नर गैरी हर्बर्ट और उनकी पत्नी के साथ बातचीत में कुछ समय बिताया और उसके बाद उनके और अन्य २५० अतिथियों के साथ मध्याह्न के भोज में शामिल हुए। इस पर बल देते हुए कि परम पावन को अपने मध्य पाकर वे कितना सम्मानित अनुभव कर रहे हैं, गवर्नर ने श्रद्धेय स्कॉट हयाशी से एक प्रार्थना करने का अनुरोध किया। जब सब ने भोजन समाप्त कर लिया तो गवर्नर हर्बर्ट ने परम पावन का परिचय वैश्विक बंधुत्व के प्रतीक के रूप में करवाते हुए उनसे संबोधन करने का अनुरोध किया।
"जहाँ भी मुझे बोलने का अवसर प्राप्त होता है," परम पावन ने प्रारंभ किया, "मैं श्रोताओं को भाइयों और बहनों के रूप में संबोधित करते हुए प्रारंभ करता हूँ। मेरा मानना है कि यदि हम आज जीवित ७ अरब मनुष्यों को अपने भाई और बहनों के रूप में सोचें तो जिन कई समस्याओं का सामना हमें करना पड़ रहा है वे दूर जाएँगी। आधारभूत स्तर पर हम सभी मनुष्य रूप में एक समान हैं। हम सभी एक सुखी जीवन व्यतीत करना चाहते हैं और हम सभी को ऐसा करने का अधिकार है।"
उन्होंने अपनी तीन प्रतिबद्धताओं की चर्चा की, सुख की खोज में मानवीय मूल्यों की भूमिका के प्रति अधिक जागरूक होने के लिए लोगों की सहायता करने की उनकी प्रतिज्ञा। उनकी दूसरी प्रतिबद्धता अंतर्धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना, यह ध्यान में रखते हुए कि सभी धार्मिक परंपराएँ अपने विभिन्न दार्शनिक दृष्टिकोणों के बावजूद प्रेम और करुणा का एक जैसा संदेश संप्रेषित करती हैं। उन्होंने एक पुनः व्यर्थ के प्रलाप को खारिज कर दिया, जो इस्लाम को हिंसा और आतंकवाद से जोड़ता है। उन्होंने उऩ मुसलमान समुदायों का उल्लेख किया जो उत्तर-पूर्वी तिब्बत में उनके जन्मस्थान के आसपास के क्षेत्र में रहते हैं और अन्य जो ल्हासा में रहते हैं - सभी अत्यंत कोमल लोग हैं। उन्होंने दोहराया कि वे सोचते हैं कि 'मुस्लिम आतंकवादियों' के रूप में संदर्भित करना गलत है जिस प्रकार 'बौद्ध आतंकवादियों' के रूप में उल्लेखित करना है गलत है। उन्होंने कहा कि एक आतंकवादी सिर्फ आतंकवादी है और यदि वे दूसरों को हानि पहुँचा रहे हैं तो वे अपने धर्म का उचित रूप से पालन नहीं कर रहे।
उन्होंने कहा कि तीसरे, चूँकि तिब्बत में ९९% तिब्बतियों ने पिछले ६० वर्षों से उन पर अपना विश्वास बनाए रखा है वे तिब्बत की समृद्ध संस्कृति, भाषा और प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण को लेकर एक उत्तरदायित्व का अनुभव करते हैं।
मध्याह्न यूटा विश्वविद्यालय में १२,००० श्रोताओं के समक्ष, अध्यक्ष डेविड पर्शिंग ने परम पावन को एक बेहतर विश्व के निर्माण हेतु उनके कार्य के लिए राष्ट्रपति का पदक और उनकी आंखों की सुरक्षा के लिए यू के छज्जे का एक श्वेत यू प्रदान किया। अपने संबोधन में परम पावन ने दोहराया कि मनुष्य रूप में हम सब समान हैं।
"यदि आप इस वक्ता के बारे में कुछ विशेष रूप से सोचें तो मुझे जो कहना है वह बहुत प्रासंगिक नहीं होगा। पर यदि आप चिंतन करें कि आधारभूत रूप में हम सभी समान हैं तो जो मुझे कहना है उसका कुछ लाभ हो सकता है। जब हम जन्म लेते हैं और जब हम मरते हैं, बल्कि जब हम अस्पताल भी आते हैं तो वहाँ औपचारिकता के लिए कोई स्थान नहीं है। औपचारिकता, एक तरह का कारावास है, एक मकड़ी की तरह जो अपने स्वयं के जाल में फँस जाती है।
"हमने बहुत अधिक सफलता के बिना १००० वर्षों से शांति के लिए प्रार्थना की है। हमें यह पूछना है कि कौन है जो शांति का उल्लंघन करता है और हिंसक संघर्ष निर्मित करता है और उत्तर है हम करते हैं।"
परम पावन ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब तक हम अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं लाते २१वीं शताब्दी २०वीं सदी की तरह पीड़ा और रक्तपात की अवधि होने का संकट रखती है, एक ऐसा युग जिसमें २०० अरब लोग हिंसक संघर्ष में मारे गए। यूरोप में, जहां १०० वर्ष पूर्व फ्रेंच और जर्मन एक दूसरे को शत्रु की तरह देखते थे, डी गॉल और एडनाउएर ने यूरोपीय संघ की स्थापना की। परिणामतः यूरोप में पिछले ७० वर्षों से शांति कायम है। उन्होंने बी बी सी की सूचना दी और कहा कि आज अधिक से अधिक युवा लोग स्वयं को प्राथमिक रूप से वैश्विक नागरिक के रूप में देखते हैं, एक उत्साहजनक संकेत है।
उन्होंने कहा कि अब हमें जिसकी आवश्यकता है वह आम अनुभव, सामान्य ज्ञान और वैज्ञानिक निष्कर्ष पर स्थापित नैतिक सिद्धांतों की भावना है। यदि युवाओं को इस तरह के नैतिक सिद्धांतों के मूल्य में शिक्षित किया जा सके और वे समझें कि तब तक विश्व शांति नहीं हो सकती जब तक व्यक्ति चित्त की शांति को विकसित नहीं कर लेते और इस शताब्दी के अंत से पहले एक अधिक सुखी और अधिक शांतिपूर्ण विश्व की आशा होगी।
परम पावन ने श्रोताओं में तिब्बतियों से तिब्बती में संक्षेप में बात की, और स्वीकार किया कि तिब्बत के लंबे इतिहास में यह सबसे कठिन समयों में से एक रहा है। यह निर्वासन में रह रहे लोगों के लिए अवसर की भी अवधि रहा है, जबकि तिब्बत में तिब्बतियों की भावना प्रबल बनी हुई है। इस बीच में उन्होंने स्वीकार किया कि जिन लोगों ने साल्ट लेक सिटी को अपना वर्तमान घर बनाया था वे भाग्यशाली थे और उन्होंने अच्छा चयन किया था।
पुनः अंग्रेजी में बोलते हुए परम पावन ने बल दिया व्यक्ति परिवर्तन ला सकते हैं। यदि कोई अपने अंदर आंतरिक शांति विकसित कर सके तो वे अपने परिवारों पर एक लाभदायक प्रभाव डालेंगे। ऐसे परिवार अपने समुदाय पर और विस्तार से विश्व में प्रभाव डालेंगे। उन्होंने उल्लेख किया कि अमेरिकी शहरों की संख्या बढ़ रही है जो स्वयं को दयालुता का शहर या करुणा का शहर घोषित कर रहे हैं, यह प्रोत्साहजनक है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस जीवन काल में घर लौटने की आशा रखते हैं परम पावन ने उत्तर दियाः
"हम में से अधिकांश आशा करते हैं कि एक दिन निर्वासन में तिब्बतियों का पुनर्मिलन होगा और तिब्बत में हमारे भाइयों और बहनों में। मैं आशावादी बना हुआ हूँ।"