<p align="justify"></p> <p align="justify">डलास, टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका - १ जुलाई २०१५ - परम पावन दलाई लामा ब्रिटेन से एक लंबी उड़ान के पश्चात कल डलास पहुँचे। पूर्वानुमानित मौसम के बाढ़ चेतावनी देने के बावजूद आज, सूरज गहरे नीले आकाश में प्रकाशमय हो चमक रहा था और जब वे जॉर्ज डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति सेंटर के लिए गाड़ी से चले तो हवा गर्म थी। जॉर्ज बुश संस्थान के मानव स्वतंत्रता के निदेशक, अमांडा श्नेटज़र ने उनका स्वागत किया। अपने पुराने मित्र का अभिनन्दन करने के बाद, श्री और श्रीमती बुश परम पावन को केंद्र के संग्रहालय के एक निजी दौरे पर ले गए। सेवानिवृत्त होने के पश्चात राष्ट्रपति बुश ने चित्रकला प्रारंभ की है। जब उन्होंने परम पावन को उनके द्वारा बनाया गया परम पावन का चित्र दिखाया तो परम पावन ने स्वयं को प्रभावित घोषित किया, यद्यपि उनके विचार से "आँखों में थोड़ा और काम किया जा सकता था।"</p> <p align="justify"></p> <table style="border-collapse: collapse" align="right" height="241" border="0" bordercolor="#000000" cellpadding="3" cellspacing="0" width="351"> <tbody> <tr> <td valign="top"><img alt="" title="" src="/assets/media/2015-07-01-Dallas-N01.jpg" height="233" width="350" /><br /> </td></tr></tbody></table> <p align="justify">श्री और श्रीमती बुश के साथ, परम पावन ने युवा बर्मी छात्रों से भेंट की, जो एक स्वतंत्रता और नेतृत्व फोरम में भाग ले रहे हैं। श्री बुश ने कहा कि वे इन युवा लोगों को भविष्य के नेताओं के रूप में देखते हैं। उन्होंने टिप्पणी की, कि परम पावन भी स्वतंत्रता की खोज में हैं और उन्होंने परम पावन को उन्हें संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया।<br /> <br />"मेरे लिए वास्तव में अपने पुराने मित्र से पुनः एक बार मिलना और उनके नए संस्थान और लोकतंत्र और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के क्रियान्वयन को देखना बहुत सम्मान की बात है। मैं अमेरिका की प्रशंसा उसकी सैन्य ताकत के लिए नहीं करता, मैं लोकतंत्र और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को कायम रखने के लिए उसकी प्रशंसा करता हूँ, अमेरिका मुक्त विश्व का नेतृत्व करता है। यद्यपि आप सेवानिवृत्त हो चुके हैं, पर मैं यह देखकर खुश हूँ कि आप अभी भी प्रजातंत्र और स्वतंत्रता के प्रति समर्पित हैं। <br /> <br />"अब हम तिब्बतियों और बर्मा के लोगों का भाषाई मूल एक है और तिब्बत की तरह बर्मा एक बौद्ध देश है। बौद्ध धर्म के अंदर पालि और संस्कृत परम्परा निहित है। पालि परम्परा, आधारभूत परम्परा है जबकि संस्कृत परम्परा का संबंध आगे और विस्तार करना है जैसे नैरात्म्य के िसद्धांत। हमारे भिक्षु के नियम समान हैं और मैंने देखा है कि विहार के संगठन अनिवार्य रूप से लोकतांत्रिक है।<br /> <br />"लोगों को अपने अधिकारों को पूरा करने के लिए शिक्षा की आवश्यकता है। चूँकि बर्मा में सरकार अधिनायकवादी है, तो आपको अध्ययन करने और सीखने के इस अवसर का पूरा लाभ उठाना चाहिए और यहाँ के भौतिकवादी आकर्षण से विचलित नहीं होना चाहिए। स्वतंत्रता और लोकतंत्र के सिद्धांतों पर ध्यान दें। परीक्षण करें कि आधुनिक विचारों को पारंपरिक मूल्यों के साथ किस प्रकार मिलाया जाए। हमारा संघर्ष सत्य की शक्ति और बंदूक की शक्ति के बीच है। अल्प काल में बंदूक अधिक निर्णायक प्रतीत हो सकती है पर दीर्घकाल में सत्य की शक्ति अधिक प्रबल होती है। इस संबंध में आत्म विश्वास का होना महत्वपूर्ण है।"<br /> <br />उन्होंने दोहराया कि जो लोग सत्ता में हैं, वे अब बल के प्रयोग पर निर्भर रहते हैं, पर वे उसे सदा बनाए नहीं रख सकते। दीर्घकाल में सत्य कायम रहेगा। उन्होंने एक तिब्बती उक्ति को उद्धृत करते हुए कहा कि यदि आप नौ बार असफल होते हैं, तो आप को पुनः नौ बार प्रयास करना चाहिए।</p> <table style="border-collapse: collapse" align="left" height="241" border="0" bordercolor="#000000" cellpadding="3" cellspacing="0" width="352"> <tbody> <tr> <td valign="top"><img alt="" title="" src="/assets/media/2015-07-01-Dallas-N02.jpg" height="233" width="350" /><br /> </td></tr></tbody></table> <div align="justify"> <div align="justify">उनसे पूछा गया कि विभिन्न लोगों को स्वतंत्रता के एक आम छत्र के नीचे किस प्रकार एकजुट किया जा सकता है और उन्होंने उत्तर दिया कि हममें मानवता की एकता की भावना की आवश्यकता है। बर्मा जैसे देश में धार्मिक और जातीय मतभेद हो सकते हैं, पर जो अधिक महत्वपूर्ण है, वह है आम बर्मी का हित।</div></div> <div align="justify"> <div align="justify"><br /> यह पूछे जाने पर कि स्वतंत्रता के साथ इस तरह के समझौते का सामंजस्य किस प्रकार किया जा सकता है, परम पावन ने उत्तर दिया कि उनके मन में यूरोपीय संघ का उदाहरण एक यथार्थवादी सोच की तरह है। उन्होंने कहा कि तिब्बत ऐतिहासिक दृष्टि से एक स्वतंत्र राष्ट्र रहा है, जो भाषायी और भौगोलिक दृष्टि से अनूठा है। चीनी दस्तावेज हैं, जो ७-९ शताब्दी में चीनी, तिब्बती और मंगोल साम्राज्य का संदर्भ देते हैं। पर फिर भी वे अधिक आर्थिक रूप से विकसित राज्य का हिस्सा हो सकते हैं यदि उन्हें अपनी भाषा, संस्कृति और पर्यावरण के संरक्षण का अवसर मिले।<br /> <br /> श्री बुश ने कहने के लिए टोका,<br /> <br />"दुःख की बात है कि चीनी नेता इस बात को लेकर अधिक चिंतित हैं कि उनका देश टूट जाएगा, पर मैंने उनसे कहा कि निपटने के लिए, यह व्यक्ति सबसे अच्छा है, पर वे नहीं सुनते।"<br /> <br />जब उन्हें बर्मा की यात्रा करने का निमंत्रण दिया गया तो परम पावन ने सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की और चट् से कहा कि उनके मेजबानों को पहले चीन से अनुमति लेनी होगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि तिब्बती विहारों और शिक्षा केन्द्रों में पालि अध्ययन के लिए विभागों की स्थापना की जा रही है और बर्मी छात्रों के सम्मिलन का स्वागत किया जाएगा।<br /> <br />बुश सेंटर के मित्रों और समर्थकों के साथ मध्याह्न भोज में जॉर्ज डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति सेंटर की अध्यक्षा मार्गरेट स्पेलिंग ने परम पावन का स्वागत, हमारे समय के नेता, कहते हुए किया। उन्होंने कहा:<br /> <br />"हम आपकी तथा शांति और करुणा के जिन सिद्धांतों का आप प्रतिनिधित्व करते हैं उसकी सराहना करते हैं। यह हमारे िलए सम्मान की बात है कि आप संयुक्त राज्य अमेरिका की वर्तमान यात्रा का प्रारंभ यहाँ डलास से कर रहे हैं। आने के लिए धन्यवाद।"<br /> <table style="border-collapse: collapse" align="right" height="241" border="0" bordercolor="#000000" cellpadding="3" cellspacing="0" width="353"> <tbody> <tr> <td valign="top"><img alt="" title="" src="/assets/media/2015-07-01-Dallas-N03.jpg" height="233" width="350" /><br /> </td></tr></tbody></table><br /> बिशप मेकी ने भोजन के पूर्व प्रार्थना समर्पित की। बाद में अपने संक्षिप्त भाषण में श्रीमती लौरा बुश ने स्मरण कराया कि ६ जुलाई को परम पावन का ८०वां जन्मदिन होगा, जो उनके पति का भी जन्मदिन है। एक केक लाया गया और हर व्यक्ति ने 'हैप्पी बर्थडे' गाया और दोनों मित्रों ने मिलकर मोमबत्ती पर फूँक मारी। अपने उत्तर में राष्ट्रपति बुश ने कहा:<br /> <br />"केक के लिए धन्यवाद और आप सभी को आने के लिए धन्यवाद। आप जानते हैं कि कभी-कभी राजनीति में आप किसी से िमलते हैं जो आपसे कुछ कहता है पर वह वास्तव में उसका मतलब नहीं होता। परम पावन एक ऐसे व्यक्ति हैं जो आपकी आँखों में आँखें डालकर देखते हैं और वही कहते हैं जो उनका मंतव्य होता है। चीन उनके लिए कठिनाइयाँ खड़ी करता है, पर फिर भी वह आनन्दपूर्ण हैं, क्योंकि उनका हृदय इतना मीठा और प्रेम से भरा है।<br /> <br />"मैं मात्र एक अमेरिकी राष्ट्रपति हूँ जो सार्वजनिक रूप से परम पावन के साथ खड़ा हुआ है। वे उन शक्तियों के साथ जूझ रहे हैं जो उनकी आधारभूत भावना, कि सबको स्वतंत्र होना चाहिए, को दुर्बल करने की खोज में हैं। आपका यहाँ आगमन एक सम्मान की बात है।"<br /> <br />"मेरे प्रिय सम्मानित मित्रों, श्री और श्रीमती बुश", परम पावन ने उत्तर दिया "यह मेरे लिए एक सुखी पुनर्मिलन है, मैं जिसका जन्म उत्तर-पूर्वी तिब्बत के एक दूरस्थ हिस्से में हुआ और आप जो विश्व के अलग भाग में रहते हैं। मैं एक बौद्ध देश में पला-बढ़ा और आप एक ईसाई देश में पले-बढ़े हैं, परन्तु मनुष्य के रूप में हम एक समान हैं। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिकांश संघर्ष जिनका हम सामना कर रहे हैं वे धर्म या जाति के गौण अंतर पर रहने के कारण हैं, जबकि आधारभूत रूप से मनुष्य के रूप में हम समान हैं। हम मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से एक जैसे हैं। हम एक ही तरह से जन्म लेते हैं और एक ही तरह से मरते हैं। हम सभी एक सुखी जीवन जीना चाहते हैं और यदि हम इस के प्रति और अधिक जागरूक हो जाएँ, कि मनुष्य के रूप में हममें क्या समानताएँ हैं, तो फिर हमारे बीच संघर्ष, बदमाशी, हत्या या शोषण का कोई आधार न रह जाएगा।<br /> <br />"जहाँ भी मैं लोगों से मिलता और उनसे बात करता हूँ, मैं एक साथी मनुष्य के रूप में ऐसा करता हूँ। जब मैं इस व्यक्ति से व्हाइट हाउस में पहली बार मिला तो उनका मेरे साथ व्यवहार एक अन्य मानव के रूप में था, न कि संसार के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति के रूप में। मैं प्रायः सार्वजनिक रूप से कहता हूँ कि 'मैं जॉर्ज बुश से प्यार करता हूँ, यद्यपि जहाँ तक उनकी नीतियों का संबंध है उसे लेकर मेरी कुछ आशंकाएँ हैं।', हमारी मैत्री सच्ची मैत्री है जो हमारे जीवित रहने तक बनी रहेगी, इसलिए जब मुझे यह आमंत्रण मिला तो मैं आने को लेकर बहुत उत्साहित था।"<br /> <table style="border-collapse: collapse" align="left" height="241" border="0" bordercolor="#000000" cellpadding="3" cellspacing="0" width="353"> <tbody> <tr> <td valign="top"><img alt="" title="" src="/assets/media/2015-07-01-Dallas-N04.jpg" height="233" width="350" /><br /> </td></tr></tbody></table></div> <div align="justify"> </div> <div align="justify">परम पावन ने पुष्टि की जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा था, वह लोकतंत्र के विचार के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं। इसी कारण जब २०११ में जब वे राजनीतिक उत्तरदायित्व से सेवानिवृत्त हुए तो उन्होंने दलाई लामा संस्था की परम्परा को भी समाप्त कर दिया, जो कि राजनैतिक के साथ-साथ आध्यात्मिक विषयों के लिए भी उत्तरदायी है। उन्होंने उल्लेख किया कि तिब्बत के धार्मिक संस्थानों में से कुछ सामंती व्यवस्था के हैं और उनमें परिवर्तन करने का समय आ गया है। राष्ट्रपति बुश के बारे में उन्होंने कहा कि वे उनकी उन्मुक्तता, स्वतंत्रता और लोकतंत्र के प्रति आजीवन प्रतिबद्धता के प्रशंसक हैं। उन्होंने दोहराया कि अमेरिका न केवल ३५० अरब अमरीकियों के प्रति उत्तरदायी है पर एक व्यापक मुक्त विश्व का नेता है। <br /> <br />"मेरा सपना है कि २१वीं शताब्दी एक बेहतर विश्व, एक अधिक शांतिपूर्ण, अधिक करुणाशील विश्व की अगुआई करेगा, जो कि मानवता की एकता की भावना पर आधारित होगी।"<br /> <br />सभा की ओर से पूछे गए प्रश्नों में, उनसे पूछा गया कि यदि सारे शब्द बह गए और मात्र एक बच गया, तो वह कौन सा होगा। उन्होंने "जीवन" चुना और कहा कि जीवित रहने के लिए 'प्रेम' की आवश्यकता है। उनसे पुनः पूछा गया कि जब वे एकता की बात इतना विश्वासजनक रूप से करते हैं, क्या है जो विभिन्न समूहों को अलग करता है। उन्होंने उत्तर दिया कि इस तथ्य के बावजूद कि हम परस्पर अन्योन्याश्रित हैं, हम जो हमें एक करता है उसे देखने के बजाय अपने बीच के गौण मतभेदों पर बल देते हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन किसी सीमा का सम्मान नहीं करता, पर हम सबको प्रभावित करता है। इसी प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था हम सबको शामिल करती है, पर फिर भी हम अपने बीच के सतही मतभेद पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।<br /> <br />बुश राष्ट्रपति सेंटर से रवाना होने से पहले, परम पावन ने कांग्रेसी जॉन रेडक्लिफ, कांग्रेसी पीटर सेशन और उनके परिवार के सदस्यों के साथ एक संक्षिप्त भेंट की।<br /> <table style="border-collapse: collapse" align="right" height="241" border="0" bordercolor="#000000" cellpadding="3" cellspacing="0" width="350"> <tbody> <tr> <td valign="top"><img alt="" title="" src="/assets/media/2015-07-01-Dallas-N06.jpg" height="233" width="350" /><br /> </td></tr></tbody></table><br /> पास ही सदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के मूडी कोलिज़ीयम में मार्गरेट स्पेलिंग, जो राष्ट्रपति बुश के साथ शिक्षा सचिव के रूप में सेवारत रहीं थीं, ने परम पावन का परिचय टिकट खरीदकर आए ५००० श्रोताओं से कराया। बुकर टी वाशिंगटन स्कूल के तिब्बत क्लब के छात्रों ने परम पावन को एक प्रार्थना ध्वज प्रस्तुत किया, जिसका डिज़ाइन उन्होंने तैयार किया था और उसे छापा था। <br /> <br />एबीसी न्यूज के राजनीतिक आलोचक कोकी रॉबर्ट्स, जो सत्र की मध्यस्थता कर रहे थे, ने परम पावन को बोलने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने यह कहते हुए प्रारंभ किया कि वे वहाँ आकर कितने प्रसन्न थे, उन्होंने आयोजकों को उनके प्रयास के लिए और राष्ट्रपति और श्रीमती बुश को उनके आमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया। जो वे सदा कहते हैं, उन्होंने उसे दोहराया कि सभी मनुष्य समान हैं और एक सुखी जीवन को जीने के अधिकार को लेकर बराबर हैं। उन्होंने टिप्पणी की, कि अद्भुत मानव मस्तिष्क जो प्रेम, करुणा, क्षमा और सहिष्णुता का विकास कर सकता है, वह क्रोध, घृणा और भय के अधीन होने की भी क्षमता रखता है। परिणामतया जिन कई समस्याओं का सामना हम कर रहे हैं वे हमारी अपनी स्वयं की निर्मित है। उन्होंने उल्लेख किया कि यद्यपि वे और उनके श्रोता इस सभागार में साथ साथ आराम से थे, पर विश्व के अन्य भागों में लोग एक दूसरे की हत्या कर रहे थे, कुछ धर्म के नाम पर, जो उन्होंने कहा अचिन्तनीय है। <br /> <br />उन्होंने आधुनिक शिक्षा में सौहार्दता जैसे सरल मूल्यों पर आधारित नैतिक सिद्धांतों को शामिल करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। चूँकि हम सब एक दूसरे पर निर्भर हैं, हमारे सुख की कामना के लिए आवश्यक है कि हम एक दूसरे के प्रति चिंता भी विकसित करें। यदि हम ऐसा करें तो हमारे बीच विश्वास होगा और जहाँ विश्वास है, वहाँ मैत्री है, जो हम जैसे सामाजिक प्राणियों के लिए आवश्यक है।<br /> <br />परम पावन ने कहा, विश्व को परिवर्तित करना, उसे और अधिक शांतिमय, करुणाशील स्थान बनाना केवल एक व्यक्तिगत स्तर पर प्रारंभ हो सकता है। यह कुछ ऐसा नहीं जिसे हम सरकार अथवा संयुक्त राष्ट्र पर छोड़ सकते हैं। उन्होंने एक अपील करते हुए समाप्त किया कि, जो कुछ भी उन्होंने कहा, यदि वह सार्थक लगता है तो लोगों को उस पर और अधिक चिन्तन करना चाहिए, उस पर चर्चा कर उसे कार्यान्वित करना चाहिए। दूसरी ओर अगर उन्होंने जो कहा उसका कोई अर्थ नहीं निकलता तो उन्होंने सुझाव दिया, कि लोग उसे सभागार में ही छोड़ दें। <br /> <table style="border-collapse: collapse" align="left" height="241" border="0" bordercolor="#000000" cellpadding="3" cellspacing="0" width="351"> <tbody> <tr> <td valign="top"><img alt="" title="" src="/assets/media/2015-07-01-Dallas-N07.jpg" height="233" width="350" /><br /> </td></tr></tbody></table><br /> कोकी रॉबर्ट्स द्वारा श्रोताओं के रखे प्रश्नों का उत्तर देते हुए परम पावन ने अंतर्धार्मिक सद्भाव को प्रोत्साहित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि और अधिक महिलाएँ, जिनमें करुणा की अभिव्यक्ति की एक सहज प्रकृति होती है, नेतृत्व की भूमिका लें तो विश्व संभवतः अधिक शांतिपूर्ण होगा। <br /> <br />अंत में श्रोतागणों को खड़े होकर परम पावन को ८०वें जन्मदिन की शुभकामनाएँ देने के लिए आमंत्रित किया गया। जब वे 'हैप्पी बर्थडे टु यू' गा रहे थे तो छत से सफेद गुब्बारे छोड़े गए, जो ऊपर मुख किए कई चेहरों की ओर आए। परम पावन ने हाथ हिलाकर सबका धन्यवाद किया। मंच के नेपथ्य में जब वे एक दूसरे से विदा ले रहे थे तो अपने होटल लौटने के लिए टेक्सास की गर्म दोपहरी में बाहर आने से पहले उन्होंने राष्ट्रपति बुश को गले लगाया।<br /> </div></div>