वाशिंगटन, डी सी, संयुक्त राज्य अमेरिका - ४ फरवरी २०१५ - आज भव्य हल्की शीतकालीन धूप परम पावन दलाई लामा के कमरों की खिड़कियों से छन रही थी जब उनकी कई बैठकें आयोजित की गई थीं। उनमें से एक जिसकी उनको विशेष रूप से प्रतीक्षा थी वह माइंड एंड लाइफ इंस्टिट्यूट (एमएलआइ) का दल था। वे बाल विहार से लेकर विश्वविद्यालय तक उनके संपूर्ण शैक्षिक अवधि के दौरान, मूल मानव मूल्यों की भावना उत्पन्न करने को लेकर एक पाठ्यक्रम के विकास से संबंधित प्रगति की रिपोर्ट देने आए थे। अपने स्वागत शब्दों में उन्होंने कहा:
"जिन परिवर्तनों की हम कल्पना कर रहे हैं संभवतः हम उन्हें अपने जीवन काल में नहीं देख पाएँगे, पर मध्य पूर्व में वर्तमान चौंकाने वाली हिंसा जिसमें इतना क्रोध भरा हुआ है कि आम समझ के लिए कोई गुंजाइश नहीं है, हमें प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है। यदि हम वास्तव में शिक्षा में सुधार के लिए एक योजना को कार्यान्वित कर सकें तो हम एक सुखी विश्व बनाने में सक्षम हो सकते हैं।"
उन्होंने टिप्पणी की, कि एक सामाजिक प्राणी के रूप में हम सब को मित्रों की आवश्यकता पड़ती है। हमें एक साथ आने के लिए परिस्थितियों की आवश्यकता है और केवल अपने स्वयं के हितों के विषय में चिंता करना इसके विपरीत चलना है। उन्होंने रिची डेविडसन और अन्य लोगों द्वारा यह दिखाने के लिए कि, आधारभूत मानवीय प्रकृति, जो नन्हें शिशुओं की प्रतिक्रियाओं में दिखाई देती है, वे दूसरों को बाधित करने के स्थान पर सहायता करना पसंद करती है, पर किए गए शोध का उदाहरण दिया। इसलिए दूसरों के प्रति चिंता का विषय हमारी बुनियादी प्रकृति के साथ मेल खाता है।
माइंड एंड लाइफ के अध्यक्ष, आर्थर ज़ाजोंक ने सामझाया कि शैक्षिक अनुसंधान पहल, जो माइंड एंड लाइफ इंस्टिट्यूट द्वारा विकसित की जा रही है, का नाम ए कॉल टु केयर रखा गया है। यह देखभाल के एकीकृत रूप के चारों ओर आयोजित की गई है - देखभाल प्राप्त करना, स्वयं की देखभाल का विकास और दूसरों तक देखभाल का विस्तार करना। शिक्षा, विकासशील विज्ञान और मननशील विद्वत्ता से संबंधित यह योजना एक विशिष्ट मिला जुला रूप है जो एक आम ढाँचे में एक संयुक्त कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों व शिक्षकों दोनों पर केन्द्रित है। अब तक, शिक्षकों की ओर से आई प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक रही है। कक्षा ८ तक बच्चों के लिए मार्गदर्शिका पुस्तक तथा शिक्षकों के लिए कक्षा की मार्गदर्शक पुस्तक लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। सफल अग्रिम परियोजनाएँ भूटान, इसराइल और वियतनाम में चल रही हैं।
परम पावन ने एक ऐसी प्रणाली द्वारा चित्त के मानचित्र को सम्मिलित करने में रुचि दिखाई और सुझाव दिया कि कक्षा ६- ७ के छात्र भावनाओं के मानचित्र के विषय में सीखना प्रारंभ कर सकते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें उद्वेलित करने वाली भावनाओं के विषय में जानकारी होनी चाहिए। कॉल टु प्रोग्राम अधिकारी काथरिन बिर्नस ने उन्हें बताया कि उन्हें बताया गया है, पर उन्हें बाधा के रूप में संदर्भित किया जाता है। उन्होंने स्वीकार किया कि हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली में मानव पक्ष का अभाव है। मस्तिष्क पर बहुत अधिक बल दिया गया है जबकि वह हृदय पर तथा विश्व में उपस्थिति पर केन्द्रित होना चाहिए।
डायना चापमेन - वाल्श ने टिप्पणी कीः
"आर्थर ज़ाजोंक ने, यह देखने के लिए कि बहुत अधिक वादे न करते हुए या वैज्ञानिक मूल्यों का उल्लंघन किए बिना हमें इन विचारों को आगे ले जाना है, एम एल आइ का नेतृत्व किया है। पर हम इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर हैं जहाँ हमें इन विचारों को विश्व को देना है।"
परम पावन ने उत्तर दिया:
"हाँ, हमें यह सुनिश्चित करना है कि यह मात्र प्रचार नहीं है पर हमें यह बात सब तक पहुँचानी है। हमारा दृष्टिकोण इस प्रकार का होना चाहिए जो कि सब के लिए स्वीकार्य हो।"
इस बैठक से परम पावन गाड़ी से किंचित दूर स्थित वाशिंगटन हिल्टन गए जहाँ उन्हें नेशनल प्रेयर ब्रेकफ़ॉस्ट के साथ प्रतिवर्ष आयोजित अंतर्राष्ट्रीय भोज को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह कार्यक्रम राजनीतिक, सामाजिक और व्यापार अभिजात वर्ग के लोगों के मिलने और संबंध बनाने में एक मंच के रूप में कार्य करता है। परम पावन के संबोधन से पहले कई कांग्रेसियों ने ईसा मसीह के विचारों का पाठ किया। अन्य अतिथियों में संयुक्त राज्य अमेरिका में कोसोवो के राजदूत अकन इस्माइली, युनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट यूएसएड के प्रशासक, राजीव शाह और युली - योएल एडलस्टीन, जो इजरायल नेसेट के वर्तमान अध्यक्ष हैं।
कांग्रेसी जिम स्लेटरी ने परम पावन का परिचय सभा से करवाया और संबोधित करने के लिए उन्हें आमंत्रित किया। परम पावन ने सदा की तरह अभिनन्दन करते हुए प्रारंभ कियाः
"भाइयों और बहनों, हम सभी इंसान हैं, हम मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से एक समान हैं। चाहे हम राजा हों या रानी या भिखारी एक ही तरह से जन्म लेते हैं और एक ही तरह से मरते हैं। सभी ७ अरब मनुष्य एक सुखी जीवन जीना चाहते हैं और उन्हें ऐसा करने का अधिकार है। यदि हम इस रूप में एक-दूसरे के विषय में सोचें तो हमारे बीच झगड़े का कोई आधार न होगा। मेरा भविष्य दूसरों पर निर्भर करता है और दूसरों का भविष्य मुझ पर निर्भर करता है, अतः हमें एक दूसरे की सहायता करने की आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने हमें दिखा दिया है कि हम सभी एक ही ग्रह का भाग हैं। और एक दूसरे के प्रति हमारे आधारभूत जीवन मूल्य को प्रकट करने के लिए, उन्होंने अपने श्रोताओं से ऐसे किसी व्यक्ति के िवषय में सोचने को कहा जो किसी रेगिस्तान में अकेले जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह बहुत कठिन होगा और तब यदि उसकी भेंट िकसी अन्य से हो जाए तो वह उसकी राष्ट्रीयता, आस्था, शिक्षा या सामाजिक स्थिति के विषय में किसी भी प्रकार की सोच न रखते हुए उसका अभिनन्दन केवल अन्य मनुष्य के रूप में करेगा। परम पावन ने कहा कि वह इसी आधार पर स्वयं को केवल एक अन्य मनुष्य के रूप में देखते हैं, न कि कोई विशिष्ट व्यक्ति के रूप में, जिसका नाम परम पावन १४वें दलाई लामा है। उन्होंने कहा कि वह अपने आप को मानव समुदाय के अंग के रूप में देखते हैं और यही कारण है कि उन्हें कभी एकाकीपन का अनुभव नहीं होता। एक मानव होने के नाते उनकी पहली प्रतिबद्धता अन्य लोगों को एक सुखी जीवन जीने में सहायता करना है। मैत्री का यही आधार है।
उन्होंने समझाया कि विश्व की सभी प्रमुख धार्मिक परंपराएँ प्रेम, क्षमा और सहिष्णुता का एक ही संदेश प्रेषित करती हैं।
"आप चाहे धर्म को स्वीकार करें अथवा न करें यह आपका व्यक्तिगत विषय है, पर यदि आप करें तो आप को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। दार्शनिक मतभेद होने की संभावनाओं के बावजूद, हमारी सभी धार्मिक परंपराओं का उद्देश्य बेहतर, सुखी मानवों का निर्माण करना है। इसीलिए उनके बीच पारस्परिक सम्मान और प्रशंसा की भावना होनी चाहिए। उनका आम उद्देश्य सद्भाव का एक आधार है।"
"हाल ही में मैं वहाँ के विश्वविद्यालय के निमंत्रण पर कोलकाता में था और मैंने मदर टेरेसा के स्थान पर जाने का निश्चय किया। मैंने उनके अनुयायियों और कलकत्ता के आर्चबिशप, जो मुझसे मिलने वहाँ एकत्रित हुए थे, से कहा कि मदर टेरेसा के प्रति मेरे मन में जो प्रशंसा भाव है और जिस रूप में उनके अनुयायी निरंतर गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता करने में स्वयं को समर्पित कर रहे हैं उसके प्रति सराहना के कारण मैं अपनी इच्छा से वहाँ आया था।"
परम पावन ने धनवानों और निर्धनों के बीच स्थित एक बड़ी खाई के अस्तित्व को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि मात्र प्रार्थना, जहाँ वह हमें आत्मविश्वास दे सकता है, समस्या के समाधान में पर्याप्त न होगा। हमें कार्य करने की आवश्यकता है।
इस्लाम के प्रश्न की ओर मुड़ते हुए, उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि जिहाद शब्द का व्यापक रूप से गलत अर्थ निकाला गया है। यह अन्य लोगों के साथ लड़ने के विषय में नहीं है, पर इसका संदर्भ हमारी अपनी विनाशकारी भावनाओं से जूझना है। इसी तरह मुसलमान मित्रों ने उन्हें बताया है कि जो दूसरों का खून बहाता है वह सच्चा मुसलमान बना नहीं रह सकता। पूर्वाग्रहों में गिरने के बजाय हमें अपनी धार्मिक परंपराओं के बीच सद्भाव की भावना निर्मित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने जेरुसलेम मे मिले एक शिक्षक की कहानी सुनाई। इस व्यक्ति ने अपने फिलिस्तीनी और इस्राइली छात्रों को सुझाव दिया कि यदि उनका सामना किसी चोट पहुँचाने वाले या क्रोधित व्यक्ति से हो और उनमें क्रोध की भावना उत्पन्न हो जाए, तो उन्हें रुककर उस व्यक्ति को ईश्वर की छवि के रूप में मानना चाहिए। उन्होंने सूचित किया कि उनके कुछ फिलीस्तीनी छात्रों ने उन्हें बताया कि उन्होंने सुरक्षा चौकियों पर उनके बताए अनुसार किया और उसे बहुत सहायक पाया। परम पावन ने कहा कि यह ईसा मसीह के दूसरे गाल को प्रस्तुत करने के विचार से मेल खाता है।
अंत में, परम पावन ने प्रश्न उठाया कि क्या हम यह कह सकते हैं कि एक सत्य है और एक सच्चा धर्म है। उनका उत्तर है कि जहाँ एक व्यक्ति विशिष्ट के अभ्यास के संदर्भ में एक सत्य और एक धर्म हो सकता है, पर एक समुदाय के संदर्भ तथा एक भूमंडलीकृत विश्व, जिसमें हम रहते हैं, स्पष्ट रूप से कई सत्य और कई सच्चे धर्म हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि विभिन्न दृष्टिकोणों का अस्तित्व एक सकारात्मक चुनौती के रूप में प्रेरणात्मक प्रभाव लिए होता है, पर उन्हें पारस्परिक सम्मानजनक रूप से व्यक्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने अपने श्रोताओं को एक लगभग ८० वर्ष की आयु के व्यक्ति को सुनने के लिए धन्यवाद दिया, जिसके प्रत्युत्तर में जोश पूर्ण तालियाँ बजीं।
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इस व्याख्यान के पश्चात, तिब्बतियों के एक लंबे समय के मित्र डौग कोए ने परम पावन की प्रथम सी ई ओ लोग, जो प्रायोजक हैं और उसके बाद कांग्रेसी और अन्य जो, छेरिंग दोनदेन तिब्बती शरणार्थी आवास, राजपुर, भारत के समर्थक हैं, के बीच बैठकें आयोजित की। यह दिवंगत सीनेटर क्लेयरबोर्न द्वारा प्रारंभ की गई परियोजना थी। परम पावन ने उनसे कहा कि इस तरह के समर्थन और सुविधाएँ प्रदान करते हुए उन्होंने तिब्बती संस्कृति के संरक्षण में योगदान दिया था जो शांति और अहिंसा की संस्कृति है, जो मूल्यवान है।
कांग्रेसी वुल्फ को बैठक के समापन के लिए एक प्रार्थना कहने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने तिब्बत के लोगों और परम पावन दलाई लामा के लिए आशीर्वाद की प्रार्थना की तथा प्रार्थना की कि तिब्बत स्वतंत्रता से परिपूरित हो जाए।
परम पावन ने उपस्थित सभी को अपनी पुस्तकों में से एक 'द गुड हार्ट' की एक प्रति भेंट की, जिसमें उन्होंने जो कहा था, जब उन्हें जॉन मैन संगोष्ठी में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था और न्यू टेस्टमेंट से कुछ चयन, विशेषकर सरमन ऑन द माउंट।
कल परम पावन नेशनल प्रेयर ब्रेकफ़ॉस्ट में सम्मिलित होंगे, जो कि परम्परानुसार राष्ट्रपति ओबामा द्वारा संबोधित किया जाएगा।