परम पावन के आशावादी संदेश और तिब्बत की धरातल पर जो हो रहा है, उसके बीच चौड़ी होती खाई का अवलोकन कर डायस सोच रहे थे कि क्या निर्वासन में प्रशासन पर्याप्त कार्य कर रही है। परम पावन ने उनसे कहा कि निर्वासन में तिब्बती संगठनों का मुख्य उत्तरदायित्व निर्वासन समुदाय की देख रेख तथा तिब्बती संस्कृति की संरक्षण में सहायता करना है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान सेंसरशिप के बावजूद, तिब्बत में सूचना पहुँच रही है और उसका प्रसार हो रहा है। उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व एक अवसर का उदाहरण दिया जब भारत में एक बड़ी धार्मिक सभा में उन्होंने पशु के रोएँ के साथ कपड़े सजाने की प्रथा की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि अध्ययन और उसके परिणाम कहीं बेहतर आभूषण थे। कुछ ही समय बाद तिब्बत के परिवारों द्वारा जो भी पशु के रोएँ उनके पास थे, उन्हें उनके जलाने जाने की सूचना मिली।
वैश्विक करुणा शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन का प्रारंभ कैलिफोर्निया इरविन के ब्रेन ईवेन्ट्स सेंटर के विश्वविद्यालय में हुआ। चांसलर हावर्ड गिलमेन ने परिचय दिया। उसके पश्चात यूसीआई रीजेंट रिचर्ड ब्लम की टिप्पणी हुई, जो परम पावन के पुराने मित्र हैं। संचालक के रूप में एन करी ने प्रातः के पैनल के सदस्यों का परिचय दिया। ९७ वर्ष की आयु में उनकी वरिष्ठता को स्वीकार करते हुए परम पावन ने समुद्र विज्ञानी वाल्टर मंक को उनके बगल में बैठने का आग्रह किया। मंक ने फिर प्रातः के लिए, यह बताते हुए भूमिका तैयार कर दी कि वे िपछले दिन की चर्चा से कितने प्रभावित थे कि, जब जलवायु परिवर्तन की बात आती है, तो "करुणा ही उत्तर है कि क्या कुछ किया जा सकता है अथवा नहीं।"
परम पावन ने विषय लिया:
"हमें प्रयास करना होगा, ताकि यदि हम असफल भी हों तो हमें कोई पछतावा न होगा। अंततः यह हमारे अस्तित्व की बात है। मुझे अपने मित्रों द्वारा उस नदी के बारे में बताना स्मरण है जो स्टॉकहोम होकर गुज़रती थी और एक समय उसमें कोई मछली न थी। परन्तु जब एक बार नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाए गए तो मछली फिर से दिखाई देने लगी। ग्रह की देखभाल करना अपने घर की देखभाल करना है। इस बीच, अमीर और गरीब के बीच की बड़ी खाई के संदर्भ में, उसे कम करने का उचित तरीका गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना है।"
डॉ वीरभद्रन रामनाथन ने ५५०० की संख्या में आए श्रोताओं के समक्ष पैनल को बताया कि आगामी ३० वर्षों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव इतना दूरगामी होगा कि सभी उसका अनुभव कर पाएँगे। उन्होंने ध्यानाकर्षित किया कि इस समय १ अरब लोग दुनिया की ऊर्जा का ५०% का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा जिन समस्याओं का हम सामना कर रहे हैं, उसके समाधान हेतु हमारे पास तकनीक है, पर यदि उसे प्रयोग में लाना है तो पर्यावरण के प्रति और हमारे आपसी व्यवहार में परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आवश्यक परिवर्तन लागू करने के लिए १ अरब लोगों में प्रत्येक को $ ४५० की लागत आएगी। उन्होंने आगे कहा कि सभी को शुद्ध ऊर्जा प्रदान करने की भी आवश्यकता है और कहा कि उसकी लागत प्रत्येक व्यक्ति के िलए अतिरिक्त $ २५० की होगी। एक समस्या यह है कि विश्व के कम विकसित भागों में लोगों के पास खर्च करने के लिए $ २५० नहीं है।
ग्लेशियरों के पिघलने के बारे में बोलते हुए प्रो इसाबेला वेलिकोगना ने कहा कि जलवायु में भारी परिवर्तन की जो संभावना है, हमें उसके विषय में चिंता करनी चाहिए। उन्होंने श्रोताओं में छात्रों से आग्रह किया कि उनमें से प्रत्येक वास्तव में समाधान खोजने में सहायता कर सकता है। जलवायु न्याय के लिए लड़ रही सामुदायिक आयोजक मिया योशितानी ने कहा कि करुणा का प्रयोग गरिमा के लिए लड़ना है। उन्होंने कहा कि लोगों को यह ध्यान में रखते हुए कि गरिमा का जीवन ही अर्थवान है, अपना जीवन उस क्रम में रख और ऊर्जा के साथ नए संबंध खोजने की आवश्यकता है।
डॉ रामनाथन ने पैनल को स्मरण कराया कि यह ध्यान में रखते हुए कि ३० वर्षों में संभावित जलवायु परिवर्तन आज हो रहे प्रदूषण का परिणाम है, हम में से हर कोई बहुत कुछ कर सकता है। प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत परिवहन है तो स्थानीय पैदावार खरीदने से अंतर पड़ता है। छत सौर प्रतिष्ठान अपेक्षाकृत कम समय में स्वयं का भुगतान कर देते हैं। उन्होंने दोहराया कि समाधान उपलब्ध हैं।
कांग्रेस महिला लोरेटा सांचेज़ ने कहा जहाँ चिंतित वैज्ञानिकों के ९७% लोग जलवायु परिवर्तन निष्कर्षों के बारे में स्पष्ट हैं, अधिकाश कांग्रेस के सदस्यों को विज्ञान पर विश्वास नहीं है। उन्होंने कहा कि यथास्थिति में परिवर्तन लाना सदा कठिन होता है, पर ऐसा करने का संबंध शिक्षा से है और परिवारों में माँ को शिक्षित करना विशेष रूप से प्रभावी है। उन्होंने परम पावन के परमाणु हथियारों को कम करने के अपील के प्रति समर्थन व्यक्त किया। श्रोताओं में युवाओं की ओर मुड़ते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "यदि आप वोट कर सकते हैं तो रजिस्टर करें और वोट दें। अन्यथा आप अपनी शक्ति छोड़ रहे हैं।"
जब एन करी ने परम पावन से पूछा कि इस संबंध में राजनीतिक नेताओं को प्रभावित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए, तो उन्होंने उत्तर दिया:
"हम सोच के पुराने तरीके से चिपके हुए हैं, जबकि वास्तविकता परिवर्तित हो चुकी है। देखिए कोपेनहेगन शिखर सम्मेलन में क्या हुआ। कई महत्वपूर्ण राष्ट्रों ने वैश्विक हित से पहले अपने राष्ट्रीय हितों को रखा। इस संबंध में हमें वैश्विक हित को पहले रखना होगा। उसमें से कुछ हमारे भैतिकवादी जीवन का परिणााम है और उसमें बदलाव लाने के लिए हमें एक और समग्र शिक्षा की आवश्यकता है, एक ऐसी शिक्षा जो दूसरों के हित में करुणाशील चिंता जैसे आंतरिक मूल्यों को शामिल करती है।"
जैसे ही प्रातः के सत्र का अंत होने वाला था, रिचर्ड ब्लम ने पैनल को स्मरण कराया कि एक बात जिसका उल्लेख नहीं किया गया था, वह यह कि संयुक्त राज्य अमेरिका में १०० कदम उठाए जा सकते हैं पर जब तक चीन भी भाग नहीं लेता उसका प्रभाव कम होगा।
अंत में, डॉ रामनाथन और डॉ मंक ने परम पावन के ८०वें जन्मदिन पर उनके लिए एक उपहार प्रस्तुत किया। उन्होंने उन्हें श्रद्धा के रूप में, समुद्री जीवन की नई खोज की प्रजातियों में से एक, जिसे उन्होंने सिरसो दलाईलामा नाम दिया है, का एक खचित चित्र भेंट किया। इसमें प्रमुख बिन्दु यह है कि यह उन असामान्य प्रजातियों में से एक है, जो पर्यावरण से जितना ग्रहण करता है, उसकी तुलना में कहीं अधिक लौटाता है।
एक पौष्टिक भोजन के उपरांत जाने-माने प्रसारक लैरी किंग ने परम पावन का साक्षात्कार लिया। वे पहले भी उनसे कई बार भेंट कर चुके हैं और किंग परम पावन से आयु में एक वर्ष बड़े हैं। उन्होंने पूछा कि क्या परम पावन दिन में तीन बार आहार लेते हैं। परम पावन ने उत्तर दिया कि एक बौद्ध भिक्षु के रूप में वह रात का भोजन नहीं करते। ध्यान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह प्रत्येक दिन लगभग ५ घंटे ध्यान करते हैं और जब किंग ने पूछा कि क्या होता है जब वह यह करते हैं तो उन्होंने उत्तर दिया कि उनके लिए सबसे प्रभावी विश्लेषणात्मक ध्यान है। उन्होंने समझाया कि वे जो वास्तविकता के सापेक्ष के बारे में सोचते है उसकी तुलना क्वांटम भौतिकी के सिद्धांतों से की जा सकती है।
यह टिप्पणी करते हुए कि परम पावन १९५९ के बाद से निर्वासन में रह चुके हैं, उन्होंने पूछा कि मूल समस्या क्या थी और परम पावन ने उत्तर दिया कि जब तिब्बत चीनी सेना से भर गया तो उन्होंने तिब्बती जीवन के हर पहलू पर नियंत्रण करने का प्रयास किया। यह पूछे जाने पर कि क्या वे चीन या आईएसआईएस के बारे में चिंता करते हैं, परम पावन ने उन्हें बताया कि आईएसआईएस में बहुत कम समझ है कि वे अपने कार्यों से इस्लाम को कितनी हानि पहुँचा रहे हैं, जिसको बनाए रखने का वे दावा करते हैं। अगले दलाई लामा के बारे में, परम पावन ने कहा:
"यह मेरा काम नहीं। यह तिब्बती लोगों पर निर्भर है।"
इस पर कि, क्या उन्होंने कभी प्रेम किया है, परम पावन ने टिप्पणी की, कि वे एक भिक्षु है और स्वप्न में भी, यद्यपि वे कभी चिन्तन नहीं करते, कि वे दलाई लामा हैं, वे सदा स्मरण रखते हैं कि वे एक ब्रह्मचारी भिक्षु हैं।
अंत में, किंग ने पूछा कि वह अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि किसे मानते हैं। परम पावन ने उनसे कहा कि वे सोचते हैं कि उन्होंने वैज्ञानिकों के साथ पिछले ३० वर्षों से जो संवाद आयोजित किया है, वह एक उपलब्धि है। एक और यह कि पहले तिब्बत में भिक्षुणी विहारों में कोई गंभीर अध्ययन नहीं हो रहा था और निर्वासन में उन्होंने आग्रह किया कि भिक्षुणियों को भी इस प्रकार के कठोर अध्ययन करने में सक्षम होना चाहिए। परिणाम यह है कि कई भिक्षुणियाँ हैं जो अब शीर्ष विदुषियाँ बन गई हैं, यह एक और उपलब्धि है।
मध्याह्न में यूसीआई ब्रेन आयोजन सेंटर लौटते हुए, सत्र, परम पावन के लिए कई श्रद्धांजलियों के साथ प्रारंभ हुआ। कैरल नेप्पी ने आभार व्यक्त किया। राजीव मेहरोत्रा ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, कि परम पावन में, चेला गुरु बन गए हैं और एक अरब भारतीयों की ओर से जन्मदिन की शुभकामनाएँ, और यह कामना कि वे दीर्घायु हों, व्यक्त की। जुआन रूज़ नौपरी ने लैटिन अमेरिका से एक श्रद्धांजलि जोड़ी। एन करी ने संचालक की भूमिका में लौटते हुए उल्लेख किया कि तीन दिन के कार्यक्रमों में अधिकांश लोग इस कार्यक्रम में सम्मिलित होना चाहते थे।
ज्ञान और अनुभव पर चिंतन करने के लिए आमंत्रित किए जाने पर, परम पावन ने टिप्पणी कीः
"हमें इस भावना की आवश्यकता है कि किस प्रकार ७ अरब मनुष्य एक मानव परिवार के हैं। हमें एक दूसरे के साथ केवल साथी मनुष्यों के रूप में बात करने की आवश्यकता है। हम सभी एक सुखी जीवन चाहते हैं और वह हमारा अधिकार है। कभी-कभी कठिन परिस्थितियाँ हमें उस लक्ष्य को पूरा करते हुए अधिक अनुभव प्राप्त करने में सहायता करती हैं।"
पॉल एकमैन ने सराहना के शब्दों में परम पावन द्वारा हमारे लिए प्रस्तावित नैतिक ढांचे की बात की जिस पर हम अपना जीवन आधारित कर सकते हैं। ८५ वर्ष के डोलोरेस हुएरटा, जो पैनल के वरिष्ठतम सदस्य थे, जिन्हें परम पावन ने अपने बगल में बैठने के लिए आमंत्रित किया था, ने कहा, कि वे देखते हैं कि खेती में काम करने वालों को पर्याप्त रूप से भुगतान नहीं किया जाता। उन्होंने उनसे कहा, "हमें अपने आप के लिए कार्य करना है।" उन्होंने श्रोताओं को उनके साथ आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित किया, "हममें शक्ति है", "किस प्रकार की शक्ति?" "जन शक्ति", "हाँ, हम कर सकते हैं।"
ईरान के मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन इबादी ने पैनल को बताया कि क्षति, जीत का एक अंग हो सकती है, ठीक उसी तरह जिस प्रकार आप बाधा को पार करने हेतु छलांग लगाने के लिए पीछे कदम रखते हैं। उन्होंने अपने न्यायाधीश के रूप में नौकरी खोने पर, क्योंकि वे एक महिला थी अफसोस व्यक्त किया, पर समझाया कि उस समय से उनकी जो उपलब्धि रही है वह अन्यथा न प्राप्त हुई होती। गायिका ग्लोरिया एस्टाफेन, जिन्हें एक बार एक दुर्घटना में एक गंभीर पीठ की चोट झेलनी पड़ी थी, ने विश्व भर के लोगों से प्राप्त समर्थन और सकारात्मक ऊर्जा की बात की जो उन्हें उस स्थिति से उबरने में बहुत सहायक था।
जोडी विलियम्स, युवा आयु से ही युद्ध-विरोधी कार्यकर्ता, ने सबको चुनौती दी कि वे सोचें कि मौन रहना, जो गलत हो रहा है उसमें सहअपराधी होना है। उन्होंने सैनिक शासन से लड़ने के लिए कार्रवाई करने के अपने आग्रह की पुष्टि की। अभिनेता जूलिया ओरमंड ने परिधान उद्योग में दासता से लोगों को मुक्त करने के लिए भावुकता से बात की, उदाहरण के लिए, "इसका अंत कब होता है? जब हम इसे समाप्त करने का निर्णय लेते हैं।" उन्होंने अंत में कहा ः
"समता एक इच्छा नहीं है, यह वह है जो हम हैं।"
एंथनी मेलिखोव ने बइलॉरस छोड़ने के बाद अपने जीवन के पुनर्निर्माण की बात की और कहा कि वह एक निर्णयात्मक मोड़ था जब उन्होंने किसी अन्य के लिए कुछ करने के महत्व का अनुभव किया।
"मुझे कुछ नहीं कहना है," एन करी द्वारा अपनी प्रतिक्रिया अभिव्यक्त करने के आमंत्रण पर परम पावन ने कहा। "मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ। मुझे लगता है कि यदि हमने २० या ३० वर्ष पूर्व इस बैठक का आयोजन किया होता तो कम लोग आते। यह तथ्य कि आप सब यहाँ हैं हमारे विकास और प्रगति का संकेत है। यद्यपि मेरा बौद्ध धर्म के प्रचार का कोई उद्देश्य नहीं है, परन्तु बुद्ध की अपने अनुयायियों को दी गई अनूठी सलाह, कि वे उनके शब्दों को आँखें बंद कर स्वीकार न करें क्योंकि यह उनके शब्द हैं, पर उनका परीक्षण करें, उन्हें जाँचे, जैसे कि एक स्वर्णकार स्वर्ण का परीक्षण करता है, आज हमारी परिस्थिति में बहुत प्रासंगिक है। यह दृष्टिकोण विज्ञान के क्षेत्र में पाए जाने वाले संदेह और उन्मुक्त चित्त से मेल खाता है।"
इसके पूर्व कि परम पावन, पैनल के सदस्यों को सफेद रेशम स्कार्फ प्रस्तुत करते, बॉब थरमन ने वहाँ उपस्थित सभी व्यक्तियों से परम पावन के जन्म दिवस के तोहफे के रूप में, कुछ ऐसा करने की प्रतिज्ञा करने का आग्रह किया जो तिब्बतियों, परम पावन के लोगों, के हित में हो, फिर चाहे वह मात्र एक जागरुकता पैदा करना ही क्यों न हो। श्रोताओं ने इसका प्रत्युत्तर करतल ध्वनि से किया।