सैन फ्रांसिस्को, सी ए, संयुक्त राज्य अमेरिका - २३ फ़रवरी २०१४ - आज प्रातः परम पावन दलाई लामा गाड़ी से सैन फ्रांसिस्को से रिचमंड गए, जहाँ तिब्बती समुदाय की संख्या १९८० के दशक से एक मुट्ठी से बढ़कर १५०० हो गई है, ने उन्हें अपने नए सामुदायिक केंद्र का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था। सभी उम्र के तिब्बती मार्ग पर पंक्तिबद्ध होकर खड़े थे और परम पावन के आगमन पर उनका पारंपरिक रूप से स्वागत किया गया।
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समुदाय के अध्यक्ष कुंजो टाशी परम पावन को भवन के अंदर ले गए। मंदिर के द्वार पर उन्होंने फीता काटा और प्रार्थना का पाठ करते हुए चावल बिखेरे। सिंहासन पर अपना स्थान ग्रहण करने से पहले उन्होंने कांग्यूर के खंडों पर के लेबल का निरीक्षण किया। चाय और मीठे चावल दिए गए और परम पावन तिब्बती पहचान और संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता के विषय में संक्षेप में बोले। उन्होंने बल दिया कि केंद्र को उपयोगी होना चाहिए।
बाहर सर्द धूप में, रिचमंड के मेयर, गेल मक लालिन को सुनने के लिए तिब्बती समुदाय एकत्रित हुआ था। मेयर ने औपचारिक रूप से शहर में परम पावन का स्वागत किया, िजसके पश्चात वे भी बोले।
"हमें निर्वासन में रहते हुए लगभग ५५ वर्ष हो चुके हैं। तब मैं एक युवा था। जिनका जन्म १९५९ के बाद हुआ, वे अब माता - पिता हैं तो हम निर्वासन में तीसरी पीढ़ी में हैं। एक व्यक्ति के जीवन में एक पीढ़ी काफी लंबी अवधि लगती है, परन्तु तिब्बती के बड़े प्रश्न के संदर्भ में ५० वर्ष बहुत लम्बा समय नहीं है। तिब्बत के तिब्बतियों ने हम पर अपनी आशा रखी है।"
उन्होंने अपने श्रोताओं को अपने धरोहर के मूल्य के विषय में प्रोत्साहित करना चाहा:
"हम सभी सुख चाहते हैं, दुख नहीं और परिणामस्वरूप हमें देखना होगा कि क्या चित्त को परिवर्तित किया जा सकता है। तिब्बती बौद्ध संस्कृति केवल प्रार्थनाओं, मंत्रों का पाठ करने, अनुष्ठानों को करना नहीं है, इसमें वास्तविकता की प्रकृति की व्याख्या सम्मिलित है। हम तिब्बतियों के पास बुद्ध ने जो सिखाया उसकी सबसे विस्तृत प्रस्तुति है। हमें यह नहीं सोचना है कि हम वंचित हैं, अपितु हमारे पास जो ज्ञान है उस पर गौरवान्वित होना चाहिए। और तो और इस ज्ञान को पाने के लिए हमें किसी अन्य भाषा पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं है, क्योेंकि यह पहले से ही तिब्बती में मौजूद है। अपना समय नशे में या जुए में व्यर्थ न करें। निराश या हतोत्साहित होने का कोई कारण नहीं है; अधिक आत्मविश्वासी और आशावादी होना अधिक उचित है।"
उन्होंने कहा कि इन दिनों सिक्योंग ने राजनैतिक उत्तरदायित्व ले लिया है और तिब्बती भावना सशक्त है। तिब्बत को विश्व भर के कई लोगों का समर्थन प्राप्त है। मध्यम मार्ग दृष्टिकोण, जो चीन से अलग होने का प्रयास नहीं, को चीन में और विदेशों में चीनी लोगों का समर्थन प्राप्त है। पूर्ण रूप से स्वतंत्रता की प्राप्ति का प्रयास उस समर्थन को तथा अधिकारियों के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत को अनदेखा करता है।
"यदि हमें चीनी संविधान द्वारा वो अधिकार दिए जाएँ जिनके हम योग्य हैं तो यह हमारे िलए अच्छा होगा। इसलिए मध्यम मार्ग दृष्टिकोण लाभकारी है। इस बीच तिब्बत से उन विहारों से संबंधित ऐसी सूचनाएँ मिल रही है जो दोलज्ञल अभ्यास से हट चुके हैं और अपने क्षेत्र के विहारों के साथ सद्भाव और मैत्री का विकास कर रहे हैं, प्रोत्साहजनक है। खुश रहिए।"
एक अनुमान अनुसार ३३०० लोग परम पावन को सुनने के लिए पास के बर्कले सामुदायिक थिएटर में एकत्रित हुए थे। प्रारंभ में तिब्बती बच्चों ने तिब्बती और अमेरिकी राष्ट्रगान गाया। कांग्रेस महिला बारबरा ली (डी) ने भावुकता और वाकपटुता से परम पावन का १३वें कांग्रेस के जिले में स्वागत किया जो उन्होंने घोषणा की, कि देश का सबसे विकासशील जिला है। उन्होंने उनके द्वारा शांति के लिए किए जा रहे उनके अथक कार्य के लिए उनकी प्रशंसा की और बर्कले में आने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उत्तर में उन्होंने प्रारंभ किया:
"आदरणीय महिला सांसद, भाइयों और बहनों, हमें वास्तव में भाईचारा और भगिनीचारे की इस भावना की आवश्यकता है। यह हमारी आत्मकेन्द्रित भावना है जो विश्व की कई समस्याओं के कारण है। हम भी उन चींटियों और मधुमक्खियों की तरह सामाजिक प्राणी हैं जिनमें समुदाय की भावना है और जो धर्म या कानून के मार्गदर्शन के बिना प्राकृतिक रूप से साथ मिलकर काम करते हैं। पर्यावरणीय संकट हमें एक विश्व का अंग बनाता है जिस तरह वैश्विक अर्थव्यवस्था। हमारी जनसंख्या बढ़ रही है, प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो रही है जो मानवता की एकता को स्वीकार करने की हमारी आवश्यकता को स्पष्ट कर रही है।"
परम पावन ने रुककर अपने श्रोताओं से पूछा:
"आपको क्या लगता है, सुख प्राप्त करने का श्रेष्ठ उपाय क्या है, क्या यह धन और शक्ति द्वारा है? मेरे सबसे बड़े भाई, तकछेर रिनपोछे ने मुझे बताया, कि जब तक वह अपने विहार में थे, तब तक उन्होंने एक बार भी धन के विषय में नहीं सोचा पर एक बार जब वह संसार में बाहर आए तो उन्होंने अनुभव किया कि यह कितना महत्त्वपूर्ण है। पर धन हमारे लिए केवल भौतिक सुख लाता है। मात्र भौतिक वस्तुएँ चित्त की शांति नहीं ला सकती।"
"एक बार बार्सलोना में मेरा परिचय एक कैथोलिक भिक्षु से कराया गया। उन्होंने पहाड़ों में एकांतवास करते हुए पाँच वर्ष बिताए थे। एक अद्भुत व्यक्ति, मैंने उनसे पूछा कि वह किस प्रकार का अभ्यास करते थे और उन्होंने कहा कि वह प्रेम पर ध्यान साधना करते थे। और चूँकि वे ऐसा कर रहे थे, उनकी आँखों में एक चमक थी। वह बहुत प्रसन्न थे और फिर भी डबल रोटी तथा पानी पर जीवित थे, वह पकाया भोजन बहुत कम करते थे। स्पष्ट है कि वास्तविक सुख भौतिक सुविधाओं पर निर्भर नहीं करता।"
परम पावन ने समझाया कि वैज्ञानिक पा रहे हैं कि अधिक करुणाशील व्यक्ति अधिक सुखी हैं। एक सुखी चित्त शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है। उन्होंने कहा कि हमें मित्रों की आवश्यकता है, पर पूछा कि हम उन्हें कैसे पा सकते हैं? विश्वास, पारदर्शिता, सत्यवादिता और ईमानदारी मित्रों को आकर्षित करती है और सुखी व्यक्तियों, सुखी परिवारों, सुखी समुदायों और एक अधिक सुखी विश्व का निर्माण करती है।
परम पावन ने वैज्ञानिकों द्वारा दिए जा रहे अमेरिका में धर्मनिरपेक्ष शिक्षा में धर्मनिरपेक्ष नैतिकता को बढ़ावा देने में सहायता की ओर ध्यान आकर्षित किया। मानवता की एकता के आधार पर दूसरों के प्रति चिंता का विकास आवश्यक रूप से एक धार्मिक शिक्षण नहीं है। यद्यपि सभी धार्मिक परंपराएँ यह स्वीकार करती है कि इस में बाधाएँ हैं और हमें सहिष्णुता और क्षमा सिखाती है। और चूँकि हम लालच की कमियों के अधीन हैं इसलिए वे संतोष और सादगी भी सिखाती है। इसी तरह, सभी प्रमुख धार्मिक परंपराएँ आत्म अनुशासन सिखाती है, और इस तरह वे आम लक्ष्यों को साझा करती है। यही कारण है कि परम पावन अंतर्धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देते हैं। पर साथ ही वैज्ञानिक शोध दिखाते हैं कि आंतरिक मूल्य हमारे जीवन में वास्तविक सुख लाते हैं।
श्रोताओं की ओर से पूछे गए प्रश्नों में, परम पावन से मृत्यु पर बोलने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि यदि आप एक सार्थक जीवन व्यतीत करते हैं, दूसरों की सहायता करते हुए और उनका अहित करने से बचते हुए तो आप इस जीवन के पश्चात एक अच्छा परा जीवन सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने बल दिया कि मृत्यु के वास्तविक समय में चित्त की शांति आवश्यक है, इसलिए मरणासन्न व्यक्ति को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। एक बौद्ध दृष्टिकोण से करुणा तथा वास्तविकता की प्रकृति के विषय में सोचना और कुछ भावना करना लाभकारी होगा, जैसा कि कई अपने दैनिक अभ्यास में करते हैं।
सत्र का समापन छोटे बच्चों के एक समूह द्वारा परम पावन की दीर्घायु के लिए एक छोटी प्रार्थना के पाठ से हुआ।
मध्याह्न के भोजनोपरांत वे जब सैन फ्रांसिस्को में अपने होटल लौटे तोे परम पावन को एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया जो कि विश्व भर के लोगों में से ऐसे करुणा के विस्मृत नायकों के कार्य को पहचान कर उनकी सराहना करने के लिए था जो बिना किसी प्रतिफल की आशा के दूसरों के दुख को कम करने के लिए कार्य कर रहे हैं। यह डिक ग्रेस तथा ग्रेस फेमिली फाउंडेशन द्वारा प्रारंभ की गई संस्था है और इस प्रकार का यह चौथा कार्यक्रम है।
नवांग खेछोग के बांसुरी वादन द्वारा इस अवसर को शांतिमय बनाने के पश्चात प्रारम्भिक वक्ता, तकेल्मा जनजाति की ९० वर्षीय दादी एग्नेस ने घुमा फिराकर श्रोताओं को सृष्टि के आवश्यक अंग, जल जैसे महान उपहार के विषय में सोचने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सबसे आग्रह किया कि वे उनके साथ सृजनकर्ता से परम पावन तथा उनके लोगों को सुरक्षित रखने के लिए कर रही प्रार्थना में सम्मिलित हों। जब अभिनेता पीटर कोयोट ने परम पावन को बोलने के लिए आमंत्रित किया तो उन्होेंने उनका अभिन्दन किया।
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"हम सब हमारी माँ से आते हैं और इस वृद्ध महिला ने हम पर उसी प्रकार स्नेह बरसाया है जैसे एक माँ अपने बच्चों के लिए करती है। हम कृतज्ञ हैं, धन्यवाद।"
"हमारे जीवन में, मेरी पीढ़ी ने २०वीं शताब्दी का प्रमुख भाग देखा है। मैं लगभग ७९ वर्ष का हूँ और उस युग की हत्या और हिंसा अभी भी सीरिया जैसे देशों में चली आ रही है। प्रश्न यह है कि क्या ऐसी निर्मम हत्या वास्तव में मानव स्वभाव का एक अंग है। हमारी माँ हमें जन्म देती है और हम माँ के दूध से पोषित होते हैं। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि जहाँ क्रोध और भय उसे दुर्बल करते हैं, सौहार्दता वास्तव में हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छी है। यह स्पष्ट करता है कि वास्तव में मानव प्रकृति अनिवार्य रूप से दयालु है।"
"वास्तविकता यह है कि जैसा मैंने पहले कहा कि हम सामाजिक प्राणी हैं और हम में से प्रत्येक जिसमें हम रहते हैं उस समुदाय पर निर्भर होते हैं अतः आज युद्ध का विचार पुराना हो चुका है। प्राचीन समय में, अपने शत्रुओं का विनाश आपकी विजय थी। अब हम एक शरीर के अंग जैसे हैं, इसलिए दूसरों के साथ जो होता है वह हमें भी प्रभावित करता है। हमें एक दूसरे का ध्यान रखना है।"
"साधारणतया मैं कहता हूँ कि ३० से कम आयु के युवा लोग २१वीं शताब्दी के हैं। मेरी पीढ़ी २०वीं शताब्दी की है, एक युग जो समाप्त हो गया है। हम इस सदी में किए जाने के लिए महान परिवर्तन नहीं देख सकेंगे। जो आज युवा हैं, उन्हें एक बेहतर और अधिक शांतिपूर्ण विश्व बनाने के लिए कार्य करना चाहिए, और मैं अक्सर चिढाते हुए कहता हूँ कि मैं जहाँ भी हूँगा आपको देखता रहूँगा कि आप कैसे कर रहे हो।"
परम पावन ने एक ऐसी संस्थान बनाने के लिए जो ऐसे अद्भुत लोगों की ओर व्यापक ध्यान आकर्षित करवाता है, डिक ग्रेस की प्रशंसा की। वे सभी ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जो एक युवा पीढ़ी को केवल सशक्त कर सकता है। २०१४ के लिए करुणा के विस्मृत नायकों में से प्रत्येक सम्मान पाने के िलए मंच पर आए और अंत में तालियों की गड़गड़ागट ज़ोरदार तथा लंबी थी।