फ्रैंकफर्ट, जर्मनी - १६ मई २०१४ - भारत लौटने से पूर्व परम पावन दलाई लामा का अंतिम व्याख्यान 'फ्रैंड्स फ़ार ए फ्रैंड' दल के अनुरोध पर दिया गया। लगभग अस्सी लोग जिनमें व्यवसाय से जुड़े, मनोरंजन करने वाले, शिक्षक और अन्य लोगों ने भाग लिया, के समक्ष आसन ग्रहण करते हुए उन्होंने कहा:
"मैंने वास्तव में यहाँ अपनी यात्रा का आनंद उठाया है और मैं आयोजकों का धन्यवाद करना चाहूँगा जिन्होंने इसे सफल बनाने के लिए कार्य किया।"
समूह प्रतिनिधि ने कहा कि वे हमेशा परम पावन को सुनना पसंद करते हैं और वे अपने उनकी सलाह को अपने दैनिक जीवन का एक अंग बनाने की इच्छा रखते हैं। परम पावन ने कहा कि मनुष्य होने के नाते हमें अपनी भावनाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हम स्वयं को ऐसी स्थिति में पा सकते हैं जहाँ हम सोचते हैं कि क्रोध, सहन करने की कोई ऊर्जा लेकर आएगा, पर उचित यही होगा कि हम समस्या का सामना एक शांत चित्त से करें। एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण अपनाना अधिक उपयोगी है। उन्होंने कहा कि वह यही करते हैं।
यह पूछे जाने पर कि, सदा और अधिक चाहने की इच्छा से कैसे निपटा जाए, परम पावन ने कहा कि यह कुछ सीमा तक इस पर निर्भर करता है कि आप क्या अधिक चाहते हैं। यदि आप अपने लिए धन चाहते हैं, तो संतोष रखना उचित होगा, पर यदि यह धन ७ अरब मनुष्यंो के बीच गरीबों की सहायता करने के लिए है तो वह अलग होगा। जर्मनी में, यूरोपीय संघ में प्रबलतम अर्थव्यवस्था के साथ संभवतः यह एक समस्या न हो। यद्यपि हम ध्यान दे सकते हैं कि चूँकि हम आंतरिक मूल्यों की तुलना में, भौतिक वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, इसलिए हम सदा और अधिक पाना चाहते हैं।
"जर्मनी रूस की कुछ सहायता कर सकता है। सोवियत संघ के पतन के बाद यदि पश्चिम ने रूस के समर्थन का कार्य और तत्परता से किया होता तो आज स्थिति भिन्न होती। १९७९ में मैंने जब सोवियत संघ की यात्रा की, तो उनको वास्तव में लगता था कि उन्हें पश्चिम से खतरे का सामना करना पड़ेगा। यह वैसा ही था जो मैंने १९७३ में अपनी पहली यूरोप की यात्रा के दौरान वहाँ देखा था, कि पूर्व से एक आसन्न संकट था।"
समूह के प्रतिनिधि ने पूछा:
"मैं आज जब इस कमरे से बाहर निकलूँगा तो अपने साथ आपकी प्रेरणा ले कर जाऊँगा, पर यह क्षीण पड़ जाता है। हम इसे किस प्रकार ताजा रख सकते हैं?"
परम पावन ने उत्तर दिया:
"आप जो सुनते हैं उससे स्वयं को परिचित रखें। यही मैं प्रतिदिन करता हूँ, बल्कि दिन में कई बार करता हूँ। उदाहरण, जब शुगदेन समर्थकों द्वारा मेरे विरुद्ध चिल्लाने की समस्या सामने आती है, तो अपने चित्त के एक कोने में, मैं उनके लिए करुणा उत्पादित करता हूँ, क्योंकि वे जो भी कर रहे हैं, वह पूरी तरह अज्ञान के कारण है। इस संबंध में विश्लेषण बहुत उपयोगी है और इसके साथ है इसको जानना। यहाँ तक कि, स्वप्न में भी मैंने जो विश्लेषण किया है उस पर चिंतन करता हूँ।"
"ऐसा कहा गया है, कि 'यदि आप एक गृहस्थ के रूप में अभ्यास कर सकते हैं, तो आपके पास मुक्ति प्राप्त करने का एक अवसर है, पर यदि आप एक सन्यासी का जीवन जीते हुए भी अभ्यास नहीं करते तो उससे कोई अंतर न पड़ेगा।' पर आप में से जिनके बच्चे हैं, उनके पास अगली पीढ़ी के लिए योगदान करने का मौका है, जो एक महान अवसर है।"
श्रोताओं में से एक जानना चाहता था कि क्या शारीरिक योग का अभ्यास चित्त के प्रशिक्षण किसी प्रकार लाभकारी है, और परम पावन ने कहा कि यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, पर केवल अपने आप में मानसिक प्रशिक्षण के लिए उसका सीमित मूल्य है। जब किसी और ने पूछा, कि कुछ गलत करने पर उसके प्रति उत्तरदायी होने की भावना से ऊपर कैसे उठा जा सकता है, परम पावन ने कहा कि यह आपकी प्रेरणा पर निर्भर होगा, यदि वह सकारात्मक था, पर जैसी अपेक्षा थी वैसा नहीं हुआ तो उससे कुछ नहीं होगा। पर यदि चीज़ें गंभीर रूप से बिगड़ जाएँ, गलत निर्णय के कारण लोगों की मृत्यु हो, तो जो क्षति पहुँची है उसे ठीक किया जाना चाहिए और पीड़ित को राहत देने का प्रयास करना चाहिए।
इच्छा मृत्यु के विषय में एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि गर्भपात की तरह साधारणतया अच्छा होगा कि यदि आप बच सकते हैं, तो इससे बचें, पर बहुत अधिक पीड़ा के मामले हो सकते हैं, जहाँ पर बचने की कोई संभावना नहीं थी, जहाँ यह उचित था। एक महत्त्वपूर्ण कारक, एक शांत चित्त से मृत्यु का सामना करने की क्षमता है।
यह पूछे जाने पर, कि वह छात्रों के समूह को क्या सलाह देंगे, परम पावन ने टिप्पणी की, कि वह जो २०वीं सदी के हैं और वे जो २१वीं सदी के हैं, उन में अंतर करते हैं। जो २१वीं सदी के हैं उनके लिए अभी भी परिवर्तन के अवसर हैं। उन्होंने कहा कि, जब हम स्वयं को 'हम' और 'उन' के रूप में सोचने के संदर्भ में पाते, तो हमें स्मरण रखना चाहिए कि सभी ७ अरब मनुष्य एक मानव परिवार से जुड़े हैं। गौण मतभेद पर अनावश्यक ध्यान केन्द्रित करने से संघर्ष उत्पन्न होते हैं। यदि हम इस पर काबू पा सकें, तो हम इस सदी को और अधिक शांतिपूर्ण सदी बना सकते हैं।
धार्मिक मतभेदों के बारे में परम पावन ने नॉर्वे में एक महिला का उल्लेख किया, जिसने कुछ दिनों पहले किसी सृजनकर्ता के न होने के विचार को लेकर व्याकुलता व्यक्त की थी। उन्होंने उससे कहा, कि वह अपने विश्वास को बनाए रखे और स्मरण रखे कि हम सभी मनुष्य हैं, जिन्हें एक सुखी जीवन व्यतीत करने का अधिकार है।
"हाल ही में दक्षिण भारत में मैं एक स्वामी से मिला, एक अद्भुत व्यक्ति जो गरीबों की सहायता करने का महान काम करता है। मैंने उससे कहा कि हिंदु और बौद्ध जुड़वाँ भाइयों की तरह हैं, सिवाय इसके कि वह एक 'आत्मा' में विश्वास करते हैं, जो कि उनका मामला है और मैं नहीं, जो कि मेरा है।"
परम पावन ने स्पष्ट किया कि एक सत्य और एक धर्म का विचार एक व्यक्ति के संदर्भ उचित में उचित है, पर समुदाय के संदर्भ में हमें स्वीकार करना होगा कि कई सत्य और कई धर्म हैं।
श्रोताओं में से एक अन्य ने पूछा:
"दलाई लामा के रूप में क्या आप मुझसे और अधिक देखते हैं?" परम पावन बोले ः
"नहीं, नहीं, नहीं, एक बार लंदन में अल्बर्ट हॉल में कई हजार लोगों के सामने मैंने कहा कि आपमें से कुछ यहाँ यह सोचकर आए होंगे कि दलाई लामा के पास कुछ जादुई शक्ति है - जो कि बकवास है। कुछ अन्य सोचते होंगे कि उनके पास ठीक करने की शक्ति है और यदि उनके पास है तो मैं अपनी गर्दन के पीछे हो रही खुजली को ठीक करने में मदद चाहूँगा। दूसरे दिन मुझे मरहम की एक ट्यूब मिली जो वास्तव में सहायक थी। एक बौद्ध होने के नाते पूर्व जन्मों में मैंने अपने अध्ययन और अभ्यास से कुछ लाभ जमा कर लिया होगा पर मैं मात्र एक साधारण मनुष्य हूँ। जहाँ तक में क्या देख सकता हूँ, का प्रश्न है, चूँकि मेरी आँखों में कुछ विशिष्टताओं को ठीक करने के लिए मेरा ऑपरेशन हुआ, वे पुनः तेज़ हो गई है। एक बार मैं एक बीबीसी संवाददाता से मिला जब मैंने अपनी एक आँख ठीक करवाई थी, और मैंने उससे कहा कि अब मैं स्पष्ट रूप से फिर से उसकी झुर्रियों को देख सकता था। उसने कहा कि उसे मेरी अन्य आँख अधिक पसंद थी।"
परम पावन ने यह भी उल्लेख किया कि उनके तार्किक प्रशिक्षण ने उनके मस्तिष्क को पैना कर दिया है, उदाहरण के लिए, विशेषज्ञ वैज्ञानिक प्रस्तुतियों में विरोधाभास और विसंगतियाँ देखने में सक्षम कर दिया है। कई अमरीकी स्वयंसेवकों ने भी यह देखा है, जो दक्षिण भारत के महान तिब्बती विहारों में विज्ञान पढ़ाने आए हैं। उनका कहना है कि अंग्रेजी या गणित में बिना किसी भी प्रशिक्षण के, भिक्षुओं में परीक्षण करने, प्रश्न पूछने और समझने की एक तीव्र क्षमता है। यह तिब्बती विहार की शिक्षा के प्रति एक श्रद्धांजलि है।
अंत में एक प्रश्नकर्ता आने वाले विश्व कप के संदर्भ में जानना चाहता था कि क्या परम पावन फुटबॉल देखते हैं और क्या उनकी कोई चहेती टीम है। उन्होंने उत्तर दिया:
"कोई रुचि नहीं।"
बाद में जर्मन प्रस्तुतकर्ता एसोसिएशन, नेताओं की अभिनव सोचा के एक गैर लाभकारी संगठन ने परम पावन को २०१४ के लिए अपना वैश्विक पुरस्कार प्रदान किया, क्योंकि वे समूचे विश्व के लोगों के मर्म को छूते हैं तथा उनके लिए प्रेरणा हैं, और तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए निरंतर वकालत कर रहे हैं। उसके पश्चात जो डॉ. फ्रांज ऑल्ट द्वारा लिया गया एक संक्षिप्त साक्षात्कार का आयोजन था। उन्होंने एक सामान्य प्रश्न के साथ समाप्त किया:
"क्या आपको लगता है कि इस जीवन में आप तिब्बत लौटेंगे?" दृढ़ उत्तर था:
"निश्चित रूप से। यदि मेरी मृत्यु इस वर्ष अथवा अगले वर्ष हो तो ऐसा नहीं हो सकता, पर यदि मैं और १०, १५ या २० वर्ष जीवित रहूँ, तो निश्चित रूप से लौटूँगा।"
परम पावन आज अपने लुफ्थांसा मित्रों के साथ सीधे भारत वापसी के लिए फ्रैंकफर्ट से उड़ान भरेंगे। वे कल धर्मशाला लौटेंगे।