लॉस एंजिल्स, सी ए, संयुक्त राज्य अमेरिका - २५ फरवरी २०१४ - आज सेन ह्यूस से लॉस एंजिल्स की एक छोटी उड़ान के बाद, परम पावन दलाई लामा सीधे इंगलवुड मंच गए जहाँ वे 'अहिंसा तथा २१वीं सदी में करुणा का प्रभाव' पर सार्वजनिक व्याख्यान देने वाले थे। हजारों लोग उन्हें सुनने के लिए एकत्रित हुए थे।
इसके पहले वाल स्ट्रीट जर्नल की बारबरा चाइ से बोलते हुए उन्होंने टिप्पणी की, कि वह जब १९७३ में पहली बार यूरोप और १९७९ में संयुक्त राज्य अमेरिका आए थे, तब बहुत लोग करुणा के विषय में बोलते नहीं थे, अब यह रुचि व्यापक है। यद्यपि अभी भी ऐसा है कि जब लोग, जो एक भौतिकवादी समाज में बड़े हुए हैं वे मानसिक तनाव का सामना करते हैं, तो उनका एकमात्र निकास द्वार नशीली दवाओं अथवा शराब की ओर प्रवृत्त होना है। जब उन्होंने उस नए चीनी नेता शी जिनपिंग के बारे में उनसे पूछा तो परम पावन ने उनसे कहा कि मित्र बताते हैं कि वह अधिक यथार्थवादी हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के विरोध में उनके द्वारा उठाए गए साहसी कदम का उदाहरण दिया और कहा कि हाल कीे ३सरे विस्तृत बैठक में सकारात्मक संदर्भ में उन्होंने गरीब किसानों की स्थिति में तथा न्यायिक प्रणाली में सुधार आशा के आधार हैं। उन्होंने कहा:
"१.३ अरब चीनी लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वास्तव में क्या हो रहा है। उनमें सही तथा गलत के बीच अंतर करने की क्षमता है, इस प्रकार की सेंसरशिप को बाधित करना हानिकारक है। इस बीच यह महत्त्वपूर्ण है कि चीनी न्यायिक प्रणाली के स्तर को अंतरराष्ट्रीय मानकों तक उठाया जाए।"
मंच के पीछे जानी मानी हस्तियों के साथ एक छोटी बैठक में, जिनमें अभिनेता जिम कैरी, बास्केटबॉल टीम के कोच फिल जैक्सन और गायक एरिक बेनेट शामिल थे, परम पावन ने उनके कामों की और सुख के संदेश के प्रसारण की उनकी क्षमता की सराहना की। उन्होंने उनसे शिक्षा के क्षेत्र में सौहार्दता के प्रशिक्षण को सम्मिलित करने की आवश्यकता के विषय में बताया। इस संदर्भ में, भावनाओं के एक प्रमुख विशेषज्ञ पॉल एकमन, खेल और मनोरंजन की दुनिया में से कुछ निकालने में रुचि रखते हैं।
एन बी सी न्यूज की मारिया श्राइवर के साथ एक बातचीत में परम पावन अपने विचारों की पुष्टि की, कि यह करुणा और चित्त को शांत रखना है जो कि शक्ति का संकेत है और क्रोध दुर्बलता का संकेत है।
जैसे ही परम पावन ने फोरम के मंच पर प्रवेश किया, तालियों की गड़गड़ाहट ने उनका स्वागत किया। इंगलवुड में उनका स्वागत करते हुए मेयर जेम्स टी बट्स ने कहा १००० बच्चों से लेकर व्यापार के अधिकारी उन्हें सुनने के िलए उमड़ पड़े थे। मेयर ने परम पावन के प्रति समर्थन और सराहना की घोषणा प्रस्तुत की। इसके बाद मारिया श्राइवर ने अपने परिचय में कहा:
"परम पावन का करुणा और शांति का संदेश इससे अधिक महत्त्वपूर्ण कभी नहीं रहा।"
"आदरणीय बड़े भाइयों और बहनों तथा छोटे भाइयों और बहनों", परम पावन ने प्रारंभ किया, "मुझे यहाँ आकर बहुत प्रसन्नता है", हम सभी में एक समान क्षमता है, अच्छे और बुरे की क्षमता। हम सभी एक सुखी जीवन जीना चाहते हैं और हम सभी को ऐसा करने का अधिकार है। मनुष्यों के पास अनूठा मस्तिष्क, महत्त्वपूर्ण बुद्धि है यद्यपि कभी कभी यदि हम इसका दुरुपयोग करें तो यह हमें सबसे बड़ी कठिनाइयों का निर्माता बना सकता है।"
उन्होंने कहा कि कई महान विकास के बावजूद, २०वीं सदी हिंसा का युग रहा है जिसमें कुछ लोगों का कहना है कि २०० अरब लोग मारे गए जिसमें परमाणु हथियारों का भीषण उपयोग शामिल है। अब २१वीं सदी के प्रारंभ में, जैसी हिंसक स्थितियाँ सीरिया में दिखाई दे रही हैं वे पिछली त्रुटियों तथा उपेक्षाओं के लक्षण हैं। इस ग्रह पर जहाँ एक ओर कुछ लोग सुख के चरम पर अपना जीवन जी रहे हैं, अन्य, गरीबी में रहते हैं, उनके बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। परम पावन ने कहा कि जहाँ धनवानों को अपने अच्छे भाग्य का साझा करना चाहिए और सुविधाएँ तथा सहायता प्रदान करना चाहिए, निर्धनों को दिए हुए अवसरों का लाभ उठाना चाहिए, अपने आत्म विश्वास को निर्मित कर कड़ा परिश्रम करना चाहिए। इस तरह धनाढ्यों तथा निर्धनों के बीच की खाई को पाटा जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि के कारण विश्व के ७ अरब लोगों को मिलकर काम करना सीखना चाहिए। परम पावन ने कहा कि अब ऐसा समय नहीं रहा है कि मात्र 'मेरा राष्ट्र' या 'हमारे महाद्वीप' के बारे में सोचें। मानवता की एकता की भावना के आधार पर वैश्विक उत्तरदायित्व की सच्ची आवश्यकता है।
"एक बार हम समझ लें कि हमारी ही तरह अन्य मनुष्य भी सुखी जीवन जीना चाहते हैं और हमारा अपना भविष्य उन जैसे अन्य लोगों पर निर्भर करता है, तो करुणा का विकास सरल हो जाएगा। यह अस्तित्व का प्रश्न है , "परम पावन ने स्पष्ट किया" और हमारी करुणा की भावना की रक्षा के लिए, हमें सहिष्णुता और क्षमा की आवश्यकता है। ये ऐसे गुण हैं जो एक अधिक समृद्ध और अधिक सामंजस्यपूर्ण समुदाय के आधार हैं। इस लक्ष्य को वास्तविक रूप में प्राप्त करने के लिए, हम ऐसे पाठ्यक्रम पर कार्य कर रहे हैं जिसमें हमारी शिक्षा व्यवस्था में बाल विहार से लेकर विश्वविद्यालय तक धर्मनिरपेक्ष नैतिकता लागू की जाए।"
परम पावन ने वैज्ञानिकों द्वारा अभिलिखित लाभकारी निष्कर्षों की बात की जब लोग करुणा के सरल प्रशिक्षण, यहाँ तक कि केवल तीन सप्ताह मात्र के अभ्यास में संलग्न होते हैं। उनके तनाव के स्तर और रक्तचाप में कमी आती है, और अपने आसपास के लोगों के साथ व्यवहार करने की उनकी क्षमता में सुधार होता है। उन्होंने यह भी इंगित किया कि श्रोताओं में से कई हजार चतुर लोगों में से, जिनका पालन पोषण स्नेह के साथ हुआ वे संभवतः अभी अधिक सुखी हैं, उनकी तुलना में जिनका पालन पोषण इस प्रकार नहीं हुआ। इसी तरह, जब एक परिवार के सदस्यों के बीच स्नेह हो भले ही वे सम्पन्न हों या नहीं, वे अधिक सुखी होते हैं जबकि उन परिवारों के सदस्य जो धनी हों पर जो ईर्ष्या और अविश्वास की गहन भावनाओं से ग्रस्त होते हैं, दुखी रहते हैं। परम पावन ने कहा कि यह सामान्य ज्ञान है। उन्होंने कैथोलिक भिक्षु की कहानी सुनाई जिससे वे बार्सिलोना में मिले थे जो विगत ५ वर्षों से पहाड़ पर एकांतवास में प्रेम पर ध्यान कर रहा था। वह अधिकांशतया डबल रोटी और पानी पर जीवित था पर उसकी चमकती आँखें उसके पूर्णतया आनन्द भाव को अभिव्यक्त कर रहीं थी, एक जीवंत उदाहरण कि आंतरिक मूल्य सच्चे सुख की कुंजी है।
"अमेरिका में, नवीनता के इस केन्द्र में, हमें अपनी शिक्षा प्रणाली में नवीनता अपनाना चाहिए। आपमें से जो २१वीं सदी के लोग हैं, भविष्य आपके हाथों में है। अतीत जा चुका है और वह मात्र एक ऐसे अनुभव का स्रोत है जिससे हम सीख सकते हैं, पर भविष्य खुला है, उसे आप पुनः आकार दे सकते हैं। आप में से जो आज युवा हैं वे विश्व को परिवर्तित कर सकते हैं। आपको जिसकी आवश्यकता है वह दृष्टि और दृढ़ संकल्प है।"
जैसे ही परम पावन ने बोलना समाप्त किया लौर्डेस फाउंडेशन के शॉन लौर्डेस उनका धन्यवाद और प्रशंसा व्यक्त करने के लिए आगे आए। उन्होंने कुशो तेनजिन दोनदेन को भी धन्यवाद दिया जिनके बिना यह कार्यक्रम संभव न हो पाता। जब परम पावन ने जनमानस से विदा लेते हुए हाथ हिलाया, लौर्डेस ने कहाः
"यदि हम आशा पर ध्यान केन्द्रित करें तो हम एक बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते हैं।"