धर्मशाला, हि. प्र., भारत, अगस्त २७, २०१३ (तिब्बत पोस्ट इंटरनेशनल) – लदाख में एक महीने के लम्बे ध्यानयुक्त एकांतवास की समाप्ति के पश्चात, तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु परम पावन दलाई लामा ने अगस्त २५, रविवार के दिन धर्मशाला, भारत के मुख्य मंदिर में चोंखापा के “बोधिपथक्रम संक्षिप्तार्थ” पर तीन दिवसीय प्रवचन प्रारंभ किया।
४७०० अनुयायियों को संबोधित करते हुए, जिनमें २५० कोरियायी और ६१ देशों से अंतर्राष्ट्रीय यात्री थे, परम पावन ने कहा कि विश्व में स्थायी शांति और सुख पैदा करने हेतु नैतिकता, प्रेम और सहनशीलता जैसे सकारात्मक मानवीय मूल्यों का विकास किया जाना चाहिए।
तीन दिवसीय प्रवचन सत्र कोरिया के अनुयायियों और भक्तों के अनुरोध पर दिए जा रहे हैं।
“प्रजातंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता के बावजूद विश्व अभी भी भ्रष्टचार, पाखंड, शक्तिशालियों द्वारा निर्बलों पर धौंस जमाने जैसी समस्यायों का सामना कर रहा है” , परम पावन दलाई लामा ने कोरिया के एक वर्ग के अनुरोध पर दिए जा रहे तीन दिवसीय प्रवचन के प्रथम दिन कहा।
“आश्चर्यजनक तकनीकी उन्नति और भौतिक विकास के बावजूद लोगों में आंतरिक शांति और विश्व में स्थायी शांति नहीं है। सकारात्मक मानवीय मूल्यों के अभाव लोभ, ईर्ष्या और घृणा जैसी नकारात्मक भावनाओं को जन्म देते हैं” , नोबल शांति पुरस्कार विजेता ने कहा।
“अतः ७ अरब मनुष्यों के लिए मानवीय मूल्यों के विकास की आवश्यकता समान है फिर चाहें वे धर्म में विश्वास रखते हों अथवा नहीं। विश्व की सभी धार्मिक परम्पराएँ नैतिकता, प्रेम, करुणा, सहिष्णुता, संतोष और आत्म-अनुशासन के विकास और संवर्धन की शिक्षा देती हैं” , परम पावन ने कहा।
बोधगया में सिलसिलेवार बम धमाकों और आतंकवादियों द्वारा बौद्ध मठों को दी गई धमकी के बाद परम पावन दलाई लामा के आवास और बौद्ध मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
हालांकि, इससे पहले विभिन्न राष्ट्रीयताओँ के श्रद्धालु परम पावन के प्रवचन सुनने के लिए अपने साथ एफ एम रेड़ियो और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण साथ ही अपनी मातृभाषा में प्रवचन सुनने के लिए अनुवादक भी साथ लाते थे।
“हमने दलाई लामा के कार्यालय द्वारा इस महीने अगस्त २७ प्रारंभ होने वाले दलाई लामा के प्रवचनों में एफ एम रेड़ियो और