अपनी मोनलम (नए वर्ष) के प्रवचन के अंत में २७ मार्च २००६ को धर्मशाला में तिब्बत से आए तिब्बतियों के विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए अपने भाषण में दलाई लामा विभिन्न प्रश्नों पर भावु...
१५ फरवरी, २००१ - शाक्यमुनि बुद्ध ने दो हजार वर्ष से अधिक पहले प्रबुद्धता प्राप्त की और भारत में शिक्षा दी पर आज भी उनकी शिक्षा ताज़ा और प्रासंगिक बनी हुई है। हम चाहें जो भी हों अथव...
जनवरी १४, २००३तेनजिन ज्ञाछो, परम पावन १४वें दलाई लामा, द्वारा यह ऐसा समय है जब विनाशकारी भावनाएँ जैसे क्रोध, भय और घृणा संपूर्ण विश्व में विध्वंसकारी समस्याओं को जन्म दे रही है। ज...
बौद्ध धर्म की शिक्षा के अनुसार प्राकृतिक पर्यावरण और उसमें रहनेवाले सचेतन लोगों के बीच अत्यधिक परस्पर निर्भरता है। मेरे कुछ मित्रों ने मुझे बताया कि मानव का मूल स्वभाव कुछ-कुछ हिंस...
एक बच्चे के रूप में बौद्ध धर्म के अध्ययन के समय मुझे पर्यावरण के प्रति देखभाल का व्यवहार सिखाया गया। हमारी अहिंसा का अभ्यास केवल मनुष्यों पर ही लागू नहीं होता परन्तु सभी सत्त्वों प...
मैंने कई अवसरों पर भारत, जो हमारा वर्तमान घर है, और तिब्बत में वृक्षारोपण के महत्त्व के विषय में टिप्पणी की है। आज एक प्रतीकात्मक रूप में हम यहाँ आवास में वृक्षारोपण समारोह मना रहे...
एक बच्चे के रूप में बौद्ध धर्म के अध्ययन के समय मुझे पर्यावरण के प्रति देखभाल का व्यवहार सिखाया गया। हमारी अहिंसा का अभ्यास केवल मनुष्यों पर ही लागू नहीं होता परन्तु सभी सत्त्वों प...
मैं लद्दाख ग्रुप के इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर रिलीजियस फ्रीड़म (आईएआरएफ) द्वारा आयोजित धार्मिक सद्भाव, सहअस्तित्व और सार्वभौमिक शांति के संरक्षण पर इस अंतर्धार्मिक संगोष्ठी में सम्मिल...
आज जब बीसवीं सदी समाप्त होने को है तो हम देखते हैं कि विश्व छोटा हो गया है और विश्व के लोग लगभग एक समुदाय के हो गए हैं। राजनैतिक और सैन्य गठबंधनों ने विशाल बहुराष्ट्रीय समूहों का न...
हम जब प्रातः जागते हैं और रेडियो सुनते हैं या समाचार पत्र पढ़ते हैं तो हमारा सामना उन्हीं दुखद समाचारों से होता है - हिंसा, अपराध, युद्ध और आपदाएँ। मुझे याद नहीं पड़ता कि एक भी दिन...
( मूल तिब्बती से अनूदित ) परिचय तिब्बत में और तिब्बत के बाहर मेरे साथी तिब्बतियों, वे सभी जो तिब्बती बौद्ध परम्परा का पालन करते हैं, और वे सब जिनका तिब्बत और तिब्बतियों से कोई सं...
निर्वासन में आने के बाद, मैंने विगत ३० वर्षों में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने के सच्चे प्रयास किए हैं। निर्वासन में तिब्बतियों का कहना है कि "हमारा लोकतंत्र परम पावन दलाई लाम...
मार्च १४, २०११ तिब्बती जनप्रतिनिधि की चौदहवीं सभा के सदस्यों के लिए, यह सामान्य ज्ञान है कि प्राचीन तिब्बत, जिसमें तीन प्रांत थे (छोल्खा-सुम) बयालीस तिब्बती राजा ने क्रमशः शासन क...
आज १९५९ में तिब्बती राजधानी ल्हासा में साम्यवादी चीन द्वारा किए गए दमन के विरोध में तिब्बती लोगों की शांतिपूर्ण क्रांति की ५२ वीं वर्षगांठ और २००८ में तिब्बत में हुए अहिंसक प्रदर्श...
एक बुनियादी स्तर पर, मनुष्य होने के नाते हम सब एक समान हैं, हम में से हर एक सुख की आकांक्षा रखता है और हम में से प्रत्येक दुख नहीं झेलना चाहता। इसलिए जब भी मुझे अवसर मिलता है तो मै...
मैं सभी सत्त्वों कोचिन्तामणि से भी बढ़कर। परम अर्थ की सिद्धि के आशय सेनित्य परम प्रिय के र...
चित्त शोधन पद २किसी अन्य के संग व्यवहार करते हुएमानूँ स्वयं को निम्नतमऔर अपने हृदय की गहराइयों से,सम्मान से मानूँ अन्य को श्रेष्ठ पहले पद में अन्य सभी सत्वों को मूल्यवान समझने की ...
अपने हर आचरण मेंअपनी चित्त को परीक्षण करुँ ।और स्व-पर हानिकारक क्लेश उत्पन्न होते हीउनका बलपूर्वक सामना करके प्रहाण करुँ ।। 3 यह पद वास्तव में उस तत्त्व की बात करता है जिसे बौद्ध ...
जब मैं दुष्ट प्रवृति के सत्वों को देखूँप्रबल पाप और पीड़ा द्वारा दमित ।उन्हें प्रिय समझूँ क्योंकि वे दुर्लभ हैं मानो मुझे रत्न निधि प्राप्त हुई हो ।। इस पद का संदर्भ विशेष रू...
मेरे प्रति कोई अन्य ईर्ष्यावशगाली-गलौज निन्दा आदि अनुचित व्यवहार करें।तो भी मैं पराजय को धारण करुँतथा विजय दूसरों को अर्पित करुँ।। 5 यहाँ जो बात बताई जा रही है कि जब दूसरे अकारण य...
हमने जितने भी अभ्यासों की चर्चा की है, सातवाँ पद उनका सार देता है। इसमें कहा गया है: संक्षेप में, मैं लाभ व आनंद दे सकूँप्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से अपनी सभी माँओं कोगुप्त रूप से ले...
अंतिम पद में, हम पढ़ते हैं: यह सभी मलिन न होआठ लोक धर्म के दाग सेऔर सभी धर्मों को माया जानकरलालसा की बन्धन से मुक्त हो। एक सच्चे अभ्यासी के िलए इस पद की पहली दो पंक्तियाँ बहुत मह...
उनके लिए जो चित्त शोधन के आठ पदों के आदर्शों के प्रशंसक हैं, प्रबुद्धता के लिए चित्तोत्पाद हेतु निम्नलिखित पदों का पाठ करना सहायक है। बौद्धाभ्यासियों को इन पदों का पाठ कर, शब्दों क...
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