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अवलोकितेश्वर ग्रंथमाला 7 - आनन्द की ओर
अवलोकितेश्वर ग्रंथमाला 7 - आनन्द की ओर

द्वारा परम पावन दलाई लामा

‘आनन्द की ओर’ परम पावन दलाई लामा द्वारा दिए गए मौखिक उपदेशों के अंग्रेज़ी अनुवाद का हिन्दी रूपान्तर है। इनका आधार है पणछेन लोसंग छोए क्यि ग्यलछेन द्वारा रचित ‘लमरिम' ग्रंथ ‘सर्वज्ञता के लिए आनन्द मार्ग‘। दलाई लामा जी द्वारा ये प्रवचन धर्मशाला स्थित उनके मुख्य बौद्ध मन्दिर थेग- छेन-छोस लिंग ‘च़ुगला खंग‘ में 1988 के वसन्त में दिए गए थे। लमरिम ध्यान पद्धति बोधि - प्राप्ति हेतु एक क्रमबद्ध साधना का मार्ग है। यह हिन्दी रूपान्तर परम पावन दलाई लामा जी के आदेशानुसार हुआ है।

द्वारा प्रकाशित केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी, 2013

अवलोकितेश्वर ग्रंथ माला 6 - आचार्य शांतिदेव कृत बोधिचर्यावतार
अवलोकितेश्वर ग्रंथ माला 6 - आचार्य शांतिदेव कृत बोधिचर्यावतार

द्वारा परम पावन दलाई लामा

परम पावन दलाई लामा जी ने विनेयजनों की प्रार्थना पर 1981 में कुल्लू - मनाली में आठ दिनों तक बोधिचर्यावतार पर प्रवचन दिया था। समय अभाव के कारण प्रवचन में मूलग्रंथों का संक्षिप्त भावार्थ ही आ सका। मुझे उस समय प्रवचनों का हिन्दी में अनुवाद करने का सौभाग्य मिला था। परम पावन जी के आशीर्वाद से उस समय की गई रिकार्डिंग के आधार पर मैं ग्रंथ को इस रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ। ----- आचार्य कर्मा मोनलम

द्वारा प्रकाशित केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ, वाराणसी, 2013

आज़ाद शरणार्थी
आज़ाद शरणार्थी

द्वारा तिब्बत के दलाई लामा की आत्मकथा

इस आत्मकथा में वे अपने शब्दों में बताते हैं कि किस तरह अपनी जनता के आराध्य के रूप में वे पले बढ़े। एक दलाई लामा होने के नाते उनकी कैसी भावनाएँ हैं? तिब्बत की आज़ादी के संघर्ष में सी आई ए की क्या भूमिका रही? विश्व के बड़े नेताओं और हस्तिओं के बारे में उनकी क्या राय है। इसके अलावा उन्होंने जिन विषयों पर प्रकाश डाला है उनमें तिब्बती बौद्ध धर्म के कई गूढ़ पक्ष, तिब्बती समाज में महिलाओं की स्थिति, पर्यावरण के प्रति उनका लगाव, तिब्बती मान्यताओं और परंपराओँ के बीच उनकी निजी वैज्ञानिक विचारधारा, पश्चिमी समाज की समस्याओं के बारे में उनकी व्यक्तिगत राय तथा ऐसे और भी कई विषय हैं। ---- हमारे आज के युग के लिए एक सटीक, उपयोगी आत्मकथा

द्वारा प्रकाशित पालजोर पब्लिकेशन्स, 2013

जीवन जीने की कला
जीवन जीने की कला

द्वारा परम पावन दलाई लामा

क्या पारिवारिक ज़िम्मेदारियों से बँधा एक सामान्य व्यक्ति निर्वाण या बुद्धत्व (बोध) को प्राप्त कर सकता है? अपने कार्य व्यवसाय में व्यस्त किसी व्यक्ति के लिए महत्त्वकांक्षाओं की आध्यात्मिक सीमा क्या होनी चाहिए? क्या नकारात्मक भाव अलग अलग रूपों में सामने आते हैं? अपने चारों ओर होनेवाले मानवीय अन्याय का सामना करते हुए आप सकारात्मक कैसे बने रह सकते हैं? इस तरह के अनेक प्रश्नों के उत्तर परम पावन दलाई लामा द्वारा इस पुस्तक में दिए गए हैं। जीवन के विभिन्न पक्षों का ज्ञान रखने वाले और स्वभाव से सहृदय, व्यवहारशील दलाई लामा ने ऐसे कई विषयों व समस्याओं पर महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जो एक सामान्य व्यक्ति के जीवन में प्रायः देखने में आती है, जैसे संकीर्ण मानसिकता से उत्पन्न लोभ और भावनात्मक पीड़ा से स्वयं को कैसे बचाएँ? विषाद और निराशा को संतोष में कैसे बदलें? आज के इस मुश्किल भरे समय में विभिन्न धर्मों-मतों में सामंजस्य कैसे बनाए रखें? अपनी तरह की सर्वोत्तम रचना के रूप में यह पुस्तक ‘जीवन जीने की कला’ हमें दलाई लामा की दार्शनिक शिक्षाओं से अवगत कराती हुई मोक्ष का मार्ग दिखाती है।

द्वारा प्रकाशित प्रभात पेपरबैक्स, 2013

दैनिक जीवन में ध्यान - साधना का विकास
दैनिक जीवन में ध्यान - साधना का विकास

द्वारा परम पावन दलाई लामा

अप्रैल 1985 और 1986 में परम पावन धर्माचार्य दलाई लामा ने बौद्ध मत, ध्यान और साधना क्रिया पर अनेक प्रवचन दिए थे। परम पावन के प्रवचन और उसके बाद विचार विमर्श को उस समय रिकार्ड कर लिया गया था। बाद में पाठ्य सामग्री की सम्पादित पाण्डुलिपि तैयार की गई, जिसका परिणाम यह पुस्तक है। इन प्रवचनोँ में परम पावन ने बौद्ध धर्म के सभी अनिवार्य अंगों पर प्रकाश डाला है और सरल तथा स्पष्ट पद्धति द्वारा अपने दैनिक जीवन में ध्यान - साधना का विकास करना सिखाया है। उन्होंने गहराई के साथ यह भी समझाया है कि दैनिक जीवन में हम करुणा का भाव कैसे जाग्रत कर सकते हैं और गंभीर शून्यता कैसे प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक प्रवचन के पश्चात् जिज्ञासुओं के प्रश्नों और उनके उत्तरों से उन समस्याओं पर भी प्रकाश डाला गया है, जो साधना अभ्यास के दौरान सबके सामने आती है।

द्वारा प्रकाशित फुल सर्कल, 2013

क्रोधोपचार
क्रोधोपचार

द्वारा परम पावन दलाई लामा

इस पुस्तक में परम पावन दलाई लामा यह बता रहे हैं कि हम किस तरह क्षांति और सहिष्णुता के अभ्यास द्वारा क्रोध तथा घृणा जैसी बाधाओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। उनकी यह विवेचना शास्त्रीय ग्रंथ बोधिचर्यावतार पर आधारित है जिसमें अन्य सत्त्वों की भलाई हेतु पूर्ण प्रबुद्धता की कामना करने वाले बोधिसत्त्वों के कार्यों का विवरण है। इसमें प्रस्तुत प्रणाली और उपाय न केवल बौद्धाभ्यासियों के लिए प्रासंगिक हैं अपितु उनके लिए भी जो स्वयं भी इनसे लाभान्वित होना चाहते हैं। इन उपदेशों और स्वयं के उदाहरण द्वारा परम पावन दलाई लामा दर्शा रहे हैं कि किस तरह क्षांति और सहिष्णुता की शक्ति से क्रोध का शमन कर विश्व में शांति उत्पन्न की जा सकती है।

द्वारा प्रकाशित फुल सर्कल, 2013

करुणाशील हृदय
करुणाशील हृदय

द्वारा परम पावन दलाई लामा

यह पुस्तक परम पावन दलाई लामा द्वारा दिए गए उपदेशों तथा अभ्यास के श्रेष्ठतम संकलनों में से एक है जिसमें इस बात पर बल दिया गया है कि किस तरह धर्माचरण द्वारा एक सुखी जीवन जिया जा सकता है। दलाई लामा के ये उपदेश इस बात को समझने में सहायक हैं कि क्लेश के ही कारण हमारे सुख के मार्ग में बाधा आती है। अत्यंत सरल व सुस्पष्ट ढंग से उन्होंने सुझाया है कि हम किस तरह दुःख के मूल कारणों क्रोध, घृणा तथा तृष्णा पर विजय प्राप्त कर एक करुणाशील हृदय का विकास कर सकते हैं।

द्वारा प्रकाशित 2013

करुणा शक्ति
करुणा शक्ति

द्वारा परम पावन दलाई लामा

‘सच्ची करुणा इस स्पष्ट स्वीकृति अथवा मान्यता पर आधारित है कि हमारी ही तरह अन्य भी सुख की कामना करते हैं और उन्हें दुःख से मुक्ति पाने का पूरा अधिकार है। इस आधार पर व्यक्ति दूसरों की भलाई के प्रति संवेदनशील हो जाता है फिर चाहे उसका स्वयं के प्रति व्यवहार कैसा भी क्योँ न हो।‘ बहुत लोगोँ ने दलाई लामा से मानवता के समक्ष आ रही आज की कठिनाइयों के संबंध में सम्बोधित करने को कहा है। लंदन में दिए गए इन व्याख्यानों में उन्होंने व्यापक विषयों पर चर्चा की है, जिनमें बॉसनिया, जातीय विद्वेश, नारी स्थिति और पर्यावरण की रक्षा संबंधी विषय शामिल हैं। आधुनिक जीवन इतना अधिक उलझनों और दुःखों से भरा है कि लोगों को अपने क्रोध और घृणा का सामना करने के लिए साहस चाहिए, जिससे उनके जीवन और संबंधों में परिवर्तन लाया जा सके। दलाई लामा ने बड़ी ही स्पष्ट और सरल शैली में यह समझाया है कि हम किस प्रकार अच्छी तरह जीयें और मृत्यु को स्वीकार करें, और किस तरह अपने दैनिक जीवन में प्रज्ञा और करुणा लाएँ।

द्वारा प्रकाशित फुल सर्कल, 2013

अपनी धरती अपने लोग
अपनी धरती अपने लोग

द्वारा परम पावन दलाई लामा

परम पावन दलाई लामा जी की आत्मकथा 'माई लैंड माई पीपल' का यह हिन्दी रूपान्तर उनके जीवन के सर्वाधिक घटनापूर्ण वर्षों का प्रामाणिक ब्यौरा प्रस्तुत करता है।

द्वारा प्रकाशित निर्मल पब्लिकेशन्स, 2013

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