परम पावन दलाई लामा तिब्बत - एमोरी संगोष्ठी में भाग लेने डेपुंग लोसेललिंग महाविहार में प्रवेश करने के लिए चल कर आते एक भिखारी को सांत्वना देते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
भिक्षु तथा स्थानीय निवासी, तिब्बत - एमोरी संगोष्ठी में भाग लेने हेतु डेपुंग लोसेललिंग महाविहार की ओर आ रहे परम पावन दलाई लामा का अभिनन्दन करने के लिए प्रतीक्षा करते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
परम पावन दलाई लामा, तिब्बत - एमोरी संगोष्ठी के प्रारम्भ में डेपुंग लोसेललिंग महाविहार आगमन पर साथी प्रतिभागियों का अभिनन्दन करते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
गेशे लोबसंग तेनजिन नेगी, डेपुंग लोसेललिंग महाविहार में एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का परिचय देते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
गदेन ठिपा जेचुन लोबसंग तेनजिन, एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
परम पावन दलाई लामा, डेपुंग लोसेललिंग महाविहार में एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी के प्रथम दिन के प्रारंभ में अपनी उद्घाटन टिप्पणियाँ करते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
परम पावन दलाई लामा की उद्घाटन टिप्पणियों को एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी में भाग ले रहे ३००० से अधिक लोगों में से कुछ बड़े परदे पर देखते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
परम पावन दलाई लामा, फ्रांसीसी दार्शनिक मिशेल बिटबोल को डेपुंग लोसेललिंग महाविहार में एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी में उनकी प्रस्तुति के उपरांत धन्यवाद ज्ञापित करते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
मानवविज्ञानी कैरोल वर्थमेन, डेपुंग लोसेललिंग महाविहार के एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी में अपनी प्रस्तुति रखतीं हुईं, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
लोसेललिंग महाविहार के एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी में सम्मिलित ३००० लोगों में, २६० भिक्षुणियों में से कुछ, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
डेपुंग लोसेललिंग महाविहार में एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी के प्रथम सत्र की प्रस्तुतियों पर चोनडु समफेल द्वारा टिप्पणी करते समय, तिब्बती ग्रंथ एवं अभिलेख पुस्तकालय के निदेशक गेशे ल्हगदोर देखते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
डेपुंग लोसेललिंग महाविहार में एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी के दूसरे सत्र के दौरान, जॉन डुरांट 'विज्ञान क्या है?' पर अपनी प्रस्तुति रखते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
श्रद्धेय सोनम छोफेल डेपुंग लोसेललिंग महाविहार में एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी में बौद्ध धर्म में मान्य अनुभूति के ज्ञान पर अपनी प्रस्तुति रखते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
डेपुंग लोसेललिंग महाविहार में एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी में भाग ले रहे ३००० से अधिक लोगों में से कुछ, कार्यवाही के भोट अनुवाद को सुनते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
श्रद्धेय लोबसंग गोनपो, डेपुंग लोसेललिंग महाविहार की एमोरी - तिब्बत संगोष्ठी के दूसरे सत्र की प्रस्तुतियों पर टिप्पणी करते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल
परम पावन दलाई लामा, डेपुंग लोसेललिंग महाविहार के तीन दिवसीय एमोरी - तिब्बत संगोष्टी के प्रथम दिन की समाप्ति पर बोलते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत, दिसंबर १८, २०१६ चित्र/तेनजिन छोजोर/ओएचएचडीएल