भगवान बुद्ध के जन्म, बुद्धत्व एवं महापरिनिर्वाण दिवस के इस शुभ अवसर पर, मुझे सम्पूर्ण विश्व के बौद्ध मित्रों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए प्रसन्नता हो रही है।
हमारे धर्मग्रंथों में बोधगया को वज्रासन के नाम से जाना जाता है जो कि हमारी आध्यात्मिक परंपरा के संस्थापक एवं शिक्षक महाकारुणिक शाक्यमुनि बुद्ध से जुड़े हुए बौद्ध तीर्थ स्थलों में से सबसे पवित्र है। यहीं पर बुद्ध ने बुद्धत्व (महाबोधि) को प्राप्त किया था, जिसके बाद उन्होंने चार आर्य सत्य, सैंतीस बोधिपक्षिक धर्म एवं अन्य उपदेश दिए थे। उनकी शिक्षाओं का सार आकाश के समान अनंत प्राणियों के हित के लिए चित्त को अनुशासित करना है।
बुद्ध की शिक्षाओं का मूल करुणा और प्रज्ञा का संयुक्त अभ्यास है। बोधिचित्त का अभ्यास, बुद्धत्व प्राप्ति हेतु परमार्थ की भावना उनकी सभी शिक्षाओं का सार है। जितना अधिक हम दूसरों के कल्याण के लिए अभ्यस्त होंगे उतना ही हम दूसरों को अपने से अधिक प्रिय मानेंगे। जब हम एक दूसरे पर अपनी निर्भरता को समझेंगे तथा ध्यान रखेंगे तब समझेंगे कि आज विश्व के सभी 8 अरब लोग खुश रहने और दुख से बचने की चाह में एक समान हैं।
अतः, इस विशेष अवसर पर, मैं अपने आध्यात्मिक भाइयों और बहनों से आग्रह करता हूँ कि वे सौहार्दपूर्ण रहें तथा सार्थक जीवन व्यतीत करें। दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित रहें। सौहार्दता ही विश्व शांति और सद्भाव की कुंजी है।
मेरी प्रार्थनाओं एवं शुभकामनाओं सहित
दलाई लामा