हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम विस्फोटों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर, मैं सरकारों, संगठनों और व्यक्ति विशेष से आग्रह करता हूँ कि वे शांति की प्राप्ति को हमारे जीवन का मुख्य लक्ष्य बनाने के लिए पुनः समर्पित हों।
अनेक महान उपलब्धियों के बावजूद, 20वीं सदी हिंसा का युग था। इस दौरान लगभग 20 करोड़ लोग मारे गए थे, जिसमें परमाणु हथियारों का भीषण उपयोग शामिल है। आज, बढ़ती इस अन्योन्याश्रित दुनिया में हमारे पास एक शांतिपूर्ण सदी बनाने का अवसर है।
जब भी कोई संघर्ष की परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं तो उन्हें संवाद के द्वारा ही सुलझाया जाना चाहिए, बल के प्रयोग से नहीं। हमें असैनिकीकृत विश्व के निर्माण के परम लक्ष्य को पाने के लिए परमाणु हथियारों के खतरे को समाप्त करना होगा। युद्ध का अर्थ है हत्या करना। हिंसा से हिंसा का प्रतिकार होता है। हमें युद्ध और हथियारों के उत्पादन को समाप्त करने और एक शांतिपूर्ण विश्व के निर्माण करने की आवश्यकता है।
हम मनुष्यों ने आज दुनिया में बहुत सी समस्याएं खड़ी की हैं। जब तक हमारे भीतर नकारात्मक भावनाएं दृढ़तापूर्वक पनपती रहेंगी तथा हम अपने ही लोगों को ‘हम’ और ‘वे’ के सन्दर्भ में देखते रहेंगे, तब तक उन्हें नष्ट करने का प्रयास की प्रवृत्ति बनी रहेगी। हमें मानवता की एकता के महत्त्व को पहचानना होगा और साथ ही यह भी समझना होगा कि हम केवल प्रार्थना के माध्यम से शांति प्राप्त नहीं कर सकते हैं, उसके लिए हमें कार्य करना होगा।
मेरी प्रार्थनाओं सहित,
दलाई लामा
६ अगस्त, २०२०