थेगछेन छोएलिङ, धर्मशाला, हि. प्र. – आज परमपावन दलाई लामा ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 70वें जन्मदिन के अवसर पर एक पत्र लिखकर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी तथा उनके निरंतर अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना की है। उन्होंने लिखा-
“कोरोना महामारी के खतरे के कारण यह वर्ष दुनिया के सभी लोगों तथा देशों के लिए असाधारण रूप से कठिन रहा है। यह मेरी पूरी आशा है कि जल्द ही संयुक्त रूप से कार्य कर रहे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इसका प्रसार रोकने में सक्षम होंगे तथा शीघ्र ही उपयुक्त टीके विकसित किए जायेंगे। भारत में, केंद्र और राज्य के अधिकारीगण जनता के सामने आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए जो भी कर सकते हैं, कर रहे हैं। आपके द्वारा इस संकट से उत्पन्न भारी चुनौतियों का सामना करने के लिए जो भी उचित उपाय किये गये हैं उसके लिए मैं आपकी अत्यन्त प्रशंसा करता हूँ।”
“पूरी दुनिया में लोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उत्पन्न खतरों के अलावा अपनी आजीविका के नुकसान का सामना कर रहे हैं, जबकि उनके बच्चों की शिक्षा बाधित हुयी है। ये परिस्थितियों गहरी चिंता और बेचैनी के कारण बने हुये हैं, विशेषकर कई साधारण लोगों में।”
“प्रायः लोग मुझसे पूछते हैं कि उनके समक्ष खड़े चुनौतियों का सामना कैसे करें। मैं उन्हें प्रत्येक समस्या को यथार्थ रूप में विभिन्न दिशाओं से देखने का सुझाव देता हूँ। मैं 8वीं सदी के भारतीय विद्वान आचार्य शांतिदेव की सलाह को ध्यान में रखता हूँ, जिन्होंने इस बात की जांच करने के लिए प्रोत्साहित किया कि जिस समस्या का हम सामना कर रहे हैं, वह हल हो सकती है या नहीं। यदि किसी समस्या का समाधान है तो हमें उस समाधान को प्रभावी बनाने के लिए कार्य करना चाहिए, और यदि नहीं है, तो उसके बारे में निरन्तर चिंता करते रहना समय की हानि होगी।”
“ऐसे अनिश्चित काल में भी मैं आश्वस्त हूँ कि ‘अहिंसा’ जैसे शांत आचरण की सदियों पुरानी भारतीय विचारधारा, जो ‘करुणा’ जैसे दयाभाव से संप्रेरित है तथा दूसरों के प्रति आत्मीयता का भाव जागृत करता है – आज के परिपेक्ष्य में न केवल अत्यन्त प्रासंगिक है, अपितु यदि हमें एक शांत और संयुक्त रूप से आगे बढ़ना है तो विश्व को इसकी अत्यन्त आवश्यकता है।”
परमपावन ने अपने पत्र को इस अवलोकन के साथ समाप्त किया कि तिब्बत वासियों ने बहुत पहले से ही भारत को आर्यभूमि के रूप में माना है। उन्होंने आगे कहा-
“पिछले 61 वर्षों से यह देश हम निर्वासित तिब्बती समाज के लिए एक घर समान रहा है। मैं इस अवसर पर हमें प्राप्त आत्मीयतापूर्ण आतिथ्य के लिए पुनः भारत सरकार तथा इसकी जनता के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूँ।”