थेगछेन छोएलिङ, धर्मशाला, हि. प्र. – भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी के 74वें जन्मदिन के अवसर पर परमपावन दलाई लामा ने पत्र लिखकर उन्हें बधाई दी । उन्होंने लिखा-
“बहुलवाद एवं अनेकतावाद के लिए प्रतिबद्ध लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत की भूमिका पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण है । मुझे इसे देखते हुये गर्व होता है कि प्राचीन भारतीय दर्शन ने, जिसका नालन्दा विश्वविद्याल के विद्वत्तापूर्ण परम्पराओं द्वारा मिसाल कायम की है, एक ऐसी वैज्ञानिक पद्धति को अपनाया है जो तर्क और हेतुओं पर आधारित है । आज दुनिया में भारत की प्राचीन परम्परा अहिंसा और करुणा अत्यन्त प्रासंगिक हैं ।”
“मुझे खुशी है कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सम्बोधन के दौरान कहा कि भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध के शांति सन्देश दिया है ।”
“चूंकि मैं स्वयं को भारत का एक सन्देशवाहक समझता हूँ, इसलिए मुझे विश्वास है कि मानव मात्र के कल्याण के लिए भारत के प्राचीन ज्ञान-निधि को दुनिया में प्रसारित कर भारत एक सुखी एवं शांतिमय विश्व के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकता है ।”
परमपावन ने अपने पत्र के अन्त में तिब्बती लोगों की ओर से भारत सरकार तथा भारत की जनता के प्रति तिब्बतियों को इतने वर्षों तक आत्मीय एवं उदारतापूर्ण सहयोग प्रदान करने के लिए कृतज्ञता व्यक्त की ।