थेगछेन छोएलिङ, धर्मशाला, हि. प्र - भारतीय आम चुनाव के परिणामों की घोषणा के बाद परमपावन दलाई लामा ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को उनकी तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सफलता के लिए बधाई सन्देश लिखा ।
“मुझे यह देखते हुये प्रशंसा और गर्व से भर देता है कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत आज विश्व समुदाय में एक अग्रणी के रूप में उभर रहा है । भारत महान प्राचीन सभ्यताओं में से एक है और अहिंसा और करुणा इस देश की एक विशिष्ट और मौलिक विशेषता रही है ।”
“मैं मानवीय एकता की सराहना और अन्तर-धार्मिक सद्भावना को बढ़ावा देने के साथ-साथ चित्त और भावनाओं की क्रियाविधि के प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध हूँ । मेरा मानना है कि भारत विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जो इस प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के साथ सफलतापूर्वक संयोजन कर सकता है तथा यह सुनिश्चित कर सकता है कि लोग इससे अवगत हों कि किस प्रकार एक चिरस्थायी शांति प्राप्त किया जाये । इस तरह की सम्भावनाओं के खोज में भारतीय युवाओं से जो सकारात्मक प्रतिक्रिया मुझे मिली है उसे मैं एक आशा की किरण के रूप में देखता हूँ ।”
“भारत तिब्बत के लिए एक आध्यात्मिक संस्कृति का स्रोत है, इसलिए इस देश के प्रति हम तिब्बत वासियों का असीम सम्मान है । आठवीं शताब्दी में तिब्बत में लायी गयी नालन्दा विश्वविद्यालय की परम्पराओं का हमारे विकास के क्षेत्र में अत्यन्त ही प्रभाव पड़ा । 14वीं शताब्दी के एक अत्यन्त ही उच्च कोटि के तिब्बती धर्मगुरु ने भारत के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुये कहा है- ‘यद्यपि तिब्बत हिम-आच्छादित देश है, परन्तु जब तक तिब्बत में भारत से ज्योति (ज्ञान) का आगमन नहीं हुआ तब तक यह देश अन्धकारमय था ।”
“पिछले महीने हमने निर्वासन में हमारे जीवन की 60वीं वर्षगांठ को परिलक्षित किया । आज इस अवसर पर मैं तिब्बती लोगों की अपार कृतज्ञता को भारत सरकार और भारत की जनता के प्रति अभिव्यक्त करता हूँ । भारत की अनवरत उदारता और हम पर दयाभाव के कारण ही हम लोग निर्वासन में भी अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर पाये हैं ।
पत्र के समापन में परमपावन ने लिखा: “मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूर्ण करने की चुनौतियों का सामना करने में सफल हों ।”