रीगा, लातविया, पीसा से एक सुहानी उड़ान के उपरांत परम पावन दलाई लामा आज प्रातः रीगा पहुँचे। हवाई अड्डे पर उनकी यात्रा के आयोजनों के सदस्यों द्वारा उनका स्वागत किया गया - सग्लाबासीम तिब्बतु (सेव टिब्बट लातविया) और सेव तिब्बत फाउंडेशन, रूस। जब वे गाड़ी से शहर गए तो मौसम खिला हुआ व शरदकालीन था। होटल में लातविया, लिथुआनिया और एस्तोनिया, रूसियों, कल्मीक्स, बुर्यती और तूवन के लोगों के साथ-साथ एक या दो तिब्बतियों दरवाजे के चारों ओर और लॉबी में उनका मुस्कुराहट और स्कार्फ के साथ अभिन्नदन करने के लिए एकत्रित थे।
एक लातवियाई टेलीविजन पत्रकार एक प्रश्न के साथ परम पावन की ओर गया: "विश्व इतनी सारी समस्याओं का सामना कर रहा है, हम क्या गलत कर रहे हैं?" उन्होंने उत्तर दिया, "अभी भी बहुत पुरानी सोच है - एक ओर यह विचार कि समस्या बल प्रयोग द्वारा हल हो सकती है; दूसरी ओर लोगों को 'हम' और 'उन' के संदर्भ में देखना। इस तरह की विभाजनकारी भावना प्रायः हिंसा की ओर ले जाती है। इसके बजाय जो करने की आवश्यकता है वह यह कि स्वयं को मानवता की एकता के बारे में स्मरण कराया जाए और जब भी संघर्ष उत्पन्न हो, उसके समाधान के लिए के संवाद द्वारा करने का निश्चय किया जाए।"
जहाँ तक प्राकृतिक आपदाओं का प्रश्न है, उन्होंने उनसे कहा कि कई हमारे नियंत्रण से बाहर हैं, पर कुछ जलवायु परिवर्तन से और अधिक बिगड़े हैं जिसके लिए हम इंसानों ने योगदान दिया है। दूसरी ओर उन्होंने कहा कि वे स्कैंडिनेविया की नदियों में मछली की वापसी के बारे में सुन कर, जहाँ से वे गायब हो गईं थीं और कि ओजोन परत में छेद कुछ हद तक ठीक हो गया है, प्रोत्साहित हुए हैं। ये संकेत हैं कि यदि हम वास्तव में पर्यावरण की सुरक्षा का प्रयास करते हैं तो हम स्थिति को सुधार सकते हैं।
परम पावन ने इस सुझाव का विरोध किया कि तिब्बत और दलाई लामा एक ही हैं। उन्होंने कहा कि वह २००१ और २०११ में तिब्बती नेताओं के चुनाव के बाद वे सभी राजनैतिक उत्तरदायित्व से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने बल देते हुए कहा कि वह मात्र एक और इंसान हैं जिनका चित्त और अन्य भावनाएँ समान है।
उन्होंने यूरोपीय संघ की भावना के प्रति अपनी प्रशंसा का उल्लेख किया, यह सुझाते हुए कि लातविया के बड़े पड़ोसी रूस को भी सदस्य बनना चाहिए।
आगामी दो दिनों में, परम पावन कमलाशील की 'भावनाक्रम' के मध्य भाग और चोंखापा के 'संक्षिप्त पथ क्रम' पर प्रवचन देंगे।