धर्मशाला, हि. प्र., भारत, सितंबर २, २०१६ (द्वारा - तेनज़िन मोनलम, phayul.com) - तिब्बत के आध्यात्मिक नेता परम पावन दलाई लामा ने आज चुगलगखंग के मुख्य मंदिर में नागार्जुन के मध्यमक के रत्नावली पर चार दिवसीय प्रवचन का समापन करुणा के बोधिसत्व, अवलोकितेश्वर के अभिषेक के साथ किया।
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"जब आप अभिषेक ग्रहण करने आते हैं तो यह महत्वपूर्ण है कि उद्देश्य धर्मानुकूल हो, स्वार्थी नहीं। आपका लक्ष्य दीर्घायु तथा स्वस्थ जीवन और समस्याओं के उन्मूलन जैसे व्यक्तिगत लाभ नहीं होने चाहिए। यदि आप पुनः मानव जन्म प्राप्त करने की मंशा अथवा मात्र निर्वाण प्राप्त करने की इच्छा से ग्रहण करें तो यह भी गलत है," दलाई लामा ने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि व्यक्ति को सभी सत्वों की सहायतार्थ और लाभ के लिए निर्वाण प्राप्ति के धर्मानुकूल उद्देश्य के साथ आना चाहिए।
अभिषेक के दौरान परम पावन ने पांच उपासक संवर प्रदान किए, जिसमें प्राणातिपात, मृषावाद, मदिरा पान, अदत्तादान और काम व्यभिचार सम्मिलित थे। उन्होंने कहा कि यदि उपासक इन संवरों को व्यवहृत कर लें तो अत्यंत लाभकर हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा अनुयायियों को इनका पालन करने की कोई बाध्यता नहीं है।
उन्होंने हँसी में कहा कि यदि एक व्यक्ति हत्या करता है अथवा चोरी करता है तो अंततः वह जेल में पहुँचेगा। "तो निर्वाण प्राप्ति के साथ अपराध से बचने की ओर एक कदम के रूप में इन संवरों को ग्रहण करना और लाभकर होगा।"
८१ वर्षीय परम पावन ने स्पष्ट किया कि आज किस तरह दूसरों को पराजित कर विजय प्राप्त करने की भावना से कई समस्याएँ जन्म लेती हैं। उन्होंने कहा कि यह धर्म, ईश्वर या अपर जन्म से संबंधित नहीं है, पर इस तरह की भावना न होने से विश्व और अधिक शांतिपूर्ण और समरसता वाला स्थान होगा।
"मेरा उत्तरदायित्व आपको बुद्ध धर्म का परिचय देना तथा मार्गदर्शन करना है और आपका उत्तरदायित्व अध्ययन और इसका अभ्यास करना है," परम पावन ने प्रवचन के अंत में कहा। उन्होंने ठिठोली करते हुए यह भी कहा कि अब उनका कार्य हो चुका है और अनुयायियों का कार्य प्रारंभ होने वाला है।