बेगशाॉ ने पूछा कि क्या संगठित धर्म को, धर्मनिरपेक्ष नैतिकता से किसी प्रकार का डर है। परम पावन ने उत्तर दिया कि यह निर्भर करता है कि आप धर्मनिरपेक्ष शब्द की व्याख्या किस प्रकार करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि पाश्चात्य देशों में उनके मित्र हैं जो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि धर्मनिरपेक्ष होने का अर्थ है, धर्म का सम्मान न करना। उन्हें भय है कि धर्मनिरपेक्षता नास्तिकता की तरह है।
"परन्तु मैं धर्मनिरपेक्ष शब्द का प्रयोग उस रूप में करता हूँ जैसा यह भारत में समझा जाता है, एक धार्मिक विचारधारा वाला देश, जहाँ समूचे विश्व के प्रमुख धर्म कंधे से कंधा मिलाकर साथ पनपते हैं। भारत में धर्मनिरपेक्ष का तात्पर्य सभी धर्मों के प्रति सम्मान है, उनके विचारों के प्रति भी जिनकी किसी धर्म में आस्था नहीं है। यह एक उचित दृष्टिकोण लगता है।"
परम पावन ने उल्लेख किया कि मिस्र, चीन और सिंधु घाटी की तीन महान प्राचीन सभ्यताओं में अंतिम ने सबसे महान विचारकों को जन्म दिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या हमें नैतिकता की आवश्यकता है, परम पावन ने उत्तर दिया ः
"केवल यदि हम लोगों के एक दूसरे की हत्या करने, भ्रष्टाचार, शोषण और अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई की तरह असमानता के बारे में चिंता करें तो। यदि हम इन मानव निर्मित समस्याओं को कम करना चाहते हैं, तो हमें नैतिकता की आवश्यकता है। शांतिपूर्ण, करुणाशील परिवारों और समुदायों का निर्माण करने का अर्थ है, हमें प्रयास करना होगा। सबसे पहले हमें शांतिपूर्ण होने के लिए लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता है। हमें इस सदी को शांति और समानता का युग बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।"
बेगशाॉ ने पूछा कि बाहर सड़क पर जिन प्रदर्शनकारियों को उसने देखा था, क्या उन्हें विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है। परम पावन ने उन्हें बताया कि एक स्वतंत्र देश में वे अभिव्यक्ति की उनकी स्वतंत्रता का प्रयोग कर रहे हैं।
प्रवचन सभागार में अंतिम सत्र के लिए लौटकर परम पावन ने वज्रभैरव साधना की व्याख्या पूरी की, जिसके बाद उन्होंने संक्षिप्त रूप से विवरण दिया कि किस प्रकार परिनिष्पन्नता का अभ्यास किया जाए। उन्होंने समापन कियाः
"अब बात यह है कि जो कुछ भी हमने सीखा है उसे व्यवहार में लाया जाए। मैं अत्यंत खुश हूँ कि मुझे यह अवसर मिला। मैं इतनी अच्छी व्यवस्था करने के लिए सभी आयोजकों का धन्यवाद करना चाहूँगा और आप सबको आने के लिए धन्यवाद कहना चाहूँगा।"
आयोजकों dalailamainaustralia, की ओर से बोर्ड के सदस्य एलन मोलोय ने यह कहते हुए, परम पावन को आने के लिए धन्यवाद दिया कि "अब यह हम पर निर्भर है। कृपया पुनः लौटे और यह फिर से करें।" जब परम पावन ने विदा लेते हुए हाथ हिलाया तो सभागार स्नेह भरी करतल ध्वनि से गूँज उठा।
कल, वह सिडनी की यात्रा करेंगे, सुख और उसके कारणों पर एक सम्मेलन में सम्मिलित होंगे और फिर ब्रिस्बेन की यात्रा करेंगे।