मैं अपने ८०वें जन्मदिन के अवसर पर विश्व के कई राष्ट्रों के मेरे कई मित्रों द्वारा दी गई शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद देना चाहूँगा। आपके द्वारा अभिव्यक्त स्नेह के शब्दों के लिए मैं आभारी हूँ।
जो बात सभी सत्वों में समान है, वह यह कि हम सभी स्वाभाविक रूप से सुख की खोज करते हैं और दुख से दूर होने का प्रयास करते हैं। अतः सभी सत्वों के कल्याण करने का और उन्हें अपने दुःखों पर काबू पाने में सहायता करने का हम सब का एक सामूहिक उत्तरदायित्व है।
यह एक आशा का आधार है जिस पर में अपील करता हूँ कि हम प्रेम व करुणा से पूरित नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए उत्साहपूर्वक कार्य करें और विश्व के कई भाग जिस संघर्ष और हिंसा से आक्रांत हैं, उनका यदि उन्मूलन न कर सकें तो भी हम अपनी ओर से उन्हें कम करने का सम्पूर्ण प्रयास करें। अपने दार्शनिक दृष्टिकोँणों में अंतर होने के बावजूद, विश्व की सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराएँ प्रेम और करुणा का समान संदेश संप्रेषित करती हैं। इसी कारण समूचे मानवता के कल्याण हेतु हमें अंतर्धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें एक साथ कार्य करना चाहिए।