रोचेस्टर, मिनेसोटा, संयुक्त राज्य अमेरिका - ३ मार्च, २०१४ - आज तड़के एक बार फिर शीतकालीन धँुधलाहट लिए नभ के नीचे परम पावन दलाई लामा मिनियापोलिस से बर्फीले मिनेसोटा के ग्रामीण प्रदेश से होते रोचेस्टर के लिए गाड़ी से रवाना हुए। वह यहाँ मेयो क्लीनिक में भाग लेने और अपने वार्षिक चिकित्सा जाँच कराने हेतु आए हैं। एक बार परीक्षण और जाँच की श्रृंखला प्रारंभ हो गई तो वे माइंड एंड लाइफ बोर्ड के सदस्यों से 'नीतिशास्त्र, शिक्षा और मानव विकास' विषय पर एक कार्यकालीन बैठक के लिए समय निकालने में सक्षम हो सके। सदस्यों का उद्देश्य था कि परम पावन को आधुनिक शिक्षा में धर्मनिरपेक्ष नैतिकता लाने हेतु एक पाठ्यक्रम डिजाइन करने की परियोजना में चल रहे काम की प्रगति से अवगत कराएँ।
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परम पावन ने अपने सतत चलती चिंता कि क्या 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द ठीक से सभी प्रमुख धार्मिक परंपराओं के आधारभूत उद्देश्यों को, साथ ही उनके भी, जो किसी भी धार्मिक विश्वास को नहीं मानते, के मूल्यों या नैतिकता के विचारों को जो एक सार्वभौमिक, निष्पक्षता, समानता का साकार रूप है, को उचित रूप से स्पष्ट करता है। उन्होंने एक मुसलमान के साथ हुई अपनी बातचीत के बारे में बताया जिसने धर्म और विज्ञान के बीच एक असहज तनाव के बारे में प्रश्न किया था। उनका उत्तर था कि विज्ञान का सामान्यतया कुल मिलाकर संबंध बाहरी वस्तुओं से है, जबकि धर्म का संबंध आंतरिक मूल्यों से है। उन्होंने कहा कि आस्था का उद्देश्य करुणा को बढ़ावा देना है। इस बीच भगवान के अस्तित्व के प्रश्न को विज्ञान न तो प्रमाणित कर सकते हैं और न ही खंडन। उन्होंने पोप बेनेडिक्ट की सलाह की अपनी सराहना का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्वास और कारण जिसकी व्याख्या धर्म और विज्ञान के रूप में भी की जा सकती है को साथ साथ चलना चाहिए।
डेन गोलमेन ने सूचना दी कि स्कूल के बच्चों के बीच की व्याकुलता की चिंता ने ऐसे कार्यक्रमों के विकास को प्रेरित किया जो छात्रों को और अधिक आत्म जागरूक बनाने में सफल रहे हैं। वे इस बात की बेहतर समझ का विकास कर सकते हैं कि उनकी भावनाओं के संदर्भ में क्या हो रहा है तथा वे इस विषय में और क्या कर सकते हैं। यह अन्य लोगों के प्रति, उनकी आवश्यकताओं और तदनुसार कार्य करने की संवेदनशीलता की ओर ले जाता है। परस्पर आश्रित कौशल का यह समुच्चय 'सामाजिक, भावनात्मक शिक्षा' के अंतर्गत सिखाया जा रहा है। यह प्रशिक्षण पर ध्यान देने के लिए किए जा रहे कार्य से संबंधित है।
रिची डेविडसन ने निष्कर्षों को पुनः दोहराते हुए कहा कि ४७% अमेरिकी वयस्क इस पर ध्यान नहीं देते कि वे क्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि प्रारंभिक जीवन में ही समाधान प्रदान कर दिए जाएँ तो यह इस समस्या को प्रतिसंतुलित करना संभव हो सकता है। परम पावन ने कहा कि वह सोच रहे हैं कि क्यों तिब्बती भिक्षु चित्त के इस प्रकार के भटकाव के विषय में बात नहीं करते।
डेविडसन ने डुनेडिन, न्यूजीलैंड में १००० लोगों के साथ किए गए संयम और आत्म नियंत्रण का पालन करने की बच्चों की क्षमता के प्रभाव को देखने के लिए एक दीर्घ अवधि की अनुसंधान परियोजना का वर्णन किया। ३२ वर्ष की आयु में यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि अल्पायु में जिन्होंने अधिक आत्म - नियंत्रण का परिचय दिया, वे अधिक सुखी और सर्वांगीण रूप से अधिक सफल थे।
हाल ही में, तंत्रिका विज्ञान ने विकास को लेकर विशेष संवेदनशीलता की अवधि की पहचान की है, एक जब बच्चे ४-७ वर्ष की आयु में स्कूल में प्रवेश लेते हैं और दूसरा किशोरावस्था की ११- १७ वर्ष की आयु में। इस संबंध में ऐसे भी निष्कर्ष मिले हैं कि कुछ स्थानों में १९वीं सदी के उत्तरार्ध में १६ वर्ष में यौवन के प्रारंभ की आयु में उल्लेखनीय गिरावट आई है और कुछ स्थानों में वह ९ वर्ष है। इस परिवर्तन के कारण जटिल कारक है, जिसमें आहार परिवर्तन एक है। पर उसी समय जिस दर से मस्तिष्क में परिपक्वता आती है वह धीमी बनी हुई है, और कुछ लोगों के िलए उनके २० वर्ष की प्रारंभिक आयु तक तक पूरी नहीं होती।
रिची डेविडसन ने अल्पकालिक करुणा प्रशिक्षण के भी सकारात्मक परिणामों की सूचना दी। टिप्पणी करने के लिए आमंत्रित किए जाने पर, परम पावन ने उत्तर दिया:
"मुझे कुछ नहीं कहना है। बहुत अच्छे।"
डायना छपमेन वॉल्श ने परम पावन को सूचित किया कि जब विगत वर्ष वे तथा माइंड एंड लाइफ के सदस्य, मुंडगोड, दक्षिण भारत में मिले थे, तो किस तरह उनकी कही किसी बात ने उनके मर्म को छू लिया था:
"हम कितनी सुविधा में हैं पर अभी तक विश्व में इतना दुख है।"
उन्होंने उन्हें बताया कि आज अमरीका अपने नेताओं में कितना कम विश्वास रखते हैं। ऐसा आभास होता है कि ९२% लोग कहते हैं कि कांग्रेस, वाल स्ट्रीट और मीडिया में उनका विश्वास औसत से नीचे है। परम पावन सोच रहे थे क्या इसका कारण अपेक्षाओं का आधिक्य है। उन्होंने कहा:
"हमारा उद्देश्य ७ अरब मनुष्यों की सहायता करना है। इस देश में एक महत्त्वपूर्ण संभावना है कि इस शताब्दी के अंत तक एक अलग प्रकार का नेतृत्व उभरेगा। यह महत्त्वपूर्ण है कि, यह आंदोलन विश्व भर में विस्तार पाए ताकि एशियाई और अन्य लोग इसे मात्र एक अमेरिकी प्रवृत्ति कहकर अस्वीकार न कर दें। मैं जानता हूँ कि आपने यूरोप और एशिया के कुछ भागों में कार्य करना प्रारंभ कर दिया है, आपको इसका विस्तार अफ्रीका में भी करना चाहिए। तब हम न केवल अमेरिकी लोगों की अपितु मानवता की समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। मैं प्रायः अमरीका का उल्लेख मुक्त विश्व के नेता के रूप में करता हूँ, परन्तु ऐसा कहने में सक्षम होना अच्छा होगा कि अमुक अमुक मानवीय समस्या की पहचान की गई है और हम इस संदर्भ में ऐसा कर सकते हैं।"
आर्थर ज़ाजोंक ने माइंड एंड लाइफ्स एथिक्स, एजुकेशन एंड ह्यूमन डेवेलपमेंट इनीशियेटिव की वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी ब्रुक डोडसन - लावेल्ले, का परिचय कराया और उनसे पूछा कि उसे किस प्रकार क्रियान्वित किया जा सकता है। उन्होंने नैतिक रूप से संवेदनशील बच्चे का वर्णन करते हुए कहा कि वह एक ऐसा बच्चा है जो सुरक्षित अनुभव करता है, दूसरों पर विश्वास करता है, दूसरों का सम्मान करता है, दूसरों की चिंता करता है, दूसरों के प्रति संवेदनशील और विवेकशील है। 'ए कॉल टु केयर' शीर्षक से प्रारंभिक पाठ्यक्रम का मसौदा तैयार करने में, तीन प्रकार की देखरेख की पहचान की गई है: देखभाल प्राप्त करना, स्वयं की देखभाल का विकास और देखभाल को विस्तार देना। यह पहला मसौदा कक्षा २-३ के लिए बनाया गया है। यह कार्यक्रम शिक्षकों और बच्चों दोनों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखता है। परम पावन ने टिप्पणी की:
"यदि आप मानसिक प्रशिक्षण के लिए शास्त्रीय बौद्ध दृष्टिकोण पर दृष्टिपात करें तो, यह सदा पक्ष और विपक्ष के संदर्भ में किया जाता है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो इनसे आप ये लाभ अर्जित कर पाएँगे, यदि आप ऐसा नहीं करते हैं या आप विपरीत करते हैं, तो परिणाम स्वरूप ये कमियाँ होगी। करुणा में प्रशिक्षण के दौरान हम यह मानते हैं कि हमारा अस्तित्व बाकी की मानवता पर निर्भर करता है।"
डोडसन - लावेल्ले ने एक आधारभूत मानव कार्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को स्वीकार किया। परम पावन ने स्विट्जरलैंड में पेस्टालोज्ज़ी स्कूल जाने और फिलिस्तीनी और इस्राइली बच्चों को बिना किसी बाधा के एक साथ स्वाभाविक रूप से खेलने को स्मरण किया। जब ब्रुक डोडसन - लावेल्ले ने भारत और एशिया के अन्य भागों में किए गए कार्यों से, जो सीखा गया है तथा शामिल किया गया है, के विषय में सूचना दी तो परम पावन ने कहा कि इसमें चीन को लाने का प्रयास करना भी महत्त्वपूर्ण होगा। आर्थर ज़ाजोंक ने उल्लेख किया कि हांगकांग में इस काम में गहरी रुचि है। उन्होंने जारी रखा:
"यह कुछ ऐसे का प्रारंभ है जो आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है - हम किस प्रकार एक दूसरे का ध्यान रखना सीख सकते हैं? अन्योन्याश्रितता का एक और पहलू, एक संकेतक, कि हम एक विश्व हैं। हम एक दूसरे के साथ जीना कैसे सीख सकते हैं? आप परम पावन, एक प्रेरणा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि चरम प्रभाव व्यापक स्तर के होंगे और कइयों तक पहुँचेंगे।" परम पावन ने उत्तर दिया:
"यह परियोजना एक और ४० या ५० वर्ष तक फलित नहीं हो सकती और तुम और मैं इसे देखने के लिए यहाँ नहीं होंगे। पर हमारी पीढ़ी को एक प्रारंभ करना चाहिए। वर्तमान युवा पीढ़ी ईमानदार और गंभीर हैं। हम उन्हें बता सकते हैं कि हमारी पीढ़ी ने ये गलतियाँ की हैं, यदि आप उसका अनुपालन करेंगे तो आप को भी दुख झेलना होगा। यही समय है कि एक शुरुआत की जाए, परिवर्तन के लिए। मैं समझता हूँ कि आज के युवा लोग इस निर्देश का पालन करेंगे, लगता है और संभवतः एक पृथक, और अधिक समझदार मानवता उभरेगी, जिसका नेतृत्व भी भिन्न होगा।"