जुलाई 13, 2013 - हुनसुर, कर्नाटक, भारत, (तेनज़िन देसल, द तिब्बत पोस्ट इंटरनेशनल) - बैलकुपे में तिब्बती बसाव की यात्राके पश्चात् तिब्बत के आध्यात्मिक नेता पावन दलाई लामा ने हुनसुर के रबग्येलिंग तिब्बती बसाव में प्रवचन प्रारंभ किया।
बसाव में अपनी यात्रा के प्रथम दिन ज़ोंगर छोदे विहार में, जिसके समान विहार तिब्बत के सबसे प्राचीन विहारों में से एक है, प्रारंभिक यमन्तक अभिषेक प्रदान किया।
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परम पावन दलाई लामा तिब्बती बसाव के जोंगर छोदे विहार में प्रारंभिक यमन्तक अभिषेक प्रदान करते हुए, हुनसुर, कर्नाटक, भारत - जुलाई 12, 2013 चित्र/लोबसंग छेरिंग/ओ ओ एच डी एल
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तिब्बती बौद्धों के अनुसार यमन्तक, प्रबुद्ध प्रज्ञा के साकार, बोधिसत्त्व मंजुश्री के रौद्र रूप है, और यह अभ्यास बौद्धानुयायियों के लिए अज्ञान का प्रतिकारक है।
इसके पूर्व वहाँ आए एक वियतनामी अमरीकी दल से बातचीत करते हुए दलाई लामा ने वियतनामी इतिहास की ओर इशारा करते हुए कहा, “आप अत्यंत प्रशंसनीय और सशक्त रहे हैं। आप अपनी परम्परा को बनाए रखते हैं।”
“मुझे यह अभिषेक प्रदान करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है। मुझे यह अभिषेक अपने शिक्षक क्याब्जे ठिजंग रिनपोछे से प्राप्त हुआ है,” वे आगे बोले।
जब टी पी आइ से बात करने को कहा गया तो ह्यूस्टन के एक वियतनामी था वा ने कहा, “मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि मुझे परम पावन से यह अभिषेक प्राप्त करने का अवसर मिला है। दलाई लामा मेरे हृदय के अत्यंत निकट हैं और कई वियतनामी उनकी निगरानी में अध्ययन कर रहे हैं। अपने साझे संघर्ष के कारण हम तिब्बतियों के साथ निकटता का अनुभव करते हैं” वे बोली।
जोंगर छोदे विहार में यमन्तक अभिषेक प्रदान करने के पश्चात् परम पावन का ग्यूमे तांत्रिक विश्वविद्यालय में प्रवचन का कार्यक्रम है।