परम पावन दलाई लामा द्वारा बुलाई गई दो दिन की 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के दूसरे दिन 'पर्यावरण, शिक्षा तथा समाज' विषय पर विस्तृत सत्र के दौरान प्रतिभागी, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
शाइस्ता अंबर परम पावन दलाई लामा द्वारा बुलाई गई दो दिन की 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के दूसरे दिन के विस्तृत सत्र में बोलती हुईं, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
आचार्य डॉ लोकेश मुनि परम पावन दलाई लामा द्वारा बुलाई गई दो दिन की 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के दूसरे दिन के विस्तृत सत्र में प्रश्न करते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
रो. सामदोंग रिनपोछे 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के दूसरे दिन के विस्तृत सत्र के दौरान परम पावन के लिए हिन्दी से तिब्बती में अनुवाद करते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
परम पावन दलाई लामा द्वारा बुलाई गई दो दिन की 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के दूसरे दिन 'पर्यावरण, शिक्षा तथा समाज' विषय पर विस्तृत सत्र के दौरान प्रतिभागी, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
परम पावन दलाई लामा द्वारा बुलाई गई दो दिन की 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के दूसरे दिन हिन्दी तथा तिब्बती अनुवादक कार्य करते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
डॉ इंदिरा झा 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के दूसरे दिन के विस्तृत सत्र के पश्चात परम पावन दलाई लामा से बातचीत करती हुईं, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
परम पावन दलाई लामा 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' में आए प्रतिभागियों में से एक की बेटी से मिलते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
परम पावन दलाई लामा 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के आयोजन स्थल हयात होटल के रसोई कर्मचािरयों के साथ तस्वीर खिंचवाते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
परम पावन दलाई लामा दो दिवसीय 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के दूसरे दिन सामूहिक चर्चाओं के दौरान हँसी के एक क्षण का आनंद लेते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
सिंग साहिब गुरबचन सिंह दो दिवसीय 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के दूसरे दिन मध्याह्न भोजन के अंतराल के दौरान परम पावन दलाई लामा से मिलते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
परम पावन दलाई लामा 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के तीसरे विस्तृत सत्र के दौरान प्रस्तुतियों को सुनते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
परम पावन दलाई लामा 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के समापन समारोह के अवसर पर बोलते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
परम पावन दलाई लामा 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के समापन समारोह के दौरान मुख्य अतिथि अरुणाचल प्रदेश से केंद्रीय गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री और एक सांसद, किरेन रिजिजु का धन्यवाद करते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
परम पावन दलाई लामा 'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के समापन समारोह की संचालिका डॉ किरण बेदी का धन्यवाद करते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल
'भारत में विद्यमान विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मेलन' के समापन समारोह के अंत में टिब्बटेन इंस्टिट्यूट ऑफ द परफोर्मिंग आर्ट्स के सदस्य 'थेंक यू इंडिया' गीत गाते हुए, नई दिल्ली, भारत - सितंबर २१, २०१४ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ एच एच डी एल