परम पावन ने लिखा, "मैं स्वयं मानद कनाडाई नागरिक होने का सौभाग्य प्राप्त करने वाला व्यक्ति हूँ, "मुझे विशेष रूप से इस बात पर गर्व है कि कनाडा में एक जीवंत लोकतंत्र है।विगत कुछ वर्षों में कनाडा की अपनी यात्राओं के दौरान, मैं कनाडा के लोगों द्वारा मेरे प्रति दिखाए गए मित्रता एवं प्रेम की भावना से बहुत प्रभावित हूँ।
"जैसा कि मुझे आपके पूर्ववर्तियों को बताने का अवसर प्राप्त हुआ था कि तिब्बती लोगों को दी जा रही निरंतर सहायता के लिए मैं कनाडा सरकार तथा वहाँ की जनता के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहूँगा।"
अंत में परम पावन ने कहा, "मैं कनाडा के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने, वैश्विक शांति तथा स्थिरता में योगदान के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देता हूँ।"
मैं उन लोगों के लिए प्रार्थना करता हूँ जिन्होंने अपनी जान गंवाई है तथा जो लोग घायल हुए हैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ।
दलाई लामा
बाइलाकुप्पे, दक्षिण भारत
"जब भी हम वर्षों बाद मिलते थे, तब मैं उनकी गंभीरता एवं अच्छी सलाह की ह्रदय की गहराई से सराहना करता था।मुझे लगता है कि वे मेरे लिए एक बड़े भाई की तरह थे।
"आपके पति दूसरों की मदद करने की प्रबल इच्छा से प्रेरित थे।उन्होंने भारत के विकास और समृद्धि, विशेष रूप से भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे भारतीय लोगों की स्थिति में सुधार हुआ।वे तिब्बती लोगों के भी अच्छे मित्र थे।
परम पावन दलाई लामा ने अपने पत्र का समापन इस प्रकार किया: "हम इस बात पर खुश हो सकते हैं कि 92 वर्षों तक उन्होंने वास्तव में सार्थक जीवन जिया-हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।"
]]>डॉ. मेमन ने कहा कि "परम पावन के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है”। “वे थेरेपी अच्छी तरह से कर रहे हैं तथा अच्छी प्रगति हो रही है। उनके स्वास्थ्य को और बेहतर होने के लिए अगले 6 से 12 महीनों तक थेरेपी जारी रहेगी। परम पावन के स्वास्थ्य में आज तक काफी सुधार हुआ है और हमें उम्मीद है कि सर्जरी के बाद यह पूरे एक साल तक जारी रहेगी”।
परम पावन दलाई लामा के घुटने की सफल रिप्लेसमेंट सर्जरी 28 जून को हुई थी।
]]>परम पावन ने लिखा कि, "मैं आपके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ, तथा उन परिवारों के जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है तथा इस आपदा से प्रभावित सभी लोगों के प्रति भी अपनी प्रार्थनाएँ व्यक्त करता हूँ।
"मुझे यह जानकर खुशी हुई कि राज्य सरकार तथा सभी संबंधित एजेंसियाँ प्रभावित लोगों को राहत और बचाव प्रदान करने के लिए कार्य कर रही हैं। केरल के लोगों के साथ अपनी सहभागिता के संकेत के रूप में मैंने दलाई लामा ट्रस्ट से राहत और बचाव प्रयासों के लिए दान देने को कहा है।"
]]>डॉ. त्सेतन डी सदुत्सांग एवं डॉ. त्सेवांग तमदीन
परम पावन दलाई लामा के चिकित्सक
24 जुलाई 2024
]]>“यह बहुत दुःखद है कि आज दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई लोग हिंसक संघर्षों से पीड़ित हो रहे हैं। हिंसा और हथियारों से मुक्त दुनिया के लिए एक घोषित प्रचारक के रूप में, यह मेरी हार्दिक आशा रही है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्षों को हल करने के लिए ठोस प्रयास करेगा और इस तरह अधिक शांतिपूर्ण और कारुणिक विश्व के निर्माण में योगदान देगा।
परम पावन ने अंत में कहा, "मैं फिनलैंड के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में आने वाली चुनौतियों तथा अवसरों को पूरा करने में आपकी सफलता की कामना करता हूँ।"
]]>“मेरे पास ताइवान के दौरे के दौरान वहां के लोगों द्वारा किए गए आतिथ्य की यादें हैं। तब मैं यह भी देख सका कि लोकतंत्र की जड़ें कितनी मजबूती है। ताइवान के लोगों ने न केवल एक समृद्ध, मजबूत लोकतंत्र विकसित किया है, बल्कि आर्थिक एवं शिक्षा के क्षेत्रों में भी बहुत कुछ हासिल किया है, साथ ही अपनी समृद्ध पारंपरिक संस्कृति को भी संरक्षित किया है।
“मैं ताइवान के बौद्धों की बुद्ध धर्म के प्रति गहरी रुचि की प्रशंसा करता हूँ। एक बौद्ध भिक्षु के रूप में, मैं समय-समय पर प्रवचनों और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए उनके अनुरोधों को पूरा करने की पूरी कोशिश करता हूँ।
“ताइवान और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के बीच अच्छे संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह मेरा लंबे समय से दृढ़ विश्वास है कि बातचीत में शामिल होना कठिन मुद्दों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है, चाहे वह स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो” ।
परम पावन ने ताइवान के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में श्री लाई की सफलता की कामना करते हुए अपनी बात समाप्त की।
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मनुष्य के रूप में हम सभी सुखी रहने तथा दुख से मुक्त रहने की एक समान इच्छा रखते हैं। हम सामाजिक प्राणी हैं जो जीवित रहने के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। इसलिए,जैसा कि मैं अक्सर कहता हूं कि हमें दूसरों के लाभ के लिए कार्य करना चाहिए। यदि हम उनकी मदद नहीं कर सकते तो हमें कम से कम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम उन्हें कोई नुकसान न पहुँचाएँ। मैंने पाया है कि दूसरों की मदद करना अपने लिए खुशी और शांति सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका है।
मेरा यह भी दृढ़ विश्वास है कि हम विश्व में शांति तभी ला सकते हैं जब हमें अपने अन्दर शांति मिलेगी। प्रत्येक मनुष्य में आंतरिक शांति विकसित करने की क्षमता है और ऐसा करके वह हमारे वैश्विक समुदाय की शांति में योगदान दे सकता है।
हमें अपनी राष्ट्रीयता या धर्म की परवाह किए बिना करुणा और आंतरिक शांति विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। हम सभी मानव जाति की भलाई और खुशी में योगदान दे सकते हैं। यदि पिछली सदी हिंसा की सदी थी, तो इस सदी को संवाद की सदी बनाना हमारी जिम्मेदारी है।
मैं एक बार फिर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। मुझे आशा है कि आप सभी नव वर्ष, 2024 का आनंद लेंगे।
प्रार्थनाओं और शुभकामनाओं के साथ
दलाई लामा
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दिसंबर 2023 के अंत में शुरू होने वाली परम पावन की बोधगया की यात्रा में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
]]>परम पावन दलाई लामा कार्यालय
1 अक्टूबर 2023
]]>उन्होंने लिखा कि “गत अप्रैल हमारे निर्वासन के जीवन की 64वीं वर्षगांठ थी। उस समय निर्वासन में भारत आए कई तिब्बतियों के पुनर्वास के लिए एक उपयुक्त स्थान खोजने के लिए प्रधान मंत्री पंडित नेहरू ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भूमि प्रदान करने की अपील की थी। सबसे उदार प्रतिक्रिया आपके राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री एस.निजलिंगप्पा की ओर से आई। जब मैं 1956 में भारत आया था उस समय मैं उनसे मिला था तथा उनके साथ बैठक की स्मृति अभी भी स्पष्ट है”।
बाद में, जैसा कि आप जानते हैं कि 1960 के दशक में 30000 से अधिक तिब्बती कर्नाटक में बस गए थे, जो कि निर्वासन में तिब्बतियों का सबसे बड़ा समूह था। अगस्त 2018 में कर्नाटक राज्य तथा यहाँ के लोगों को उनकी मित्रता एवं उदारता पूर्ण समर्थन के लिए धन्यवाद देने हेतु मैंने बेंगलुरु में एक विशेष समारोह में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ था इसके लिए मैं कर्नाटक राज्य का आभारी हूँ।
कर्नाटक में पाँच आवासीय बस्तियाँ स्थापित करने के अलावा, तिब्बती समुदायों को पुनर्वासित करने की अनुमति प्रदान की। मुझे गर्व है कि यह वही राज्य है जहाँ हमारे कई प्रमुख शिक्षा संस्थान फिर से स्थापित हुए। अध्ययन की गंभीर व्यवस्था के माध्यम से ये संस्थान प्राचीन भारतीय ज्ञान की परंपराओं को जीवित रख रहे हैं, जिसमें मन की शांति को प्राप्त करने हेतु मूल्यवान शिक्षाएँ सम्मिलित हैं, जो हम तिब्बतियों को नालंदा परंपरा के अंग के रूप में प्राप्त हुई हैं।
परम पावन ने आगे कहा कि “एक बार पुनः हम कर्नाटक सरकार तथा लोगों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहते हैं कि उन्होंने इस कठिन समय के दौरान तिब्बतियों का गर्मजोशी एवं मैत्रीपूर्ण समर्थन प्रदान किया है”।
अंत में उन्होंने कहा कि “मैं इस अवसर पर कर्नाटक के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को परिपूर्ण करने में आने वाली चुनौतियों का सामना करने हेतु आपकी सफलता की कामना करता हूँ”।
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