थेगछेन छोलिंग, धर्मशाला, हि. प्र. - परम पावन दलाई लामा ने भारतीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को उनके ६८वें जन्मदिन पर उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थनाओं के साथ अपनी शुभकामनाएँ दीं।
उन्होंने लिखा: "इस अवसर पर मैं अपने विचारों को आपके साथ साझा करना चाहता हूं, कि भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है अपितु उसके पास विश्व को देने के लिए अनूठे उपहार भी हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत मानवता के हितार्थ स्थिरता, धार्मिक सद्भाव, करुणा और अहिंसा जैसी निधि को साझा करने में सक्रिय भूमिका निभा सकेगा। आपके सक्षम नेतृत्व में भारत के लोग समृद्ध होते रहेंगे।
"मैं स्वयं को भारत का संदेशवाहक मानता हूं, और मैं जहां भी जाता हूं, सहिष्णुता और अंतर्धार्मिक सद्भाव की इस देश की प्राचीन परम्परा की प्रशंसा करता हूँ। हाल के वर्षों में, मैंने स्वयं को प्राचीन भारतीय विचारों में रुचि को पुनर्जीवित करने के लिए भी प्रतिबद्ध किया है। मेरा मानना है कि यह हमारी विनाशकारी भावनाओं के परिवर्तन तथा आधारभूत आंतरिक गुणों को बढ़ावा देने में अत्यधिक मूल्यवान हो सकता है। जिस प्रकार अपने शरीर को ठीक रखने के लिए भौतिक स्वच्छता आवश्यक है उसी तरह मानसिक रूप से ठीक रहने के लिए भावनात्मक स्वच्छता तथा अपनी विनाशकारी भावनाओं से निपटने के लिए सीखना आवश्यक है। इस संबंध में, मेरा मानना है कि प्राचीन भारतीय ज्ञान के तत्व अत्यंत सहायक हो सकते हैं।
"भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां चित्त की शांति विकसित करने के लिए आधुनिक शिक्षा के साथ प्राचीन ज्ञान को जोड़ने की क्षमता है। मैं भारत में प्राचीन भारतीय ज्ञान को बहाल करने के प्रति बढ़ती रुचि, विशेषकर युवा लोगों में देखकर बहुत उत्साहित हूँ।"
परम पावन ने समापन करते हुए लिखा "भारत ५९ से अधिक वर्षों से हमारा घर रहा है। इस अवसर पर मैं अपने साथी तिब्बतियों की ओर से, सरकार और भारत के लोगों की उदारता के लिए हृदय से कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। यह भारत की दयालुता और उदारता के कारण है कि हम निर्वासन में अपनी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में सक्षम रहे हैं।"