थेगछेन छोलिंग, धर्मशाला, हि. प्र.,भारत, संघर्ष क्षेत्र के युवा नेता आज प्रातः दूसरी बार संवाद के लिए परम पावन दलाई लामा से मिले। सत्र परम पावन और दो युवा नेताओं, दक्षिण सूडान के एलुएल एटेम और कोलंबिया से पॉला पोरास के साथ 'द स्ट्रीम' एक सोशल मीडिया समुदाय जिसका अपना अल जजीरा अंग्रेजी दैनिक टीवी कार्यक्रम होता है, के एक कार्यक्रम में ऑनलाइन भाग लेते हुए प्रारंभ हुआ।
अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में परम पावन ने कल की बैठक को पुराने मित्रों के साथ पुनर्मिलन की तरह बताया। शांति गतिविधियों में उनके अपने आधार के विषय में पूछे जाने पर, उन्होंने अपने भीतर चित्त की शांति विकसित करने के महत्व पर जोर दिया, जो उन कई ग्रंथों का केंद्र थे जिन्हें उन्होंने कंठस्थ किया और अध्ययन किया जब वे छोटे थे। "उस समय मैं काफी आलसी छात्र था," उन्होंने कहा, "पर बाद में अनुभव किया कि ये निर्देश कितने उपयोगी हैं।"
इस समूह में कई युवा शांति निर्माता या तो स्वयं शरणार्थी रहे हैं अथवा अब शरणार्थियों के समर्थन में खुद को समर्पित करते हैं। लेबनान का एक संवाददाता जानना चाहता था कि परम पावन को शरणार्थी के रूप में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था । उन्होंने उत्तर दिया "यह पहले काफी उलझनपूर्ण था, पर सौभाग्य से दीर्घ काल से हमारे भारत के साथ घनिष्ठ संबंध थे। लोगों और भारत सरकार के सहयोग से, साथ ही विश्व भर के अन्य मित्रों की सहायता से, हम अपनी देखभाल करने में सक्षम रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण, हमने उस ज्ञान को जीवित रखा है एक हजार से अधिक वर्षों तक हमारी परंपरा का एक अंग रहा है - और अब हम विश्व भर जो प्रासंगिक है उसे अपने भाइयों और बहनों के साथ साझा करने में सक्षम हैं।"
एलुएल ने द स्ट्रीम को बताया कि कल की उनकी बातचीत में परम पावन ने उन्हें उनके प्रश्नों के उत्तर दे दिए थे। पाउला ने कहा कि अत्यंत मज़ेदार होने के अतिरिक्त परम पावन ने उन्हें व्यावहारिक सलाह दी जो उनके काम को सरल बना देगी। परम पावन ने इन युवा लोगों द्वारा प्रकट विश्वास तथा सौहार्दता की सराहना की। उन्होंने घोषित किया कि यद्यपि उनकी आयु बढ़ रही है, पर वे उनकी यथासंभव सहायतार्थ दृढ़ हैं, क्योंकि उनके जैसे युवा लोग विश्व का भविष्य हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि अन्य लोगों के साथ अच्छे संचार स्थापित करने का पहला कदम मुस्कुराहट है। उन्होंने टिप्पणी की कि "मुझे औपचारिकता पसंद नहीं है," उन्होंने कहा, "जब कोई जन्म लेता है, और न ही जब हम मरते हैं तो कोई औपचारिकता होती है।" उन्होंने हँसते हुए कहा कि किस तरह कुछ चीनी अधिकारी उन्हें राक्षस के रूप में संदर्भित करते हैं, पर साथ ही चीनी लोगों के लिए उन के मन में जो सम्मान है उसे स्पष्ट किया ।
रोहिंग्या की दुर्दशा के बारे में उनके विचार पूछने पर, परम पावन ने कहा कि यह बहुत दुखदायी था। "जब मैंने पहली बार सुना कि बर्मा में क्या हो रहा था, मैंने सुझाव दिया कि जब लोग या सेना के लोग रोहिंग्या के संबंध में परेशान हों, तो उन्हें बुद्ध का चेहरा स्मरण करना चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि यदि वे वहां होते तो वे उन्हें अपनी सुरक्षा प्रदान करते।
जब टाइम पत्रिका में "बौद्ध आतंकवादी" शीर्षक लिए मुख पृष्ठ पर बर्मा के भिक्षु की एक तस्वीर छपी, तो मुझे अनुभव हुआ कि बौद्ध आतंकवादी या मुस्लिम आतंकवादी जैसे लेबल गलत हैं। जब ऐसे लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो वे इस्लाम अथवा बुद्ध की शिक्षाओं का अनुपालन नहीं करते-वे मात्र आतंकवादी हैं
"जब मैं नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं की एक बैठक के दौरान आंग सान सूकी से मिला तो मैंने उन्हें सलाह दी कि जो हो रहा है उन्हें इसके संबंध में कुछ करना चाहिए। उसने मुझे बताया कि यह बहुत जटिल था।
"इस बीच, मैं वास्तव में उन संगठनों के सदस्यों की प्रशंसा करता हूं जो इन लोगों की सहायता कर रहे हैं और उनकी देखभाल कर रहे हैं। उनके कार्य बताते हैं कि इस उलझे विश्व में भी करुणा है - यह एक बीज है जिसे बढ़ने के लिए हम प्रोत्साहित कर सकते हैं।"
यह पूछने पर कि क्या उन्हें लगता है क्या ऐसा कुछ है जो उन जैसे कुछ युवा दलाई लामा को सिखा सकते हैं, पाउला ने सुझाया दिया कि उनके पास तकनीक की समझ का विश्वास है जो उन्हें परिवर्तन लाने में सक्षम बनाता है, उदाहरण के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से। अपनी ओर से परम पावन ने स्वीकार किया कि युवा लोगों के मस्तिष्क ताज़े होते है जो परिवर्तन के लिए अधिक अनुकूल होते हैं, पर ज़ोर देते हुए देकर कहा कि युवाओं और अधिक आयु लोगों के लिए एक दूसरे के साथ विचार साझा करना मूल्यवान है।
अल जज़ीरा कार्यक्रम के बाद युवा नेता और परम पावन के बीच चर्चा जारी रही, जिसके अंत में सभी ने साथ में मध्याह्न का भोजन किया । परम पावन ने मजाक करते हुए कहा कि मध्याह्न के भोजन के बाद तस्वीरें खिंचवाना बेहतर होगा क्योंकि जब उनके पेट भरे होंगे तो उनके चेहरे अधिक खुश दिखाई पड़ेगें।