परम पावन दलाई लामा ने श्री रामनाथ कोविंद को भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर बधाई दी, जुलाई २०, २०१७
लेह, लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, - परम पावन दलाई लामा ने विश्व के अधिकतम जनसंख्या वाले लोकतांत्रिक राष्ट्र, भारत के राष्ट्रपति रूप में चुने जाने पर पत्र लिखकर बधाई दी।
आज अपने पत्र में उन्होंने कहा - "निर्वासन में हमारे जीवन का यह ५८वाँ वर्ष है। यह सरकार और भारत के लोगों की दयालुता और उदारता है जिससे इस देश में १३०,००० से अधिक तिब्बती इसे अपना घर बनाये रखे हुए हैं। हम सदैव कृतज्ञ रहेंगे।
"मैं प्रायः स्वयं को भारत के पुत्र के रूप में वर्णित करता हूँ क्योंकि मेरी सम्पूर्ण विचार धारा मुझे प्राप्त बौद्ध प्रशिक्षण से निर्धारित है। इसका मूल ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के महान आचार्यों, जैसे आचार्य नागार्जुन और आर्य असंग के लेखन में है। इस बीच, मेरी काया भी भारत के चावल, दाल और रोटी से पोषित हुई है। अतः मैं इस महान देश के साथ एक वास्तविक बंधन अनुभव करता हूँ और इसके कल्याण हेतु सतत सोच रखता हूँ।"
उन्होंने आगे बताया कि किस प्रकार उनका जीवन तीन प्रमुख प्रतिबद्धताओं द्वारा निर्देशित है - एक और अधिक करुणाशील विश्व लाने के लिए कार्य; अंतर्धार्मिक सद्भाव को प्रोत्साहित करना; और तिब्बत की बौद्ध संस्कृति को बनाए रखने के लिए काम करना, जो जस के तस नालंदा परम्परा पर आधारित है। इनमें हाल ही में उन्होंने एक चौथी प्रतिबद्धता जोड़ी है - प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित करना, विशेषकर चित्त के कार्य का, जो हमारे विनाशकारी भावनाओं का रूपांतरण करने तथा आधारभूत आंतरिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत लाभकर है। उन्होंने अपने विश्वास पर बल दिया कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ आंतरिक शांति विकसित करने के हित में आधुनिक शिक्षा के साथ इस तरह के प्राचीन ज्ञान को संयोजित करने की क्षमता है।
परम पावन के पत्र का समापन था - "जैसे भारत समृद्ध होता है और विकास करता है तो उसमें गर्व करने लायक बहुत कुछ है। मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत के महत्व के विषय में और अधिक जागरूक हो रहा है, न केवल इसलिए कि वह विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है, बल्कि इसकी धार्मिक सद्भावना, करुणा और अहिंसा की अनुकरणीय परम्पराओं के कारण भी। जिस तरह हमारा विश्व तेजी से अन्योन्याश्रित हो रहा है, मैं भारत को हर महाद्वीप पर अधिक सक्रिय भूमिका निभाता देखना चाहता हूँ, इन निधियों को और अधिक अच्छे के लिए साझा करते हुए।
"मैं जानता हूँ कि आपने अब तक अपनी सार्वजनिक भूमिका में गरीबों और दलितों के मुद्दे को लेकर बहुत कुछ किया है। यद्यपि भारत ने जबरदस्त विकास प्राप्त किया है, पर पोषण, शिक्षा व बच्चों के संरक्षण, अमीर और गरीबों के बीच की खाई को पाटने और भ्रष्टाचार को रोकने के क्षेत्र में चुनौतियाँ हैं। मैंने इससे पहले नेताओं के साथ ये प्रश्न उठाए हैं क्योंकि मुझे लगता है कि ये गंभीर समस्याएँ हैं जिनसे लोगों के दीर्घकालिक हित को ध्यान में रखते हुए खुले तौर पर और साहस से निपटने की आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है कि भारत सफल हो।
"इसमें कोई शंका नहीं कि आप भारत की शक्तियों को मजबूत करने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करेंगे ताकि वह विश्व में नेतृत्व प्रदान कर सके जिस महिमा का वह अधिकारी है।"