नई दिल्ली - ५ अगस्त २०१७,परम पावन दलाई लामा ने भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किए जाने पर श्री वेंकैया नायडू को बधाई देते हुए पत्र लिखा।
अपने पत्र में उन्होंने लिखा "मेरे मन में इस देश के प्रति एक गहन स्नेह है जहाँ समृद्ध सभ्यता तथा सहिष्णुता, करुणा और अहिंसा की दीर्घकालिक परंपराएँ हैं। इसकी विशाल जनसंख्या और भाषाओं, धर्मों तथा संस्कृतियों की बहुलता के बावजूद जो यहाँ पोषित होते हैं, भारत अनूठे रूप से स्थिर है - विश्व के लिए एक उदाहरण कि किस तरह धार्मिक परम्पराएँ पारस्परिक सम्मान भाव से सहअस्तित्व रख सकती हैं। मैं जहाँ भी जाता हूँ, मैं विविधता में एकता के जीवंत उदाहरण के रूप में भारत का उदाहरण देते हुए गौरव का अनुभव करता हूँ। इसका कारण यहाँ लोकतंत्र, कानून, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की स्वतंत्रता पर रखा गया मूल्य है। भारत को सफल होना चाहिए क्योंकि कई अन्य राष्ट्र नेतृत्व और प्रेरणा के लिए उसकी ओर देखते हैं।
"यह वर्ष निर्वासन में हमारे जीवन का ५८वाँ वर्ष है। सरकार और भारत के लोगों की उदारता और आतिथ्य के कारण १३०,००० से अधिक तिब्बतियों ने भारत को अपना घर बनाया है। यह स्वाभाविक है कि हम भी इस बात को लेकर गौरव का अनुभव करें कि भारत ने अपने लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर दृढ़ रहकर समृद्धि और विकास को बनाए रखते हुए प्रगति की है।" परम पावन ने स्मरण किया कि इस वर्ष फरवरी में विजयवाड़ा में राष्ट्रीय महिला संसद २०१७ में निर्वाचित उपराष्ट्रपति से भेंट कर उन्हें हार्दिक प्रसन्नता हुई थी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आज जब श्री वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति की महत्वपूर्ण संवैधानिक भूमिका निभाने जा रहे हैं तो उनके सार्वजनिक जीवन के कई वर्षों के अनुभव उनके सहायक होंगे। अंत में उन्होंने उन्हें आगे जो भी चुनौतियों आएँ उनका सामना करने में उन्हें हर तरह की सफलता की कामना की।