डेरी, उत्तरी आयरलैंड, यूके, परम पावन दलाई लामा ने कल भारत से लंदन के लिए उड़ान भरी और ठीक उस समय पहुँचे जब मूसलाधार वर्षा थम गई थी और सूरज निकला था। आज प्रातः उन्होंने डेरी, उत्तरी आयरलैंड जाने के लिए नीले आकाश तले पुनः एक छोटी उड़ान भरी, जहाँ एक बार फिर बारिश हो रही थी। जब वर्षा थोड़ी देर के लिए थमी तो उनके मेजबान, रिचर्ड मूर ने परम पावन का स्वागत किया। वे गले लगे और परम पावन ने मूर, जो दृष्टि बाधित हैं, से अपने चेहरे को छूने के लिए कहा "सदा की तरह सुंदर!" उनका कथन था।
उनके फोले नदी के पश्चिमी तट पर डेरी में होटल पहुँचने पर तिब्बती ध्वज हवा में लहरा रहा था जब तिब्बतियों ने लॉबी में पारम्परिक रूप से परम पावन का स्वागत किया। परम पावन का अभिनन्दन करने कई अन्य शुभचिंतक और मित्र उपस्थित थे। इसके कुछ समय उपरांत एवरग्लेड्स होटल में, रिचर्ड मूर ने चिल्डर्न इन क्रासफायर बोर्ड के अध्यक्ष मार्कस ओ 'नील और बोर्ड के अन्य सदस्यों से परम पावन का परिचय कराया। एनजीओ के मित्र व समर्थक, जिसका उद्देश्य है 'बच्चों को चयन का अवसर प्रदान करना', मध्याह्न भोजन के लिए एकत्रित हुए थे। मूर ने परम पावन को चिल्डर्न इन क्रासफायर के बच्चों के कार्य को चित्रित करने वाला एक बड़ा सचित्र प्रदर्शन दिखाया।
सभा को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किए जाने पर परम पावन ने हँसते हुए उनसे कहा कि जब आपका पेट खाली होता है तो महत्वपूर्ण है कि भोजन किया जाए। बिशप डोनल मैक्ओन ने मूर द्वारा भोजन के लिए कृतज्ञता ज्ञापित करने के अनुरोध पर कहा, "हमें दलिया जैसा मोटा, कड़ा और हिलाने में कठिन न बनाएँ अपितु मकई के दाने की तरह हल्के, शीघ्रता से खाने जैसा बनाएँ।"
भोजनोपरांत, रिचर्ड मूर के अनुरोध पर परम पावन ने चिल्डर्न इन क्रासफायर के बोर्ड के तीन सदस्यों रोज केली, जो मरे और डॉन मक्लिश को प्रशंसा प्रतीक प्रस्तुत किए।
जब परम पावन और रिचर्ड मूर मिलेनियल फोरम के सान्निध्य में पहुँचे तो लांग टॉवर लोक समूह, मूर की पत्नी रिटा के संचालन में शांति का एक गीत गा रहा था। जब परम पावन मंच पर आए तो उन्होंने १००० से अधिक की संख्या में उपस्थित श्रोताओं का अभिनन्दन किया और मूर ने एक संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने टिप्पणी की, कि परम पावन ने कहा है कि करुणा उससे मेल खाते कार्य के बिना अपर्याप्त है। उन्होंने आगे कहा कि आज जीवित बच्चे हैं, चिल्डर्न इन क्रासफायर के बच्चों के कार्यों के परिणामस्वरूप बच्चे स्वच्छ जल और शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने परम पावन को वर्णित करते हुए कहा वे "कुछ इस तरह के व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनके समान हम सभी बनना चाहते हैं।" समापन करते हुए उन्होंने कहा, "हमारा शहर कई नामों वाला शहर है - डेरी, लंडनडेरी, लेजेंडरी और आप का यहाँ पुनः एक बार स्वागत है।"
"मेरे प्रिय सम्माननीय बंधु," परम पावन ने उत्तर दिया, "मैं साधारणतया आपको अपने नायक के रूप में वर्णित करता हूँ। जब मेरी पहली बार आपसे भेंट हुई और मैंने आपकी कहानी सुनी, (जब आप एक बच्चे थे तो दृष्टि खो बैठे पर दूसरों के लिए कार्यरत हैं) तो मैं अत्यंत द्रवित हुआ। मैं प्रायः करुणा के विषय पर बोलता हूँ, पर मुझे लगता है कि यदि मैं आपके जैसे अनुभव से गुजरता तो क्या मैं अपना आपा नहीं खो बैठता। आपने ऐसी आंतरिक शक्ति प्रदर्शित की है और चिल्डर्न इन क्रासफायर स्थापित करने का आपका कार्य स्पष्ट करता है कि वास्तव में मानव होना क्या है। आप जिस अनुभव से गुज़रे उसने आपके जीवन को रूपांतरित कर दिया। अपने क्रोध को उकसाने के बजाय, इसने आपकी करुणा को सशक्त किया है। अद्भुत!
"करुणा एक ऐसी भावना है जो सभी सामाजिक प्राणियों को एक साथ मिलाती है। वैज्ञानिकों ने हमें बताया है कि उनके पास प्रमाण हैं कि आधारभूत मानव प्रकृति करुणाशील है। मैंने ऐसा प्रयोग देखा है जिसमें शिशु, जो बोल भी नहीं पाते, उन्हें जब व्यवहार के विभिन्न सजीव चित्र दिखाए गए। जिस चित्र में उन्हें लोगों को एक - दूसरे की सहायता करते हुए दिखाया गया उसे देखकर उन्होंने हर्ष व अनुमोदन व्यक्त किया और उन चित्रों से मुँह मोड़ लिया जिसमें लोगों को रोड़े अटकाते हुए दिखाया गया था।
"चिकित्सक कहते हैं कि निरंतर क्रोध और भय हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को दुर्बल करते हैं। इस बीच, कोई डॉक्टर आपसे यह नहीं कहता कि यदि आप अधिक क्रोधित हों तो आप का स्वास्थ्य बेहतर होगा। वे आपको आराम करने का परामर्श देते हैं, जिसका अर्थ है कि न केवल शारीरिक रूप से सहज रहें, अपितु चित्त की शांति भी पाएँ। करुणा हममें आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति लाती है।
"जब मैंने सुना कि वैज्ञानिक कहते हैं कि मूल मानव प्रकृति करुणाशील है तो मुझे लगा कि यह आशा का संकेत था। हमारी धार्मिक आस्था चाहे कुछ भी हो, दूसरों के प्रति प्रेम व दया व्यक्त करना आंतरिक शांति लाने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। मैं करुणा जैसी आधारभूत मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हूँ। हमें आज जिसकी आवश्यकता है वह सार्वभौमिक मूल्य हैं जो आस्था पर आधारित नहीं अपितु वैज्ञानिक निष्कर्षों, सामान्य अनुभव और सामान्य ज्ञान पर आधारित हों। जिस तरह हम शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखते हैं, हम अपने आंतरिक स्वास्थ्य की सुरक्षा विनाशकारी भावनाओं से निपटने और भावनात्मक स्वच्छता का विकास करते हुए कर सकते हैं।"
परम पावन ने सुझाया कि भय व क्रोध आत्म - केंद्रितता में निहित हैं, मात्र अपनी और अपनी आवश्यकताओं के बारे में सोचते हुए। दूसरी ओर अन्य के प्रति अधिक सोच और उनकी ओर से करुणाशील कार्य करना करना यहाँ और अभी एक सुखी जीवन जीने का आधार है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आधार पर हम २१वीं शताब्दी को शांतिपूर्ण शताब्दी बनाने की आशा कर सकते हैं।
"बल द्वारा शांति नहीं प्राप्त होगी। हमें मानवीय समस्याओं का समाधान करने के लिए एक मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। शांति और सम्मान के आधार पर बातचीत तथा संवाद शांति निर्मित करने के आधार हैं। मैं यूरोपीय संघ और संकीर्ण राष्ट्रीय हितों के आगे आम हित की भावना रखने के निर्णय का प्रशंसक हूँ। इसी तरह, मुझे 'पहले अमेरिकन' नारे तथा पेरिस समझौते से अमेरिका के पलटने को लेकर भी कुछ आशंकाएँ हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि हाल के दिनों में हमने जिन प्राकृतिक आपदाओं को देखा है, वे हमें जलवायु परिवर्तन के बारे में कुछ सिखाने का प्रयास कर रहे हैं। परन्तु यदि मैंने कुछ गलत कहा है, तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।"
श्रोताओं के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, परम पावन ने हमारे ऐन्द्रिक सुख के अनुभव की खोज एक कैथोलिक भिक्षु के अनुभव से की जिनसे वे स्पेन के मोंटेसेराट से मिले थे, जिन्होंने उन्हें बताया कि एक सन्यासी के रूप में उन्होंने पाँच वर्ष पहाड़ों में प्रेम पर ध्यान किया था। परम पावन ने बताया कि जब उन्होंने यह बताया तो उनकी आंखें आनन्द से चमक रही थीं।
उन्होंने टिप्पणी की कि यद्यपि युवतियाँ अपने सौंदर्य को बढ़ाने के लिए अपने चेहरे पर प्रसाधनों का प्रयोग करती हैं, पर यदि वे अपने मुख पर क्रोध की अभिव्यक्ति बनाए रखें तो कोई भी उनकी ओर देखना न चाहेगा। उन्होंने एक भिक्षु अधिकारी, जो चीवर छोड़ने के कारण भिक्षु न रहे थे, को चिढ़ाते हुए कहा था कि उनकी पत्नी विशेष रूप से सुंदर नहीं थी और अधिकारी का उत्तर था कि यह सच था, पर उनका आंतरिक सौंदर्य - और उनकी सौहार्दता बहुत अधिक थी।
यह पूछे जाने पर कि ऐसी कौन सी एक वस्तु है जिसमें उन्हें बहुत आनन्द मिलता है, परम पावन ने छूटते ही उत्तर दिया जिससे श्रोताओं में हँसी छा गई "ओ, मध्याह्न का भोजन - क्योंकि बौद्ध भिक्षु के रूप में मैं रात का भोजन नहीं करता।"
दुःख के बारे में एक प्रश्न ने परम पावन को स्मरण कराया कि जब उनके वरिष्ठ शिक्षक का निधन हुआ तो उन्होंने अनुभव किया मानो कोई उस ठोस चट्टान जिस पर वह सदैव आश्रय लेते थे, अब नहीं रहा। उन्होंने एक अभाव का अनुभव किया। परन्तु उन्होंने निश्चय किया कि उन्हें जो करना था वह था उनके लिए अपने शिक्षक की इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करना।" अतः बेहतर है कि आप अपनी उदासी को एक सार्थक रूप से जीवन जीने के लिए दृढ़ संकल्प में रूपांतरित करने का प्रयास करें। यहाँ रिचर्ड मूर त्रासदी को अवसर में परिवर्तित करने का एक उदाहरण हैं।"
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, परम पावन ने घोषित किया, यदि आप कर सकते हैं तो शाकाहारी होना बहुत अच्छा है। उन्होंने सूचित किया कि तिब्बती निर्वासित समुदाय में महाविहारों, विद्यालयों और अन्य संस्थानों की रसोइयाँ अब शाकाहारी हैं। उन्होंने टिप्पणी की कि कुछ बौद्ध परम्पराएँ अपने अनुयायियों को शाकाहारी होने के लिए प्रेरित करती हैं, परन्तु अन्य नहीं करतीं। बुद्ध ने अपने भिक्षुओं को जो भिक्षाटन करते थे, सलाह दी थी कि वे उन्हें जो भी मिले उसे स्वीकारें। उन्होंने माना कि स्वास्थ्य कारणों से उनके चिकित्सकों ने उन्हें कुछ समय मांसाहारी आहार का पालन करने की सलाह दी थी।
उन्होंने एक अन्य व्यक्ति को जिसने धैर्य के बारे में पूछा था शांतिदेव के 'बोधिसत्चर्यावतार' के अध्याय ६ और अध्याय ८ को पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने इसी तरह सलाह दी कि पारिस्थितिकी के प्रति रुचि बढ़ाने और समर्थन करने का मार्ग शिक्षा था। परम पावन ने समापन करते हुए कहा,
"यदि हम प्रयास करें तो हम विश्व को परिवर्तित कर सकते हैं। जो लोग अभी भी युवा हैं, वे अंतर ला सकते हैं और बेहतर भविष्य निर्मित कर सकते हैं। जहाँ तक मेरा संबंध है, अपनी ओर से मैं आंतरिक मूल्यों में रुचि को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता हूँ और मेरा मानना है कि यदि मैं दस लोगों को प्रभावित करता हूँ और उनमें से प्रत्येक वही करे तो हम एक सौ तक पहुँच चुके हैं। और इस तरह यह निरंतर रहता है। लोगों को शिक्षित करने का यह उपाय है।"
कार्यक्रम का समापन अन्य गायकों द्वारा लांग टॉवर लोक समूह द्वारा प्रेम व शांति की शक्ति पर गाए गीत में सम्मिलित होने के साथ हुआ। परम पावन बैठकर सुनते रहे और अंत में सराहना व्यक्त की। उन्होंने श्रोताओं का अभिनन्दन किया और विदा लेने तथा अपने होटल में लौटने से पूर्व मंच के सामने आगे बढ़े हाथों से हाथ मिलाया।
कल वे चिल्डर्न इन क्रासफायर के सम्मेलन में भाग लेंगे जिसका विषय है 'हृदय को शिक्षित करना'।