मिनियापोलिस, एमएन, संयुक्त राज्य अमेरिका, २३ जून २०१७ - कल की वर्षा के बाद, आज की प्रातः खिली और उज्ज्वल थी जब परम पावन दलाई लामा स्टार्की परिसर के विलियम एफ ऑस्टिन बिल्डिंग गाड़ी से पहुँचे। बिल और तानी ऑस्टिन ने उनका स्वागत किया और प्रातः के पैनल चर्चा के संचालक फॉरेस्ट व्हिटेकर से परिचय कराया, जिनसे वे विगत वर्ष पहली बार मिले थे।
सभागार में, तानी ऑस्टिन ने लगभग २५० राजनेताओं, व्यवसायियों और महिलाओं और स्टार्की कर्मचारियों के श्रोताओं से पैनल का परिचय करवाया। उन्होंने अपने पति, बिल ऑस्टिन की बात की, जो अत्यंत साधारण रूप से जीवन का प्रारंभ कर विश्व के नागरिक के स्तर कर पहुँचे थे। अभिनेता फॉरेस्ट व्हिटेकर, संघर्ष स्थानों में बच्चों को सशक्त बनाने के लिए काम करते हुए एक टिकाऊ विकास के उद्घोषक और यूनेस्को सद्भावना राजदूत हैं। परम पावन को इस तरह वर्णित करते हुए कि उनके परिचय की कोई आवश्यकता न थी, श्रीमती ऑस्टिन का अर्थ था कि कक्ष में सभी ने उनका नाम सुना था, परन्तु उन्होंने कहा कि वह उनके जीवन का सारांश पढ़ना चाहती हैं ताकि वे उनके बारे में भी कुछ समझ सकें।
फॉरेस्ट व्हिटेकर ने प्रातः के संवाद को प्रारंभ कर स्वयं को परम पावन के सान्निध्य में होने के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि आर्चबिशप डेसमंड टूटु ने उन्हें हमारे विश्व का संकेत दीप प्रकाश बताया। सभी को एक क्षण के लिए सहज होने के सुझाव देने के बाद उन्होंने पैनल से करुणा को परिभाषित करने के लिए कहा। परम पावन ने सीधा उत्तर दिया।
"करुणा दूसरों के प्रति सोच है - दूसरों के कल्याण के लिए गंभीर सोच, जो हमारे अपने अनुभव की जागरूकता पर आधारित है। चूंकि जब अन्य हमारे प्रति स्नेह व्यक्त करते हैं और हमें सहायता प्रदान करते हैं तो हमें खुशी होती है। जब दूसरों के लिए स्नेह और तत्परता व्यक्त करें तो वे भी आनन्द का अनुभव करेंगे। हमारा चित्त जितना अधिक करुणाशील होगा, उतना अधिक हम अपना जीवन पारदर्शिता से, ईमानदारी से, सच्चाई से, बिना कुछ छिपाए जीने में सक्षम होंगे। करुणा हमारी आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है, भय को कम करता है और मित्रों को हमारे चारों ओर एकत्रित करने का कारण बनता है। सामाजिक प्राणियों के रूप में हमें मित्रों की आवश्यकता होती है और उन्हें जो आकर्षित करता है, वह विश्वास है। और विश्वास बढ़ता है जब हम दूसरों के कल्याण को लेकर वास्तविक सोच दिखाते हैं।
"करुणा हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाती है और हमारी अद्भुत मानवीय बुद्धि को उचित रूप से कार्य करने देती है, क्योंकि मूलभूत रूप से हमारा चित्त शांत रहता है। पर इसके बजाय यदि हम क्रोधित हों तो हमारा विश्लेषण पक्षपाती होगा, हम वास्तविकता के विभिन्न पक्षों को नहीं देख सकेंगे। जब चित्त शांत होता है तो हम एक समग्र दृष्टिकोण ले सकते हैं जो अधिक यथार्थवादी है।
"मेरे दोस्त, मनोचिकित्सक और संज्ञानात्मक चिकित्सक, हारून बेक, जिन्होंने क्रोध से पीड़ित लोगों के साथ काम किया है, ने मुझे बताया कि जब हम क्रोधित होते हैं तो उस व्यक्ति को पूरी तरह से नकारात्मक रूप से देखते हैं जिस पर हम क्रोधित हैं। परन्तु, इसका ९०% सिर्फ मानसिक प्रक्षेपण है। दूसरी ओर, करुणा, जैसा मैंने कहा, हमें वस्तुओं को निष्पक्ष और यथार्थवादी रूप से देखने में सक्षम करता है।"
बिल ऑस्टिन ने उत्तर दिया कि उनके लिए करुणा जीवन के प्रति सम्मान के बारे में है, जिसका अर्थ है जीवन की सुरक्षा, बचाव और समर्थन करना।
व्हिटेकर ने जो कहा गया था उसे देने से जोड़ा। कुछ लोग देने का संबंध भौतिक उपहारों से जोड़ते हैं, पर उन्होंने कहा, कि मदर टेरेसा ने टिप्पणी की थी कि हमें मुस्कुराहट की शक्ति का कभी भी कम मूल्यांकन नहीं करना चाहिए।
परम पावन ने देने को चार रूपों में वर्गीकृत कियाः भय से स्वतंत्रता देना जिसका तात्पर्य जीवन को बचाना है, भौतिक उपहार देना; प्रेम देना और निर्देश देना या शिक्षा देना। उन्होंने स्पष्ट किया कि भय से स्वतंत्रता देने का संबंध दूसरों के जीवन की रक्षा करना और बचाव करना है और इसमें स्टार्की हेरिंग टेक्नोलॉजीस के द्वारा किए जा रहे कार्य शामिल किए जा सकते हैं ताकि लोग बेहतर सुन सकें। दूसरे में सुविधाएँ प्रदान करना शामिल किया जा सकता है। तीसरा, एक ईमानदार और परोपकारी प्रेरणा से देने के बारे में है, आपके देने के बदले क्या प्राप्त हो सकता है की दृष्टि न रखते हुए करुणा सहित देना। चौथा यह कि लोगों को अपनी स्वयं की सहायता के लिए किस तरह की शिक्षा की आवश्यकता है। उनके शारीरिक स्वास्थ्य और उनके चित्त के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए, लोगों को इस बात के प्रति जागरूक होना चाहिए कि अपनी भावनाओं का रूपांतरण किस तरह किया जाए।
व्हिटेकर ने पूछा कि एक अच्छा, सशक्त नेतृत्व किस तरह बनता है और परम पावन ने उत्तर दिया।
"नेतृत्व करने के लिए, यह आवश्यक है कि लोगों का विश्वास प्राप्त हो। आपको करुणा की आवश्यकता है, पर साथ ही एक दूरदर्शी दृष्टि भी ताकि आप यथार्थ रूप में अपने लक्ष्य के पीछे लगे रहें।"
बिल ऑस्टिन ने सहमति व्यक्त की, पर उन्होंने कहा कि उनके लिए उदाहरण द्वारा नेतृत्व करना महत्वपूर्ण है।
आंतरिक शक्ति की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए परम पावन ने हमारे शारीरिक और मानसिक अनुभव के बीच अंतर किया। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा को बेहतर बनाने का एक उपाय चित्त और भावनाओं के कार्यों की समझ को शामिल करना होगा। उन्होंने उल्लेख किया कि प्राचीन भारतीय ज्ञान में इसके बारे में तथा दृश्य व यथार्थ के बीच के अंतर को प्रकट करने के लिए बहुत कुछ है, जो आज हमारे लिए प्रासंगिक है। करुणा एक है जिसकी हमें आवश्यकता है पर यथार्थवादी होना एक और बात है।
बिल ऑस्टिन ने सुझाया कि हर प्रातः यह जानते हुए जागें कि आप न केवल एक अंतर ला सकते हैं, पर यह भी कि आप पर अंतर लाने का उत्तरदायित्व है।
श्रोताओं को कई प्रश्न पूछने का अवसर मिला। एक का संबंध राजनीतिक विश्व में जो क्रोध और ध्रुवीकरण दिखाई दे रहा है और उस खाई को पाटने से था। परम पावन ने उत्तर दिया कि एक मात्र आगंतुक के रूप में वे अनुभूत करते थे कि उन्हें लंबे समय तक रहना होगा और वास्तव में जांच करनी होगी कि क्या हो रहा है, ताकि वे उत्तर देने में सक्षम हो सकें। परन्तु उन्होंने बल देते हुए कहा कि कई वर्षों से उन्होंने अपने अमेरिकी मित्रों से कहा है कि यह अमेरिका के परमाणु शस्त्रों की शक्ति नहीं है जो उन्हें प्रभावित करती है, अपितु इसके लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता के आधारभूत सिद्धांत से वे प्रभावित हैं। यही महत्वपूर्ण बने रहते हैं और जिनका हमें सम्मान करना है।
पूछे जाने पर कि किस तरह चीजों को बेहतर बनाया जाए उन्होंने दोहराया कि हमें आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करने की विधि को सुधारना होगा।
ब्रैंडन सावलिच ने उनके विचारों के लिए पैनल के सदस्यों - विशेषकर परम पावन का का धन्यवाद कर प्रातःकाल की कार्यवाही का समापन किया।
ब्रायंट झील के किनारे ऑस्टिन निवास में परम पावन को स्टार्की हियरिंग टेक्नोलॉजीस के अन्य अतिथियों के साथ मध्याह्न भोज के लिए आमंत्रित किया गया। बाद में वे अपने होटल में लौट गए।
कल प्रातः मध्याह्न में बोस्टन रवाना होने से पहले वे मिनेसोटा के तिब्बती समुदाय के सदस्यों से मिलेंगे।