लॉस एंजिल्स, सीए, संयुक्त राज्य अमेरिका, १८ जून २०१६ - कल परम पावन दलाई लामा ने वाशिंगटन डीसी से देश के दूसरे भाग लॉस एंजिल्स के लिए उड़ान भरी। आज प्रातः 'वुमन इन कम्पेशनेट लीड़रशिप' ब्रेकफॉस्ट की बैठक से पहले उन्होंने एक समूह को बताया कि जहाँ वे नाम भूल जाते हैं पर दशकों तक उन्हें उनके चेहरे याद रहते हैं । इस प्रश्न के उत्तर में कि राजनेता किस तरह अधिक करुणाशील हो सकते हैं, उन्होंने उप-राष्ट्रपति अल गोर से कहे गए कथन का स्मरण किया कि मनुष्यों में बहुत अधिक निराश हुए बिना कठिनाइयों से निपटने की क्षमता है। उन्होंने इसे उस सागर के समान बताया कि सतह पर वह अशांत प्रतीत हो सकता है जबकि गहराई में शांत और अबाधित होता है। इसकी मूल बात वस्तुओं को परिप्रेक्ष्य में रखना है।
जब परम पावन ने उस कमरे में प्रवेश किया जहाँ नाश्ते की व्यवस्था थी लगभग २७५ लोग, जिनमें जानी मानी महिलाएँ, सीईओ, मनोरंजन और मीडिया के प्रतिनिधि पहले से ही टेबल पर बैठे थे। परिचय के रूप में परम पावन के जीवन और गतिविधियों का चित्रण करता एक वीडियो का प्रदर्शन किया जा रहा था। मिमी और मेरिबेल उनान्यु ने बताया कि धर्मशाला में परम पावन से भेंट कर वे कितना अभिभूत हुए थे। उन्होंने उन्हें महिलाओं को करुणाशील नेतृत्व की भूमिका लेने के प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद दिया। एनाहेम की प्रथम महिला, महापौर की पत्नी जूली टैट ने सभा से परम पावन का स्वागत करने के लिए कहा और परम पावन ने मंच पर अपना आसन ग्रहण किया।
कोरियंका किलचर ने एक गीत प्रस्तुत किया, जो एक मार्मिक बांसुरी की धुन के साथ प्रारंभ हुआ। तत्पश्चात उन्होंने पियानो पर पृथ्वी, आकाश, महासागर, जानवरों, और वनों के बीच की अन्योन्याश्रियता और साथ ही नई पीढी के लिए हमें जो उपहार तैयार करना है, उस पर एक गीत गाया। यह टिप्पणी करते हुए कि बांसुरी उनके लिए तिब्बत के विशाल घास के मैदानों का स्मरण कराती है, परम पावन ने कहा:
"जो मैं कहने जा रहा था, वे पहले ही कह चुकी हैं।" वे हँसे और जारी रखा, "प्रिय बहनों और भाइयों, हम मनुष्य रूप में सब एक समान हैं। अन्य प्राणियों की तरह हमें जीवित करने का अधिकार है। हम प्रकृति का एक अंग हैं और हमारा जीवन उस पर निर्भर करता है। हम सभी शांति से रहना चाहते हैं, परन्तु शांति हमारे लिए कुछ बाहरी नहीं है, अपितु यह यहाँ हृदय में है। क्रोध और ईर्ष्या इसे नष्ट करते हैं। चित्त की शांति आंतरिक मूल्यों के विकास से जुड़ी है, जो शिक्षा का अंग होना चाहिए। अतीत में हम मार्गदर्शन हेतु धर्म पर निर्भर रहे हैं, पर आज १ अरब लोगों का कहना है कि उन्हें धर्म में कोई रुचि नहीं है। इस बीच जो धार्मिक होने का दावा करते हैं, उनमें से कई 'मेरे धर्म', के विषय बात करते हैं मानों उनका अपना हित अधिक महत्वपूर्ण हो।
"शिक्षा एक स्वस्थ और सुखी मानवता की कुंजी है। एक स्वस्थ चित्त का होना हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। क्रोध जैसी विनाशकारी भावनाएँ हमारे चित्त की शांति को नष्ट करती हैं तथा हमारे गलत सही न्याय करने की क्षमता को विचलित करती हैं। प्रेम और करुणा-सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का सार - मानव सुख के लिए आधारभूत है। हमें जिसकी आवश्यकता है वह है सौहार्दता में शिक्षा। और चूँकि महिलाएँ अन्य की आवश्यकताओँ के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, यह संभव है कि अगर दुनिया के २०० विश्व के देशों की महिलाओं का बहुमत हो तो विश्व एक और अधिक शांतिपूर्ण स्थान हो सकता है।
"मेरा मानना है कि ऐसे समय जब हमें प्रेम और करुणा पर अधिक बल देने की आवश्यकता है तो महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। महिलाओं को किसी रूप में निम्न मानना पिछड़ेपन की निशानी है। जब, कुछ वर्ष पूर्व फ्रांस की एक पत्रिका के संपादक ने मुझसे पूछा कि क्या एक महिला दलाई लामा हो सकती हैं, मैंने कहा, 'क्यों नहीं?'
परम पावन ने प्रश्न, टिप्पणियाँ और आलोचनाएँ आमंत्रित कीं और उनसे पूछा गया कि वह उनके लिए किस तरह का आध्यात्मिक अभ्यास सुझाएँगे जिनका धर्म में कोई विश्वास नहीं है। उन्होंने अमेरिकी मनोचिकित्सक हारून बेक की सलाह के पालन करने का सुझाव दिया, जिन्होंने उन्हें बताया कि जब हम क्रोध में होते हैं और हमारे क्रोध की वस्तु पूरी तरह से नकारात्मक और बिना किसी सकारात्मक गुणों के प्रतीत होती है, यह स्मरण करने योग्य है कि उस धारणा का ९०% अतिशयोक्ति और मानसिक प्रक्षेपण है।
उन्होंने कहा कि यह पहचानना लाभकर हो सकता है कि क्रोध और राग आत्म के बढे चढ़े रूप से उत्पन्न होता है जो हमें इस बात की पहचान से विचलित करता है कि कौन सी भावनाएँ लाभकारी हैं और कौन सी हानिकारक। उन्होंने आगे कहा कि हम उसकी कमियों को पहचाने बिना क्रोध को चित्त के एक स्वाभाविक अंग के रूप में मानते हैं। हम ऐसा भी सोचते हैं कि क्रोध ऊर्जा का एक स्रोत है, यह सोचे बिना कि यह अंधा होता है।
परम पावन ने किसी से कहा जो हिंसा के शिकार अन्य महिलाओं की सहायता करती है कि थकावट की भावनाओं से निपटने के लिए चित्त में लक्ष्य को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
अपनी माँ के विषय में बोलने के लिए आमंत्रित किए जाने पर, परम पावन ने कहा कि जब वह छोटे थे तो उनके पास खेलने के लिए कोई खिलौने न थे। इसके स्थान पर उसकी माँ जब वे अपना काम कर रही होती तो उन्हें अपने साथ ले जाती थीं। वे और उनके भाई-बहनों ने अपनी माँ को कभी क्रोधित होते हुए नहीं देखा था। वास्तव में उन्होंने कहा कि करुणा का प्रथम पाठ उन्होंने उन्हीं से प्राप्त किया था।
जलवायु परिवर्तन के संबंध में उन्होंने तिब्बत को लोगों द्वारा उन्हें बताए जाने का स्मरण किया कि ल्हासा के चारों ओर के पहाड़ों पर अधिक बर्फ होती थी। यह धर्मशाला के विषय में भी सच हैं जहाँ वे अब रहते हैं।
"चूँकि हम अपने घरों को साफ रखने का प्रयास करते हैं, हमें इस ग्रह का भी अधिक ध्यान रखना चाहिए जो कि हमारा एकमात्र घर है।"
एक अन्य प्रश्न ने परम पावन को उन लोगों के साथ अपनी असहमति जताने के लिए प्रेरित किया जो 'मुस्लिम आतंकवादियों' की चर्चा करते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादी, आतंकवादी होते हैं जिनके भयावह कारनामे सभी धार्मिक शिक्षाओं के विपरीत होते हैं। अतः हमें उन्हें इस अथवा उस मार्ग के साथ जोड़ने का प्रयास नहीं करना चाहिए। उन्होंने ९/११ की त्रासदी के बाद अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए राष्ट्रपति बुश को पत्र लिखने का उल्लेख किया, पर साथ ही यह भी सुझाया था कि एक अहिंसक प्रतिक्रिया देना बेहतर होगा। उस समय से, यद्यपि वह एक बौद्ध भिक्षु हैं, उन्होंने इस्लाम का पक्ष लिया है क्योंकि एक सच्चा मुसलमान रक्तपात नहीं करता।
उन्होंने उल्लेख किया कि हम धर्म को प्रेम व करुणा के विकास, जिसकी शिक्षा सभी धर्म देते हैं, के धार्मिक अभ्यास के संदर्भ में समझ सकते हैं। यद्यपि वे विभिन्न दार्शनिक विचारों की वकालत करते हैं पर अंततः उनका उद्देश्य प्रेम और करुणा के अभ्यास का समर्थन है। एक तीसरा पहलू सांस्कृतिक है जो प्रायः सामाजिक प्रथाओं से प्रभावित होता है। जहाँ ये तारीख से बाहर हैं, जैसे कि लिंग भेद और जातिगत भेदभाव आज हैं, जब हर कोई समान माना जाता है, उन्हें परिवर्तित करना चाहिए।
"हमें यह पहचानते हुए कि 'हम' और 'उन' के संदर्भ में सोचना संघर्ष की ओर ले जाता है सभी मनुष्यों की एकता व समानता पर केंद्रित होना चाहिए।"
दलाई लामा के मित्रों के एक प्रतिनिधि ने परम पावन को उनके प्रोत्साहजनक शब्दों के लिए धन्यवाद दिया जिससे प्रेरित होकर उन्होंने कहा:
"१६ वर्ष की आयु में मैंने अपनी स्वतंत्रता खो दी, २४ वर्ष में अपना देश खो दिया और तब से ५० वर्षों से भी अधिक समय से मुझे तिब्बत से हृदय विदारक समाचारों का साथ सामना करना पड़ा है, पर मैंने कभी आशा नहीं खोई। मैं सत्य तथा ईमानदारी की शक्ति को लेकर आश्वस्त हूँ। आपको चाहे किसी भी प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़े सकते हैं, अपने दृढ़ संकल्प को शिथिल न करने दें।"
परम पावन को जोनाथन मार्रो का एक चित्र भेंट किया गया जिसमें न केवल उनके स्वरूप की समानता चित्रित की गई है, पर उनके गुणों और उनके जीवन को को भी चित्रित करने का प्रयास हुआ है।
मध्याह्न के भोजन के पश्चात एनाहेम के महापौर टॉम टेट के मित्र तथा परिवार से भेंट करते हुए, परम पावन ने उन्हें बताया कि जिस तरह वे अमेरिका को उन्मुक्त विश्व का नेता मानते हैं, वे आशा करते हैं कि वे शांति और करुणा के आंदोलन की नेता बनेंगी। उन्होंने कहा कि वे बहुत प्रभावित हैं कि ऐनाहेम ने अपने को दयालुता का नगर घोषित किया गया है, क्योंकि विश्व में शांति केवल चित्त की शांति से आएगी जिस प्रकार वैश्विक निरस्त्रीकरण केवल आंतरिक निरस्त्रीकरण से प्राप्त हो सकेगा।
मित्रों और कैलिफोर्निया सीनेटर जेनेट गुयेन के परिवार से उन्होंने सुना संयुक्त राज्य अमेरिका में २ लाख वियतनामी हैं और ऑरेंज काउंटी, जहाँ वे इस समय हैं, का वियतनामी समुदाय वियतनाम के बाहर का सबसे बड़ा है।
फेसबुक पर मारिया श्राइवर के साथ एक सीधे साक्षात्कार में परम पावन ने दोहराया कि चूँकि आधारभूत मानव स्वभाव करुणाशील है, आशा बची हुई है। और चूँकि हम सभी अन्योन्याश्रित हैं, यह सोचना महत्वपूर्ण है कि हम एक मानव परिवार का अंग हैं। उन्होंने उन्हें बताया कि एक दुखद स्थिति से निपटने के लिए जैसे कि अपनी माँ को खोना, वे देखते हैं कि यह स्मरण रखना कि ऐसे अनुभवों से गुज़रते हुए वे अकेले नहीं हैं, सहायक है। इसी तरह निकट से देखने पर कोई समस्या असहनीय लग सकती है, पर एक व्यापक दृष्टिकोण से वह इतनी बुरी नहीं लगती। उन्होंने आगे कहा कि दूसरों की सहायता करने में सक्षमता अपार संतुष्टि लाता है।
जब उन्होंने परम पावन से पूछा कि ऐसी कोन सी एक बात है जो हम मानवता की सहायता के लिए कर सकते थे, उन्होंने कहा:
"हमारे पास अधिक करुणाशील होने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं है।"