लेह, लद्दाख, जम्मू और कश्मीर - मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने मेरे ८२वें जन्मदिवस के अवसर पर मुझे शुभकामनाएँ भेजी और विश्व के कई भागों में समारोहों में भाग लिया। जैसा कि आप जानते हैं मेरा जीवन तीन प्रमुख प्रतिबद्धताओं द्वारा निर्देशित है - एक अधिक करुणाशील विश्व लाने के लिए योगदान; अंतर्धार्मिक सद्भाव को प्रोत्साहित करना और तिब्बती बौद्ध संस्कृति, जो शांति और अहिंसा की संस्कृति है, के संरक्षण हेतु कार्य करना, और साथ ही तिब्बत के प्राकृतिक वातावरण की रक्षा की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित करना। चूंकि तिब्बती पठार एशिया की प्रमुख नदियों का स्रोत है, एक अरब से अधिक लोग उन के जल पर निर्भर हैं।
तिब्बत की बौद्ध संस्कृति भारत की ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय की परम्पराओं से ली गई है, जिसने केवल शास्त्र के अधिकार पर निर्भर होने से अधिक कारण व तर्क पर निर्भरता को प्रोत्साहित किया। इसने विज्ञान की तरह एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें चित्त और भावनाओं के प्रकार्य का संपूर्ण ज्ञान सम्मिलित है, जो आज अत्यधिक प्रासंगिक बने हुए हैं।
ये वे प्रतिबद्धताएँ हैं जिन पर मैं दृढ़ हूँ, पर मैं प्रायः उन भाइयों और बहनों से जो मेरे प्रति नेह और सम्मान दिखाते हैं, उन प्रतिबद्धताओं पर कायम रहने में मेरे साथ जुड़ने के लिए कहता हूँ।
संक्षेप में, मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि जब भी आप ऐसा कर सकें तो दूसरों की सहायता करें और यदि किसी कारणवश आप ऐसा न कर सकें तो कम से कम किसी का अहित करने से बचें।
मेरी प्रार्थना और शुभकामनाओं सहित।
दलाई लामा
लेह, लद्दाख, ९ जुलाई २०१७