धर्मशाला, हि. प्र., भारत - २० अप्रैल २०१५ - शनिवार की संध्या को परम पावन दलाई लामा अपने पुराने मित्र आर्चबिशप डेसमंड टूटू और उनकी बेटी म्फो की अगवानी करने और धर्मशाला में उनका स्वागत करने कांगड़ा हवाई अड्डे गए। टूटू परिवार के साथ डौ अब्राम्स तथा मानवीय यात्रा, आर्चबिशप टूटू और अब्राम्स द्वारा सह - स्थापित एक नई पहल, जो अफ्रीकी समझ उबुंटु - यह अनुभूति कि हममें से प्रत्येक उसी समय पनपता है जब हम सब पनपते हैं, के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है, के सदस्य थे।
आज प्रातः परम पावन ने अपने निवास स्थल पर कई आयोजित किए जा रहे संवादों के प्रथम संवाद, जिसको अब्राम्स 'आनन्द की पुस्तक' का रूप देने की योजना बना रहे हैं, के लिए आर्चबिशप टूटू के साथ भेंट की। इसका प्रारूप 'क्षमा की पुस्तक' पर आधारित किया जाएगा जो आर्चबिशप ने अपनी बेटी म्फो के साथ लिखा है। दोनों आध्यात्मिक नेताओं के बीच हँसी के कई क्षण आए जब उन्होंने सुख, प्रेम और करुणा के संदर्भ में सुख की खोज का प्रयास किया। आर्चबिश टूटू ने इंगित किया कि प्रसव वेदना के बावजूद, माएँ आनन्द के साथ नवजात शिशु को पालती हैं। उन्होंने परम पावन को यह समझाने के लिए चुनौती दी कि संकटों के क्षणों में भी वे किस तरह इस प्रकार आनन्द पूर्वक रहते हैं और परम पावन ने एक भारतीय दार्शनिक को उद्धृत करते हुए उत्तर दिया कि आपको परिस्थिति का आकलन करने की आवश्यकता है और यदि कुछ किया जा सकता है तो फिर चिंता की कोई बात नहीं। आपको जो करने की आवश्यकता है, वह है कर्म। और यदि कुछ नहीं किया जा सकता तो चिंता से कोई लाभ न होगा।
मानवीय मार्ग की टीम बच्चों के साथ बातचीत करने के लिए परम पावन के साथ गुरुवार २३ अप्रैल को टी सी वी विद्यालय जाएगी।