रोम, इटली - १४ दिसंबर २०१४ - आज नोबेल शांति पुरस्कार विजेता रोम के कैपिटल हिल पर गिउलिओ सभागार में अपने १४वें विश्व शिखर सम्मेलन के अंतिम सत्र के लिए एकत्रित हुए थे। कार्यवाही का प्रारंभ नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं के विश्व शिखर सम्मेलन के स्थायी सचिवालय की अध्यक्षा एकातेरिना ज़गलादिना द्वारा राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव की ओर से प्रेषित संदेश पाठ से हुआ। वे पहले सम्मेलनों के प्रेरक थे। उन्होंने विश्व में हो रहे संघर्ष और जलवायु परिवर्तन की उपेक्षा के विषय पर चिंता व्यक्त की थी। उनकी आशाओं में यूक्रेन संकट के निपटाने को लेकर एक अपील थी। उन्होंने कहाः
"हर नोबेल पुरस्कार विजेता शांति के मार्ग पर हमें लौटाने में योगदान दे सकता है।"
संयुक्त राष्ट्र की ओर से माइकल मोलर ने महासचिव बान की मून का एक संदेश पढ़ा। उन्होंने एकत्रित शांति पुरस्कार विजेताओं का अभिनन्दन किया और उनमें से नवीनतम, मलाला युसुफ़ज़ई और कैलाश सत्यार्थी को बधाई दी और विश्व में शांति के िलए उनके आह्वान का समर्थन िकया। २०१५ की ओर आगे देखते हुए उन्होंने कहा कि सहस्राब्दी के मूल लक्ष्यों को पूरा किया जाना चाहिए और नए लक्ष्य निर्धारित किए जाने चािहए। २०१५ संयुक्त राष्ट्र की संस्थापना की ७५वीं वर्षगांठ होगी और चिंतन के लिए एक अवसर होगा। उन्होंने समाप्त करते हुए कहा ः
"अपने साझे उद्देश्य के समर्थन के लिए मैं आपके सामूहिक विवेक का आह्वान करता हूँ।"
सभा से लाइबेरिया और सिएरा लियोन में एबोला के पीड़ितों की स्मृति में एक मिनट का मौन रखने के लिए कहा गया। फिर संचालक शांति संकट, विशेष रूप से अफ्रीका में युद्ध के सिलसिले में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के स्थायी संघर्ष को संम्बोधित करने हेतु पैनल की ओर मुड़े जिसमें परम पावन दलाई लामा, शिरीन इबादी, लेमाह बोवी, बेट्टी विलियम्स, मैरेड मेग्युर और राजेंद्र पचौरी शामिल थे। परम पावन ने प्रारंभ कियाः
"जहाँ तक अफ्रीका का संबंध है, मुझे लगता है कि आप श्रीमती बोवी इसके िवषय मुझसे अधिक जानती हैं। मैं दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया और गैबॉन गया हूँ और मेरे मन जो प्रमुख छाप है, वह धनवानों और निर्धनों के बीच की खाई की है। मैंने लगभग नग्न लोगों को उन पक्षियों को ले जाते देखा है जिन्हें उन्होंने भोजन के लिए मार दिया था और मैं उनके तथा उनके निकट के शहर के आकर्षक लोगों के बीच के अंतर को देख स्तब्ध रह गया। धनवानों और निर्धनों के बीच की यह खाई न केवल नैतिक रूप से गलत है पर एक व्यावहारिक बिंदु से भी यह समस्याओं का एक स्रोत है। हम यह भारत में देखते हैं, पर हम इसे दुनिया में सबसे विकसित देश, संयुक्त राज्य अमेरिका में भी पाते हैं। निर्धनों को अपनी हालत में सुधार के लिए आत्म विश्वास के साथ कठोर परिश्रम की आवश्यकता है, जबकि जो अधिक सामर्थ्यवान हैं, उन्हें सहायता और अवसर प्रदान करने चािहए।"
"विश्व की समस्याएँ कुछ व्यक्तियों की कार्रवाई से हल नहीं की जा सकती, फिर चाहे वे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ही क्यों न हो। विश्व के सभी ७ अरब लोगों को एक अधिक सुखी और एक अधिक समान विश्व के िलए काम करना होगा। हममें से प्रत्येक की एक बेहतर विश्व बनाने की ज़िम्मेदारी है फिर हम कहीं भी हों।"
बेट्टी विलियम्स ने ध्यानाकर्षित िकया कि ९/११ को जब ट्विन टावर्स ध्वस्त हुआ तो ३००० लोगों की मृत्यु हुई, उनकी मृत्यु पर शोक जताया गया और उनका स्मरण किया गया, पर उसी दौरान विश्व भर में ३६,००० से भी अधिक बच्चों की कुपोषण से मृत्यु हो गई और किसी ने भी इस िवषय पर कुछ न कहा। लेमाह बोवी ने लोगों को यह स्मरण कराते हुए प्रारंभ किया कि अफ्रीका एक ऐसा महाद्वीप है जिसमें मात्र एक नहीं, अपितु ५४ देश हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा सोचने में बहुत अटपटा लगता है कि अफ्रीका के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है मानों वह कोई रोग है। उन्होंने आगे सुझाया कि निर्धनता व अज्ञानता की समस्याओं से निपटने के लिए वे अफ्रीकी शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से बदलने की सलाह देती हैं। उन्होंने प्रश्न िकया कि अफ्रीकी अब भी इटली या संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास के बारे में क्यों सीखें जबकि वे अपने स्वयं के इतिहास के बारे में नहीं सीखते। उन्होंने कहा कि यदि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश किया गया होता तो विश्व को एबोला संकट का सामना नहीं करना पड़ता।
अपनी मातृभाषा फारसी में बोलते हुए, शिरीन इबादी ने आज इस्लामी विश्व की समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया। सीरिया में आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया गया है जो लोगों की हत्या कर देंगे। आई एस आई एस सिर्फ एक आतंकवादी दल नहीं है, पर एक गलत विचारधारा है। उन्होंने कहा कि हमें कट्टरपंथ के मूल को संबोधित करना है, जो अज्ञान है। आई एस आई एस का व्यवहार इस्लाम को स्वीकार्य नहीं है। परन्तु समस्या यह है मध्य पूर्व की सरकारों में से कोई भी लोकतांत्रिक नहीं है। जब लोग वर्षों तक ऐसी परिस्थितियों में रहते हैं तो वे तानाशाही के थक जाते हैं। वे सर उठाते हैं और कुचल दिए जाते हैं। उन्होंने यूरोपीय देशों की सरकारों से आग्रह किया कि वे अब और तानाशाहों की सहायता न करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे यूरोपीय बैंकों में अपने गलत ढंग से कमाए धन को जमा कर रहे हैं। प्रायः जब इसे निकाला जाता है तो यह धन, पुनः जिस देश का है उसमें वापस नहीं आता। उन्होंने अपनी अपील को दोहराते हुए समाप्त किया ः
"कृपया तानाशाहों का समर्थन न करें।"
मैरेड मेग्युर ने पूछा कि हम अफ्रीका की सहायता किस प्रकार कर सकते हैं। उन्होंने कहाः
"हम मनुष्यों को एक दूसरे के साथ मनुष्य के रूप व्यवहार करना चाहिए। हम एक दूसरे से प्रेम कर सकते हैं, पर हम गलतियाँ करते हैं। हमें अपनी गलतियों की ओर ध्यान देना होगा। हमें एक दूसरे के साथ संप्रेषण करने के लिए नए उपायों की आवश्यकता है। मेरा अफ्रीका के लोगों के लिए परामर्श है कि आप अपनी समस्याओं का समाधान अपने ढंग से करें।"
कल जलवायु परिवर्तन के खतरों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करने के पश्चात, राजेंद्र पचौरी ने नवीकरण ऊर्जा के लिए क्षमता की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने सौर पैनलों द्वारा एक लाख जीवनों में प्रकाश लाने के अभियान की बात की, जो कि महिलाओं द्वारा प्रबन्धित है। उन्होंने कहाः
"अब जब हम संकटों के विषय में जानते हैं, चलिए हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों की बहुलता को संबोधित करने के लिए एक साथ कार्य करें।"
एक बार चर्चाएँ समाप्त हो चुकीं तो तवाकुल करमान ने २०१४ के विश्व शिखर सम्मेलन का शांति पुरस्कार प्रस्तुत करने के लिए आगे कदम रखा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष यह पुरस्कार अनुभवी इतालवी फिल्म निर्देशक बर्नार्डो बर्टोलुची को दिया जा रहा था और उनके फिल्म निर्माण के एक दीर्घ काल का स्मरण किया, जिसका मुख्य आकर्षण था 'द लास्ट एंपरर' जिसने सभी नौ ऑस्कर जीते, जिनके लिए उसे नामित किया गया था। बर्टोलुची ने एक व्हीलचेयर में सभागार में प्रवेश किया और परम पावन दलाई लामा उनका अभिनन्दन करने नीचे उतर कर आए और उन्हें एक सफेद दुपट्टा पेश किया। जब वे अपना स्वीकृति व्याख्यान पढ़ रहे थे, तो परम पावन माइक्रोफोन पकड़े हुए थे। अपने भाषण में उन्होंने ऐसे लोगों की आवश्यकता के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्य़कता की बात की, जो उनके समान व्हीलचेयर से बाध्य थे।
समापन समारोह के एक अंग के रूप में, शिखर सम्मेलन की मेजबान रोम के महापौर इग्नेसियो मैरिनो ने कहा, कि रोम को बैठक की मेज़बानी करते हुए गर्व था जिसने अभी भी युद्ध से भरे स्थानों में आशा का संदेश भेजा है। उन्होंने शांति पुरस्कार विजेताओं को वहाँ आने के िलए धन्यवाद दिया और शिखर वार्ता की, शिक्षा के प्रति जो विश्व को बदलने का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है, अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में, युवाओं को कार्यवाही में शामिल करने के विशेष प्रयास किए गए थे।
स्थायी सचिवालय की अध्यक्षा एकातेरिना ज़गलादिना ने प्रत्येक के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया, जिन्होंने इसे एक सफल शिखर सम्मेलन बनाने में योगदान किया था। माज़दा के सीईओ, जो कि प्रमुख प्रायोजकों में से एक थे, ने उन सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया जिन्होंने इसे संभव बनाया था और दोहराया कि उद्देश्य विश्व को एक बेहतर स्थान बनाने का है।
लेमाह बोवी ने शिखर सम्मेलन का घोषणा पत्र पढ़ा। इसने सभी को स्मरण कराया कि उद्देश्य नेल्सन मंडेला की विरासत को सम्मानित करना था और एक सामान्य उदासी थी कि यह दक्षिण अफ्रीका में संभव नहीं हो सका क्योंकि उस देश की सरकार ने परम पावन दलाई लामा के सम्मिलित होने के िलए वीजा देना अस्वीकृत कर दिया था। इसने यूक्रेन में संघर्ष से उत्पन्न निरंतर संकट का उल्लेख किया। इसने मानव अधिकारों के उल्लंघन को समाप्त करने और महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए काम करने का प्रण लिया। इसने हत्यारे रोबोट और युद्ध के अन्य अंधाधुंध हथियारों के प्रसार के विरोध में एक स्थिति चुनी।
इस समूचे शिखर सम्मेलन के दौरान एक अतिथि मेहमान, अटलांटा के महापौर, ने आगामी वर्ष उनके शहर में आयोजित होने वाले अगले शिखर सम्मेलन के लिए प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया। उन्होंने उल्लेख िकया कि जॉर्जिया का राज्य दो नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं के होने का दावा कर सकता है, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और जिमी कार्टर। उन्होंने कहाः
"मैं २०१५ में एक और उपयोगी बातचीत को लेकर आशावान हूँ। मैं रोम का यह समय नहीं भूल पाऊँगा। मैं आप सभी का आभारी हूँ।"
अंतिम कार्यक्रम पत्रकार सम्मेलन का आयोजन था, जिसका प्रारंभ महापौर ने किया। उन्होंने दोहराया कि शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रोम तथा वे कितने गौरवान्वित है। उन्होंने उल्लेख किया कि जब उन्होंने परम पावन की दक्षिण अफ्रीका की वीज़ा संबंधी कठिनाइयों के िवषय में सुना तो एक वैकल्पिक स्थल के रूप उन्होंने रोम की प्रस्तुति की थी। अब जब यह समाप्त हो गया है और वह सबको अपने घर लौटने के िलए एक सुरक्षित यात्रा की कामना करते हैं।
साउथ आफ्रीकन न्यूज़ का पहला प्रश्न परम पावन को संबोधित किया गया। यह देखते हुए कि केप टाउन के महापौर ने उन्हें एक और निमंत्रण दिया था, उनसे पूछा गया ः "क्या आप आएँगे?" उन्होंने कहाः
"मेरी ओर से कोई समस्या नहीं है, पर आपकी सरकार की ओर से संभव है, तो मैं कह नहीं सकता।"
एक दूसरा प्रश्न भी हांगकांग में छात्र लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के समर्थन को लेकर परम पावन की ओर निर्देशित था। उन्होंने उत्तर दियाः
"वास्तव में ये युवा छात्र एक पूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था चाहते हैं। प्रत्येक जिनमें मुख्य भूमि चीन के बुद्धिजीवी सम्मिलित हैं, इस का समर्थन करता है। पर आपकी प्रेरणा कितनी ही अच्छी क्यों न हो अथवा आपकी आशाएँ कितनी ही उच्च क्यों न हों, पर यदि आप सफल होना चाहते हैं तो आपको एक यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाना होगा। चीन की पीपुल्स गणराज्य की सरकार शक्तिशाली है और परिवर्तन आसानी से नहीं आता।"
एक तीसरा प्रश्न, नेतृत्व में महिलाओं की भूमिका के बारे में पूछते हुए, शिखर सम्मेलन की महिलाओं को संबोधित करते हुए था। परम पावन ने यह कहते हुए कि उन्हें अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, तुरंत महिलाओं के नेतृत्व के लिए उनके समर्थन में आवाज उठाई। जोडी विलियम्स ने भी यह कहते हुए अपनी आवाज़ मिलाई कि पुरुषों ने लंबे समय से विशेषाधिकार का आनंद उठाया है, जिसके लिए आवश्यक नहीं कि वे योग्यता रखते हों। उन्होंने सिफािरश की कि महिलाओं को बोलने तथा कानून लागू करने देना चाहिए। यह एक कठिन लड़ाई है। उन्होंने हाल ही का एक उदाहरण दिया जब बान की मून ने सार्वजनिक रूप से महिलाओं के अधिकारों के लिए समर्थन व्यक्त किया, पर एक सप्ताह के बाद एक शांति पैनल बनाने में केवल १५ पुरुषों के बीच तीन महिलाओं को नियुक्त किया। उन्होंने कहा कि हमें कार्य को साकार करने में पुरुषों और महिलाओं की आवश्यकता है। बेट्टी विलियम्स ने एक माँ के रूप में बात की और युद्ध के संदर्भ में घोषणा कीः
"आप मेरे गर्भ के फल को नष्ट नहीं कर रहे।"
शिरीन इबादी ने स्पष्ट किया कि हम महिलाओं के खिलाफ गहन रूप से प्रतिस्थापित भेदभाव की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पितृसत्ता महिलाओं को एक ओर कर देता है। और यद्यपि महिलाएँ इस की शिकार हैं, पर वे इसमें भाग भी लेती हैं। उन्होंने कहा कि वह पितृसत्ता की तुलना हीमोफीलिया से करती हैं, जिसमें एक छोटे भाग के कट जाने से बहुत अधिक खून बहता है। इसका संबंध एक जीन से है, जो केवल एक पुरुष बच्चे को पारित की जाती है, पितृसत्ता भी ऐसी ही है। उन्होंने इस पर काबू पाने के िलए महिलाओं की शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने टिप्पणी की, कि समय आ गया है महिलाएँ धर्म को लेकर अपनी भूमिका की पुनर्व्याख्या करें।
तवाकुल करमान ने जोड़ा कि विश्व भर में हर महिला को परिवर्तन का नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने घोषणा की कि हमें संयुक्त राज्य अमरीका, रूस, इरान, चीन, सऊदी अरब तथा और संयुक्त राष्ट्र में एक महिला राष्ट्रपति की आवश्यकता है।
"यदि महिलाएँ सत्ता में हों तो युद्ध नहीं होंगे।"
लेमाह बोवी ने कहा कि पूरी तस्वीर देखने के लिए दोनों आँखों की ज़रूरत होती है। यदि एक आँख को बन्द कर दिया जाए, तो आप स्पष्ट रूप से नहीं देख सकते। इस प्रकार महिलाओं को अलग रखने के कारण ही विश्व उल्टा है।
अफगानिस्तान के विषय पर एक प्रश्न उठाया गया और शिरीन इबादी ने सबको स्मरण कराया कि ३८ वर्ष पूर्व सोवियत संघ ने देश पर आक्रमण किया था। उन्हें लड़ने की सहायता के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने तालिबान बनाया और उन्हें सशस्त्र किया। जिन्न को बोतल से बाहर किए जाने के बाद, तालिबान अब अमेरिका से भी युद्ध कर रहा है।
परम पावन से पुनः पूछा गया कि अपेक्षा के अनुसार यदि वे पोप से भेंट कर पाते तो वे पोप से क्या कहते। उन्होंने उत्तर दिया ः
"मैंने इस प्रकार के अनुभवों का कई बार सामना िकया है। यह सामान्य है। यह समस्या नहीं है। कुछ लोगों को मैं एक मुसीबत खड़ा करने वाला प्रतीत होता हूँ, तो यह समझ में आता है कि वे मुझे बाधित करेंगे। कोई बात नहीं।"
जोडी विलियम्स ने लियू ज़ियाओबो के लिए एक वैकल्पिक शिखर सम्मेलन प्रस्तुत करने पर बात की। उन्होंने कहा ः
"यह एक त्रासदी है कि हमारे साथी शांति पुरस्कार विजेता, लियू ज़ियाओबो यहाँ हमारे साथ सम्मिलित होने का निर्णय नहीं ले सकते। चीनी अधिकारियों ने न केवल उन्हें बंदी बनाया है पर हमारे एक अन्य साथी पुरस्कार विजेता की राह में रोड़े अटकाए हैं। उन्होंने आध्यात्मिक नेताओं की एक दूसरे से िमलने की क्षमता में भी हस्तक्षेप किया है। एक दिन आएगा जब लियू ज़ियाओबो हमारे साथ होंगे, ठीक उसी प्रकार जब एक दिन आएगा जब विश्व परमाणु हथियारों से मुक्त होगा।"
लेमाह बोवी ने अफ्रीका की समस्याओं का समाधान करने के विषय में बोलते हुए कहा कि अधिक आवश्यकता "के साथ बात करनी की है, बजाय "उस पर बात करने की।"
नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं का १४वें विश्व शिखर सम्मेलन की समाप्ति की घोषिणा की गई। परम पावन दलाई लामा कल भारत वापसी की यात्रा पर रवाना होंगे।