बर्मिंघम, अलबामा - २६ अक्टूबर २०१४ - आज प्रातः अपने अन्य कार्यक्रमों में जाने से पूर्व परम पावन दलाई लामा ने ३५० तिब्बतियों के साथ भेंट की, जो उनके साथ एकजुटता दिखाने के लिए अटलांटा, न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी और मिनेसोटा से बर्मिंघम आए थे। चीन में संभावित परिवर्तन के बारे में बोलते हुए उन्होंने तर्क दिया कि जबकि वर्तमान नेतृत्व उन लोगों का है, जो सांस्कृतिक क्रांति की कठिनाइयों का स्मरण करते हैं, एक नई पीढ़ी ऐसी है जिन्होंने विदेशों में अध्ययन करते हुए स्वतंत्रता और लोकतंत्र का अनुभव किया है। उन्हें लगता है कि जब ये लोग सत्ता में आएँगे तो परिवर्तन होगा। यद्यपि कुछ लोकतंत्र कार्यकर्ता यह आशा करते हैं कि ऐसा शीघ्र होगा पर परम पावन का मानना है कि वह एक इच्छाधारी सोच हो सकती है। उन्हें लगता है कि इसमें और १०-१५ वर्ष लग सकते हैं। इस बीच, तिब्बत और अन्य स्थानों पर युवा तिब्बतियों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता है ताकि अवसर आने पर तिब्बती अपने पैरों पर खड़ा होने में सक्षम हो सकें।
उन्होंने कहा कि कई तिब्बती धन कमाने के िलए संयुक्त राज्य अमेरिका आए हैं। उन्होंने उन्हें उस लक्ष्य के प्रयास के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन उनसे यह भी आग्रह किया कि वे सबके कल्याण के िलए धन का उपयोग करें। संस्कृति के प्रश्न की ओर मुड़ते हुए उन्होंने कहा:
"मैं एक शरणार्थी हूँ, िजसने िवश्व के विभिन्न भागों में कई लोगों से भेंट की है। मेरी शिक्षा एक बौद्ध संदर्भ में हुई थी, पर मैं चाहे जिससे भी िमलूँ उनकी तुलना में मैं अपने को नीचा नहीं मानता। इसका कारण हमारी समृद्ध परंपरा है। यह एक गहन परम्परा है। अतीत में तिब्बती आगंतुक हमारी संस्कृति को मात्र एक अनोखे रूप में देखते थे, पर नालंदा की यह परम्परा जिसके कि हम संरक्षक रहे हैं वह गहन तथा मूल्यवान है और इसे विश्व की धरोहर के एक भाग के रूप में माना जाना चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर भी मेरे लिए यह स्पष्ट है कि यदि आपका चित्त शांत है तो यह शारीरिक स्वास्थ्य का सबसे अच्छा गारंटी देने वाला है।"
सड़क पर शुगदेन के समर्थक प्रदर्शनकारियों का जिक्र करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग कर रहे हैं। और चूँकि तिब्बतियों का एक बड़ा समूह प्रदर्शन करने आये हैं, उन्हें वह भी अधिकार है। परम पावन कहना चाहते थे "धन्यवाद"। परन्तु चूँकि यहाँ कोई धर्म का प्रवचन नहीं दिया जा रहा, उन्होंने सोचा कि वे इस सभा में कुछ शब्द कहेंगे। उन्होंने चन्द्रकीर्ति के एक उद्धरण का संदर्भ दियाः 'जिस प्रकार सूर्य कि किरणें कमल को खिलाती हैं, उसी प्रकार बुद्ध के शब्द िवश्व के अंधकार का नाश करते हैं।' पर साथ ही उन्होंने आगे कहा:
बुद्ध अन्य सत्व के पाप को धोते नहीं,
न ही वे अपने हाथों से दुःखों को दूर करते हैं।
वे दूसरों के चित्त में उनकी समझ संचारित नहीं कर सकते
वे धर्मता सत्य की देशना देकर सत्वों का करते हैं मुक्ति से परिचय।।
उन्होंने कहा कि चार आर्य सत्य, दुख तथा सुख के मार्ग के कारण और प्रभाव को समझाते हैं। यह अद्वितीय बौद्ध परंपरा है, जो पालि और संस्कृत परंपराओं में आम है। इसके अतिरिक्त संस्कृत परंपरा सत्य द्वय प्रस्तुत करती है, जो दृश्य और वास्तविकता के बीच के अंतर की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह क्वांटम भौतिकी के दृष्टिकोण, कि जब आप वस्तुनिष्ठ वास्तविकता की खोज करते हैं तो वह नहीं मिलता, से काफी बारीकी से मेल खाता है।
परम पावन ने शरण गमन के िलए बुद्ध, धर्म तथा संघ और बोधिचित्तोत्पाद के िलए सामान्य पद के पाठ में सभा का नेतृत्व किया। समूह के विभिन्न वर्गों के साथ तस्वीर खिंचवाने से पूर्व उन्होंने बुद्ध, अवलोकितेश्वर, मंजुश्री और तारा के मंत्रों का संचरण दिया।
पास के अलबामा थियेटर में, मेयर विलियम बेल ने २००० श्रोताओं को यह बताते हुए कि उन्होंने आशा की थी कि परम पावन बर्मिंघम की ५०वीं वर्षगांठ के समारोह में सम्मिलित होंगे, परम पावन का स्वागत िकया। उन्होंने यह मान लिया था कि पूर्व निश्चित कार्यक्रम के कारण वे आ नहीं पाएँगे पर यह समाचार मिलते ही कि परम पावन किसी और समय आएँगे, वे उत्साहित थे।
संचालक बॉब सेलमेन ने पैनल का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया: इमाम खालिद लतीफ, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के लिए विश्वविद्यालय पादरी; श्रद्धेय एरिक एंड्रयूज, पओलिस्ट फादर्स के अध्यक्ष; श्रद्धेय सेरीन जोन्स, न्यूयॉर्क के शहर में ऐतिहासिक संघ थियोलॉजिकेल सेमिनरी के १६वें अध्यक्ष, जो पहली महिला अध्यक्ष हैं; श्रद्धेय कार्ल राइट अध्यक्ष तथा शहरी मंत्रालयों, इंक एक ईसाई मीडिया समूह के प्रमुख और रब्बाई श्मुले बोटीच एक जाने माने अमेरिकी रूढ़िवादी रब्बाई और साधारण बौद्ध भिक्षु, तिब्बती आध्यात्मिक नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, परम पावन दलाई लामा। सेलमेन ने समझाया कि वह किस प्रकार के प्रारूप का पालन करना चाहते थे, जो कि परम पावन से समक्ष एक प्रश्न रखना था और उसके पश्चात पैनल के अन्य सदस्यों में से एक से उनके िवचारों को जोड़ना था।
उन्होंने मार्टिन लूथर किंग जूनियर के जाने माने 'बर्मिंघम जेल से पत्र' के संदर्भ से प्रारंभ िकया, जिसमें कहा गया है कि अक्सर 'प्रतीक्षा' का अर्थ है 'कभी नहीं'। उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों के संबंध में हमें कितना धैर्यवान या अधीर होना चाहिए। परम पावन ने कहा:
"हम सभी एक सुखी जीवन जीना चाहते हैं और यह हमारा मूल अधिकार है। पर सुख को प्राप्त करने के िलए हमारे प्रयास यथार्थवादी होना चाहिए, यदि वे अवास्तविक हैं तो हमें संतोषजनक परिणाम प्राप्त नहीं होगे। हमें अपने लक्ष्य का आकलन करने के लिए स्थिति को सभी कोणों से देखने की आवश्यकता है। भली प्रकार से जाँचने के बाद कि क्या इसे प्राप्त किया जा सकता है, हमें यह िनर्णय लेने की आवश्यकता है कि क्या इसे कम समय या दीर्घ काल में किया जा सकता है। जो सरलता से किया जा सकता है, हमें करना चाहिए। वह जिसे करने में अधिक समय लगेगा, उसे लेकर हमारे मन में धैर्य होना चाहिए। हमें सच्चा तथा ईमानदार होना चाहिए, जो नैतिक समर्थन को आकर्षित करेगा जब लोग हम पर विश्वास करने लगेंगे। जब हम किसी कार्रवाई करने की प्रतीक्षा करते हैं तो धैर्य एक प्रकार का करुणाशील चित्त है। दूसरी ओर अधीरता विफलता का एक स्रोत हो सकता है।"
उन्होंने कहा कि उनकी स्पष्टवादिता के लिए वे अमेरिकियों को बहुत चाहते हैं, परन्तु उन्होंने कहा कि वे देखते हैं कि कुछ युवा जहाँ शांत रहना अधिक उचित है वहाँ बहुत उत्तेजनीय हो जाते हैं। श्रद्धेय राइट ने डॉ किंग के काल में जब उन्होंने पत्र िलखा था बर्मिंघम के िवषय में कहा कि यह एक स्थान था जहाँ 'अन्याय कानून का नियम था'।
अगला प्रश्न दया और करुणा के महत्व पर था। परम पावन ने श्रोताओं को अपनी माँ के बारे में बताया, कि किस प्रकार एक अनपढ़ कृषक की पत्नी होने के बावजूद, वह अत्यंत दयालु थी। उसके बच्चों ने उनका क्रोधित चेहरा में कभी नहीं देखा।
"चूँकि हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली प्रमुख रूप से भौतिक लक्ष्यों पर केंद्रित है, हमें अपने िवद्यालयों में आंतरिक मूल्यों की शिक्षा देने के उपायों को खोजने की आवश्यकता है। कोई धार्मिक परंपरा कितनी ही अद्भुत क्यों न हो, पर संभव है कि वह प्रत्येक को आकर्षित न करे, अतः हमें सौहार्दता और करुणा की शिक्षा देने के लिए एक और सार्वभौमिक उपाय की आवश्यकता है। वैंकूवर और ब्रिटिश कोलंबिया में इस तरह की पायलट परियोजनाओं का पालन किया जा रहा है और मैंने प्रस्ताव रखा है कि यदि वे सफल हुईं तो इन तकनीकों का अधिक व्यापक रूप से प्रसार िकया जा सकता है। हम मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं; इसलिए यह सुनिश्चित करने में कि हम एक सुखी समाज में रहते हैं, स्नेह और दया महत्वपूर्ण कारक हैं।"
अपने उत्तर में, इमाम खालिद लतीफ ने परम पावन के साथ सहमति व्यक्त की कि िकसी भी धर्म का आंतरिक मूल्यों पर स्वामित्व नहीं है। उन्होंने ११ सितम्बर घटना की ९वीं सालगिरह पर अपनी उपस्थिति की कहानी सुनाई, जब वे अपनी पुलिस की वर्दी के साथ अपने सिर की खोपड़ी टोपी और दाढ़ी में थे। उपराष्ट्रपति बिडेन आने ही वाले थे और उन्होंने पाया कि काले सूट पहने पुरुषों द्वारा उनकी पहचान को चुनौती दी जा रही है, क्योंकि उन्होंने सोचा, " मैं ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि मुझे वहाँ होना चाहिए। मैं जानता था कि यदि मैं प्रत्युत्तर में कुछ कहता तो बात और बिगड़ जाती। और मेरे बगल में खड़ी थी एक महिला, जिसका बेटा इस हादसे में मारा गया था जो मेरे पक्ष में खड़ी हुई। वह करुणा का एक कार्य था।"
अगला प्रश्न कॉर्नेल पश्चिम के एक उद्धरण से संबंधित था - "कभी मत भूलो कि न्याय वह है जैसा प्रेम सार्वजनिक रूप में प्रतीत होता है" परम पावन ने इमाम की कहानी उठाई और यह कहते हुए प्रारंभ िकया कि और सभी प्रमुख धर्म प्रेम का संदेश लेकर चलते हैं।
"और उसमें इस्लाम भी शामिल है। एक मुसलमान िमत्र ने मुझे बताया कि सच्चे मुसलमान को अल्लाह के सभी बंदों के लिए प्रेम रखना चाहिए और वह जो रक्तपात का कारण बनता है वह सच्चा मुसलमान नहीं है। और तो और जिहाद का सच्चा अर्थ हमारे अपने क्लेशों से संघर्ष करना है। ११ सितम्बर घटना की पहली बरसी पर मैं वाशिंगटन में था और मुझे स्मृति समारोह में आमंत्रित किया गया। मैंने उस अवसर पर कहा कि यद्यपि उस दुखद घटना के शरारती अपराधियों की मुस्लिम पृष्ठभूमि थी पर उससे पूरे समुदाय का नकारात्मक रूप से सामान्यीकरण करने का औचित्य नहीं जान पड़ता। मैंने कहा कि सभी समुदायों में शरारती लोग हैं फिर चाहे वे ईसाई, यहूदी, हिंदू या बौद्ध। वास्तव में यहाँ बाहर लोग मेरे विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, परन्तु उनके व्यवहार के आधार पर सभी बौद्धों के बारे में सामान्यीकरण करना गलत होगा।"
उन्होंने कहा कि न्याय दूसरों के अधिकार का सम्मान करना है, यह ध्यान में रखते हुए कि दूसरों को सुखी रहने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि हम उनके प्रति संवेदनशील हो जाएँ तो हम उनके प्रति प्रेम रख सकते हैं और उन्हें अपने भाई और बहनों के रूप में देख सकते हैं। श्रद्धेय जोन्स ने सहमति व्यक्त की और कहा न्याय प्यार कार्रवाई के रूप में है। हार्पर ली के उपन्यास 'टु किल ए मॉकिंग बर्ड' के संदर्भ ने श्रद्धेय जोन्स को वकील एट्टीकस के कथन का स्मरण करवाया कि "आप को किसी आदमी के विषय में तब तक नहीं पता चलता जब तक आप उसके जूते में खड़े न हों और उन में न चलें" और परम पावन को यह कहने के लिए कि हमें सभी मनुष्यों की आधारभूत समानता को याद रखना चाहिए और इसे समझना चाहिए कि हम सभी अन्योन्याश्रित हैं। उन्होंने कहाः
"यदि आप दूसरों को सुखी करेंगे, तो आप सुखी होंगे। यदि आप दूसरों को दुखी करते हैं, तो आप दुखी होंगे।"
रब्बाई बोटीच ने िवलम्ब से पहुँचने के िलए अपनी क्षमा याचना में यह टिप्पणी जोड़ी कि आप दलाई लामा के शब्दों को सुनने के लिए नहीं आते, उनकी उपस्थिति का अनुभव करने के लिए आते हैं। उन्होंने अपने वक्तव्य में स्पष्टवादिता से कहा कि उनके पास सहिष्णुता शब्द के लिए कोई समय नहीं है, जब इसका प्रयोग इस अर्थ में होता है कि आप केवल दूसरों को सहन कर रहे हो। उन्होंने एक उचित बहु-जातीय समाज, जो और अधिक मानवतावादी िवश्व को जन्म दे, की आवश्यकता की घोषणा की। उन्होंने अपने यहूदी मित्रों का उल्लेख किया, जो उनसे कहते हैं कि इस्लाम एक हिंसक आंदोलन है जो यहूदियों को चोट पहुँचाना चाहता है और उनके िलए उनका उत्तर है कि जब १४९२ में यहूदियों को औबेरियन प्रायद्वीप से बाहर खदेड़ा था तो ये केवल तुर्क मुसलमान थे, जिन्होंने उन्हें शरण दी थी और ये सलादीन था जिसने यहूदियों को वापस जरूसलेम में आमंत्रित किया।
एन के टी/आई एस सी से संबंधित जब एक शुगदेन समर्थक ने पीछे की पंक्ति से आक्रामक टिप्पणियों से अचानक परम पावन की बात काटना प्रारंभ किया, तो श्रोताओं ने आपत्ति जताई। पर ये रब्बाई थे, जिन्होंने ऐसे अवसर पर खलल डालने के लिए जब कई हज़ार लोग उन्हें सुनने आए थे और परम पावन के प्रति इस प्रकार के अशिष्ट व्यवहार के िलए अपनी आवाज़ ऊँची कर उसे प्रताड़ित कर खामोश किया।
एक बार शांति लौट आई तो परम पावन ने यह बात उठाई कि हमें एक धर्म और एक सत्य के विषय में सोचना चाहिए अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि हमें अच्छा लगे या नहीं विश्व में विभिन्न धार्मिक परम्पराएँ हैं। उनमें दार्शनिक दृष्टिकोणों का अंतर होने के बावजूद वे सभी प्रेम, करुणा, क्षमा और सहनशीलता का एक ही संदेश संप्रेषित करते हैं। उन्होंने समाप्त करते हुए कहा एक धर्म, एक सत्य का विचार, एक व्यक्ति, व्यक्तिगत स्तर पर तो ठीक है परन्तु समाज के व्पापक स्तर पर हमें कई धर्मों और कई सत्यंों के संदर्भ में सोचने की आवश्यकता है।
इमाम अशफाक तौफीक ने परम पावन तथा अन्य पैनल के सदस्यों का आने के लिए और इस प्रकार के अनमोल अंतर्धर्म चर्चा में भाग लेने के लिए तथा मेयर और बर्मिंघम शहर को धन्यवाद दिया।
मध्याह्न भोजनोपरांत सह पैनल सदस्यों के साथ मेयर विलियम बेल के अतिथि के रूप में परम पावन को रीजन फील्ड्स बेसबॉल स्टेडियम ले जाया गया, जहाँ १०,००० से अधिक लोग उन्हें धर्मनिरपेक्ष नैतिकता के विषय में बात सुनने के लिए तपते सूर्य के तले एकत्रित हुए थे। उन्हें भाइयों और बहनों के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने जिस रूप में वे अपनी तीन प्रतिबद्धताओं को देखते हैं, उन्हें रेखांकित किया। पहला तो हम सब को स्मरण कराएँ कि हम सभी समान हैं, मानव परिवार से संबंधित हम सभी भाई और बहनें हैं। दूसरा, अंतर्धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना है, यह ध्यान में रखते हुए कि करोड़ों लोगों ने सदियों से अपने धार्मिक िवश्वास से चाहे वह जो भी हो, जो लाभ उठाया है और आज भी उठा रहे हैं। चूँकि हम सभी मानव भाई तथा बहने हैं, जिनमें समान इच्छा और सुखी रहने का समान अधिकार है, उनकी चिंता यह है कि हम धर्मनिरपेक्ष नैतिकता, जो साझे अनुभवों, सामान्य ज्ञान तथा वैज्ञानिक निष्कर्षों पर आधारित हो, कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने समझाया कि हमारे आम अनुभव है कि हम सब अपनी माँओं से पैदा हुए हैं और उनके प्रेम में बड़े होते हैं। यह एक सामान्य भावना है कि चाहे निर्धन हों या सम्पन्न, एक परिवार, जिसमें स्नेह है, वह सुखी होता है जबकि ऐसा परिवार, जो शंका और चिंता से भरा है, वह दुखी होता है।
वैज्ञानिक निष्कर्षों में ये प्रमाण शामिल हैं कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और सामान्य भलाई के लिए एक शांत चित्त और सौहार्दता अच्छी है।
उन्होंने समाप्त किया:
"बस इतना ही। मेरे िलए इस शहर में बोलना, जहाँ मार्टिन लूथर किंग ने काम किया, एक महान सम्मान है। मैंने उनकी विधवा से भेंट और बात की और मैं उनकी उपलब्धियों का प्रशंसक बना हुआ हूँ। आज हमारे लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि हम उनकी भावना को जीवित रखें। धन्यवाद।"
कल, परम पावन बर्मिंघम से फिलाडेल्फिया और प्रिंसटन के लिए रवाना होंगे।