लॉस एंजिल्स, सी ए, संयुक्त राज्य अमेरिका, २६ फरवरी २०१४ - लॉस एंजिल्स का आकाश आज या कल के वर्षा के पूर्वानुमान के साथ आज अप्रत्याशित रूप से धूसर दिखाई दे रहा था जब परम पावन दलाई लामा आज प्रातः हफिंगटन पोस्ट स्टूडियो के लिए गाड़ी से गए। वरिष्ठ संपादक विलो बे ने साक्षात्कार में उनसे बात की जिसका सीधा वेबप्रसारण हफिंगटन पोस्ट के ९ अंतर्राष्ट्रीय संस्करणों पर हुआ।
सबसे पहले उन्होंने विगत सप्ताह राष्ट्रपति ओबामा के साथ उनकी बैठक के बारे में पूछा और परम पावन ने उत्तर दिया कि एक पुराने मित्र होने के नाते उन्होेने उन्हें अपनी तीन प्रतिबद्धताओं ः मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने, धार्मिक सद्भाव और तिब्बती संस्कृति के संरक्षण के विषय में बताया था। यह पूछे जाने पर कि क्या पूंजीवाद के प्रति उनके दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ है जैसा कि गत सप्ताह की बैठकों की रिपोर्टों में आया है, उन्होंने कहा:
"यह प्रेरणा पर निर्भर करता है। यदि लोग पैसा बनाते हैं पर उसका उपयोग मात्र अपने आरामदायक आनंद के िलए करते हैं, तो यह अच्छा नहीं है उसमें से कुछ को दूसरों के लाभ के लिए उपयोग करना उचित तरीका है।"
आने वाली अकादमी पुरस्कार के बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले २० वर्षों में कोई फिल्म नहीं देखी जिसके कारण उनकी आँखें सुरक्षित रहती है। उन्होंने कहा कि वह रेडियो पर बी बी सी समाचार सुनते हैं जो उनकी सूचना के स्रोत का कार्य करता है। यह पूछे जाने पर कि विश्व को और अधिक सुखी बनाने हेतु क्या कर सकते हैं, उन्होंने कहा कि हम बुद्धिमत्ता के साथ सौहार्दता का विकास कर सकते हैं।
मध्याह्न के भोजन के पश्चात कैलिफोर्निया विज्ञान केंद्र में निदेशक जेफ रूडोल्फ और श्रीमती ओसचिन द्वारा परम पावन का स्वागत किया गया। उनका पहला कार्यक्रम, अनुभवी टीवी और रेडियो मेजबान और एक उनके पुराने मित्र लैरी किंग के साथ एक साक्षात्कार था। उन्होंने उनसे कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा के साथ अपनी तीन प्रतिबद्धताओं के बारे में बात की थी। किंग ने पूछा कि क्या अमरीका मानव अधिकार के सम्बंध में चीन पर पर्याप्त दबाव डाल रही है और परम पावन ने उत्तर दियाः "विश्व की प्रवृत्ति अधिक से अधिक लोकतंत्र, उन्मुक्तता और स्वतंत्रता की ओर है। चीन विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, पर उसका भविष्य विश्व के अन्य भागों पर निर्भर करता है, अतः उसे विश्व की प्रवृत्ति का अनुपालन करने की आवश्यकता है।" इस के उत्तर में कि क्या उन्हें वास्तव में लगता है कि वे अपनी मातृभूमि को पुनः देख पाएँगे, परम पावन ने उत्तर दिया:
"हाँ, चीन बदल रहा है जैसे कि हम माओ, देंग जियाओपिंग, जियांग जेमिन और हू जिंताओ के साथ संबद्धित चार युगों से देख सकते हैं।"
जब लैरी किंग ने उनकी सामान्य दिनचर्या के विषय में पूछा, तो परम पावन ने उत्तर दिया कि वह मनुष्य हैं, वे सोते हैं, वे खाना खाते हैं पर एक बौद्ध भिक्षु होने के नाते उन्हें उनके २५३ विनयों के प्रति जागरूक रहना पड़ता है कि किस प्रकार खाया, सोया, चला और बोला जाए। उन्होंने कहा कि वह लगभग प्रातः ३ बजे उठते हैं तथा प्रार्थना और ध्यान में समय लगाते हैं। उन्होंने कहा कि दो प्रकार के ध्यान, शमथ और विपश्यना में वह अधिक समय विश्लेषण में लगाते हैं, अपने चित्त और भावनाओं का विश्लेषण करने में।
अंत में यह पूछे जाने पर कि वह किस रूप में याद किया जाना चाहेंगे, परम पावन ने कहा कि एक बौद्ध भिक्षु होने के नाते उन्हें अपने नाम और प्रतिष्ठा को लेकर चिंता नहीं है। उन्होंने स्मरण किया कि एक बार न्यूयॉर्क में एक पत्रकार ने उनकी विरासत के विषय में उनसे पूछा था और उन्होंने कहा कि उनके लिए यह सोचना अनुचित था। कुछ देर बाद उसने फिर से वही प्रश्न पूछा और उन्होंने उसी तरह उत्तर दिया। जब उसने तीसरी बार पूछा तो वह अपना आपा खो बैठे। परम पावन ने इस बात को समाप्त करते हुए इस आश्वासन के साथ कहा कि एक वर्ष के बाद जब वे उस पत्रकार से फिर मिले तो उसका स्मरण करते हुए दोनों हँस पड़े थे।
उसके पश्चात लैरी किंग उन्हें सेम्यूयल ओसचिन सेंटर ले गए जहाँ अंतरिक्ष शटल एंडेवर रखा है। लॉस एंजिल्स के कई सैकड़ों प्रमुख नेता उनके २१वीं सदी में नेतृत्व से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर सुनने की प्रतीक्षा कर रहे थे। एरिक बेनेट के गीत 'वॉट द वर्ल्ड नीड्स नाउ इस लव' के पश्चात पत्रकार एन करी ने संचालक के रूप में मंच पर कदम रखा। उन्होंने कहा कि परम पावन से पूछने के लिए वह दर्शकों की ओर से उसके पास कई प्रश्न थे। पहला था, कि ऐसा कोई व्यक्ति जिसकी संगठित धर्म में कोई रुचि नहीं है चित्त की शांति कैसे उत्पन्न कर सकता है। अपने उत्तर में परम पावन ने समझाया कि ऐसे ही लोगों को सम्मिलित करने के लिए वह धर्मनिरपेक्ष नैतिकता को बढ़ावा देते हैं और कहा कि सभी प्रमुख धर्म आधारभूत मानवीय जीवन मूल्यों को शामिल करते हैं, जिन्हें वे धर्मनिरपेक्ष नैतिकता के नाम संबोधित करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विनाशकारी भावनाएँ, जैसे क्रोध, जो हमारी आंतरिक शांति को भंग करती है, का संबंध अज्ञान से है जबकि रचनात्मक भावनाएँ कारण से जुड़ी है, हम पहले को कम कर, दूसरे को बढ़ा सकते हैं।
आत्मा के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने टिप्पणी की:
"यह एक इकाई ठोस और स्वतंत्र सा प्रतीत होता है जैसा कि हमारे ऊपर का यह शटल। परन्तु, जैसे यह शटल वास्तव में कई छोटे भागों से बना है, वैसे आत्मा के भी कई अंग हैं।"
एक असामान्य प्रश्न का, "क्या आप एक छोटा सूटकेस साथ लेकर चलते हैं और यदि ऐसा है तो उसके अंदर क्या है?" उत्तर अप्रत्याशित था। परम पावन ने अपना लाल रंग का सूती झोला उठाकर कहा कि वह इसे ही सदा साथ रखते हैं। उसमें से दो चॉकलेट बाहर निकाल, जो उन्हें लॉस एंजिल्स की उड़ान पर दिए गए थे, उन्होंने एक एन करी को दिया और दूसरा शेरोन स्टोन को। उन्होंने अपना टूथब्रश और पेस्ट और अपना दूसरा चश्मा दिखाया और कहा कि वे एक बुद्ध की एक प्रतिमा भी रखते हैं। शेरोन स्टोन ने पूछा कि क्या वे देख सकते हैं, और उन्होंने कहा कि वह लपेट कर रखी गई है। उन्होंने समझाया कि भिक्षु बनने के समय बौद्ध भिक्षु को बुद्ध की प्रतिमा दी जाती है और जब उन्होंने तिब्बत छोड़ा तो उनके पास एक अधिक बड़ी और भारी प्रतिमा थी पर उसे यात्रा मे साथ रखना सुविधाजनक नहीं था। वर्तमान िमट्टी की प्रतिमा भारतीय पंडित स्मृतिज्ञानकीर्ति द्वारा बनाई गई थी, जो शताब्दियों पूर्व तिब्बत आए थे। जब उनके अनुवादक की मृत्यु हुई तो उनके पास शिक्षा देने का, यहाँ तक कि लोगों को बताने का कि वह कौन थे कोई मार्ग न था और उन्होंने एक चरवाहे के रूप में कुछ समय बिताया। अपने झुंड की देख भाल करते हुए वे बुद्ध की प्रतिमाएँ बनाते थे और परम पावन जो साथ रखते हैं वह उन्हीं मे से एक है। उन्होंने कहा कि इस प्रयोजन के लिए उन्होंने अपने शिक्षक से उसे आशीर्वचित करने को कहा था।
जब बैठक समाप्त हो गयी तो कैलिफोर्निया के पूर्व राज्यपाल, ग्रे डेविस, ने परम पावन को आने के लिए, जिन लोगों ने भाग लिया, कैलिफोर्निया साइंस सेंटर को मेज़बानी के लिए तथा कुशो तेनजिन दोनदेन को संभव बनाने के िलए धन्यवाद ज्ञापित िकया। पेविलियन, जहाँ एंडेवर रखा हुआ है, के संस्थापक की पत्नी, श्रीमती ओसचिन ने, लॉस एंजिल्स के शहर की ओर से एक घोषणा प्रस्तुत करते हुए समाप्त किया।