लेह, लदाख, जम्मू-कश्मीर, भारत - जुलाई ३०, २०१३ (phayul.com) - तिब्बती आध्यात्मिक नेता परम पावन दलाई लामा उत्तर भारत के लदाख क्षेत्र के लेह शहर में तीन सप्ताह के निवास के लिए पहुँचे, जिस दौरान वे तिब्बती समस्या के लिए ध्यान युक्त एकांत वास करेंगे।
दलाई लामा पुणे शहर, महाराष्ट्र से लदाख के लिए रवाना हुए। पुणे में उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया था, जिसमें रविवार को दादा जे पी वासवानी के साथ उनके ९५वें जन्मदिन समारोह पर एक पारस्परिक वार्तालाप सत्र भी शामिल था।
लदाख में तिब्बती प्रमुख प्रतिनिधि अधिकारी (सी आर ओ ) के अनुसार हवाई अड्डे पर परम पावन का स्वागत १०२वें गदेन ठिपा रिज़ोंग रिनपोछे, अन्य वरिष्ठ लामाओं, जम्मू कश्मीर राज्य के पर्यटन मंत्री, लदाख के प्रमुख कार्यकारी पार्षद रिगज़िन जोरा, और अन्य स्थानीय भारतीय, लदाखी और तिब्बती गणमान्य व्यक्तियों ने किया।
हवाई अड्डे से दलाई लामा लेह से १० किलोमीटर चोग्लमसर स्थित फोडंग शिवेछेल की ओर रवाना हुए, जहाँ वे अपने प्रवास का पूरा समय बिताने वाले हैं।
तिब्बती प्रमुख प्रतिनिधि अधिकारी के अनुसार तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने वहाँ आए गणमान्य व्यक्तियों को बताया कि वे लदाख में तीन सप्ताह रहने वाले हैं, जिस दौरान वे “तिब्बती समस्या के लिए एक कड़ा ध्यान युक्त एकांत वास लेंगे।“
७८ वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता प्रायः बौद्ध जनसंख्या वाले प्रदेश लदाख की यात्रा करते हैं, जो चीन अधिकृत तिब्बत और भारत की सीमा पर है।
२०१४ में लेह, लदाख में दलाई लामा द्वारा जुलाई ३ से १४ तक कालचक्र अभिषेक प्रदान करने का कार्यक्रम है।