पुणे, महाराष्ट्र, भारत - जुलाई २७, २०१३ (टी एन एन) पुणे की त्रिदिवसीय यात्रा कर रहे तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा की एक झलक पाने के लिए, सैकड़ों बौद्ध शुक्रवार को गणेश कला क्रीड़ा रंगमंच की ओर उमड़ पडे।
आध्यात्मिक संस्था बुद्धयान महासंघ द्वारा आयोजित व्याख्यान में बोलते हुए दलाई लामा ने कहा कि भारत महान मनीषियों, दार्शनिकों और आध्यात्मिक गुरुओं का निवास स्थल रहा है। “विगत तीन चार हज़ार वर्षों में इस धरती ने कई दार्शनिकों को जन्म दिया है। भारतीय, तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु हैं और हमारा समस्त ज्ञान भारत के आध्यात्मिक मूल से आया है”, उन्होंने कहा।
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परम पावन दलाई लामा बुद्धयान महासंघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, पुणे, महाराष्ट्र, भारत - जुलाई २७, २०१३ चित्र/तेनज़िन छोजोर/ओ ओ एच डी एल
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दलाई लामा रविवार के दिन वादगाँव शिन्दे रोड़ पर शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास संग्रहालय में एक तिब्बती मंडप का उद्घाटन करेंगे। तिब्बती मंडप, पिछले ६० वर्षों की तिब्बतियों की पीड़ा से संबंधित पुस्तकों और चित्रों की प्रदर्शनी है। वे आध्यात्मिक नेता दादा जे पी वासवानी के साथ 'रू बरू रोशनी' पारस्परिक वार्तालाप में भी भाग लेंगे, जिसके मेज़बान अभिनेता आमिर खान होंगे।
दलाई लामा के पुणे यात्रा के दौरान आगामी दो दिनों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। तिब्बती आध्यात्मिक नेता तिब्बती मंडप का उद्घाटन करेंगे, जो पिछले ६० वर्षों की तिब्बतियों की पीड़ा को अभिव्यक्त करती है और वादगाँव शिन्दे रोड़ पर शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास संग्रहालय में स्थित है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार उसी स्थल पर सूफी अनुयायी दारा शिकोह पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। शिव सेना कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और सेना के युवा मोर्चे के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे भी उसी कार्यक्रम में महाराणा प्रताप पर एक अनोखे मिनियेचर पेंटिंग की प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे।
कार्यक्रम में तिब्बती प्रार्थना को भी शामिल किया जाएगा और वास्तुकार गिरीश दोषी से भी भेंट होगी जो कि संग्रहालय की भावी योजना पर एक प्रस्तुतिकरण रखेंगे। तत्पश्चात दलाई लामा, शरद पवार और उद्धव के भाषण होंगे। इसके अतिरिक्त गायक विक्रम हाज़रा के निर्देशन में एक जुगलबंदी का भी कार्यक्रम होगा।
अगस्त २००९ में गैर सरकारी संगठन संस्था फाक्ट इंडिया के संस्थापक नम्रता और फ्रानकोइ गाउटियर भारतीय इतिहास पर एक संग्रहालय के लिए कोष जुटाने के लिए अमरीका के दौरे पर गए। अमरीका के सात शहर बॉस्टन, न्यूयार्क, न्यूजर्सी, डलास, ह्यूस्टन, सेन फ्रांसिसको और लॉस एंजिलिस में १३०,००० अमरीकी डॉलर की राशि जमा की गई। बाद में फाक्ट इंडिया ने पुणे में भारतीय इतिहास के इस संग्रहालय की नींव रखी। इस संग्रहालय का नाम छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास संग्रहालय रखा गया।