मुंडगोड, कर्नाटक, भारत - जुलाई 18, 2013 (डेक्कन हेराल्ड) – तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा कड़ी सुरक्षा के बीच बुधवार को शिमोगा से सड़क मार्ग से मुंडगोड के तिब्बती बसाव पहुँचे।
|
परम पावन दलाई लामा के मुंडगोड तिब्बती बसाव में आगमन पर उनके स्वागत के लिए आई जनता का एक वर्ग, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत - जुलाई 17, 2013 चित्र/तेनज़िन तकला/ओ एच एच डी एल
|
जिला प्रशासन की ओर से उनका हार्दिक स्वागत किया गया। उपायुक्त इमकोंगला ज़मीर ने मुंडगोड तालुक की सीमा में स्थित सनावल्ली में गुलदस्ते से उनका अभिनंदन किया।
इस अवसर पर उपायुक्त के साथ पुलिस अधीक्षक आर दिलीप, सहायक आयुक्त राजू मोगवीर, सिरसी के उप पुलिस अधीक्षक एन डी बिरजे, तहसीलदार आर बी पाटिल, बासवराज मेलवंकी, पंचायतराज अभियंता आर एच कुलकर्णी और अन्य लोग भी शामिल थे।
शिविरों में उत्साह
प्रातःकाल से ही तिब्बती बौद्ध भिक्षु, महिलाएँ और बच्चे मुंडगोड के डोद्दाकेरे से शिविर नंबर 6 तक दलाई लामा के पारम्परिक स्वागत के लिए पंक्तिबद्ध थे। वर्षा की हल्की बूँदाबादी के बावजूद, वे पूरे उत्साह के साथ दलाई लामा की प्रतीक्षा में खाता, पुष्प और धूपबत्ती लिए खड़े थे। जहाँ नेत्रहीन छात्रों ने दलाई लामा का मुंडगोड के अम्माजी टैंक के पास राष्ट्रीय ध्वज के साथ स्वागत किया, वहीं तिब्बती पारम्परिक वेश भूषा से सजी महिलाओं ने उन्हें एक भव्य स्वागत प्रदान किया। शिविर क्रमांक 3 के पास केन्द्रीय विद्यालय 3 के छात्रों और शिक्षकों ने बौद्ध नेता को एक संगीतमय स्वागत दिया।
बौद्ध नेता के अभिनंदन के लिए पहली बार मुंडगोड से बसाव शिविरों तक स्वागत तोरण सजाए गए थे। यद्यपि मुंडगोड में बादलों का मौसम था, पर तिब्बती दलाई लामा के स्वागत में सभी पूरी तरह से उत्साहित थे। उन्होंने अपने गुरु के लिए सभी तैयारियाँ कर ली थी। मुंडगोड और बसाव शिविरों के अलग अलग स्थानों पर विशाल भीड़ जमा थी। कम्बरगट्टी क्रॉस और शिवाजी सर्कल पर दलाई लामा की एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड़ जमा थी। दलाई लामा ने भी अपनी गाड़ी से अनुयायियों की ओर हाथ हिलाया और उनका अभिनंदन स्वीकार किया ।
|
डेपुंग लाची महाविहार पहुँचने पर उनके पारम्परिक स्वागत के दौरान परम पावन दलाई लामा कुछ टिप्पणी करते हुए, मुंडगोड, कर्नाटक, भारत - जुलाई 17, 2013 चित्र/तेनज़िन तकला/ओ एच एच डी एल
|
दलाई लामा जैसे ही डेपुंग लाची महाविहार पहुँचे, तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं ने पारम्परिक वाद्य बजाए। अपने सिर पर एक लम्बी पारम्परिक टोपी पहने, एक भिक्षु ने दलाई लामा के लिए एक विशाल छत्र खोला और अन्य वरिष्ठ भिक्षुओं ने गाड़ी से उतरने में दलाई लामा को सहारा दिया। उसके पश्चात् दलाई लामा ने डेपुंग लाची महाविहार में एक विशिष्ट पूजा की। दलाई लामा मुंडगोड में आठ दिन रहेंगे।
कड़ी सुरक्षा
“बोधगया की घटना को ध्यान में रखते हुए दलाई लामा की सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है”,पुलिस अधीक्षक आर दिलीप ने जानकारी दी।
शिविर क्रमांक 6 में स्थित डेपुंग लाची महाविहार में पत्रकारों से बात करते हुए अधिकारी ने सूचना दी कि, उन विहारों के चारों ओर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है जहाँ दलाई लामा कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
हाल ही में बोधगया में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद, केन्द्रीय गृह मंत्री ने कर्नाटक के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दलाई लामा की सुरक्षा कड़ी करने को कहा, क्योंकि उन्होंने जुलाई 10 से कर्नाटक की यात्रा का निश्चय किया था।